BHAGWAAN SE MANGNE KI KALA भगवान से मांगने की कला


  

परिवार मे कलेश हो तो  परिवार के सदस्य ना तो खुदका भला कर नहीं पाते है ना ही किसी और का.

परिवार मे प्रेम हो तो परिवार के सदस्य अपने अपने साथ आने वाली पीढ़ियां का भी भला कर जाते है.

एक बार भगवान शिव और माता पार्वती की नज़र एक पति-पत्नी और उनके बच्चे पर पड़ी. उनकी हालत दयनीय थी.
पार्वती जी ने भगवान शिव से कहा कि, प्रभु इनकी हालत सुधार दो.तो भगवान शिव बोले की वह अपने कर्मो के कारण ऐसे है ;उन्होने बहुत बार देने की कोशिश की है.

माता बोली कि एक बार उनके कहने पर एक और मौका दे दो.
तो भगवान शिव उनके पास गए और बोले कि तुम तीनों के पास एक एक वरदान है मांगो.

सबसे पहले औरत बोली, "मुझे 16 साल की सुंदर युवती बना दो ताकि मै  अपने पति को छोड़कर किसी अमीर व्यक्ति से शादी कर लूंगी"
   भगवान शिव बोले "तथास्तु"
  

फिर आदमी की बारी आई तो वह सोचने लगा कि पत्नी जवान हो गई है, मुझे छोड़ देगी. जलन में उसने भगवान शिव से कहा, "इसे 80 साल की बुढ़िया बना दो.

भगवान बोले,"तथास्तु, " 

बेचारा बच्चा करे तो क्या करे. मां बुढिया हो गई. वह बोला, "भगवान मेरी मां पहले जैसी थी वैसी कर दो." भगवान शिव बोले, "तथास्तु"

माता पार्वती बोली, "भगवान आप ठीक ही कहते थे.यह लोग अपने कर्म, अपनी नियत के कारण ही ऐसे है. तीनों मौके इन्होंने व्यर्थ कर दिए.

इसके दूसरी तरफ, एक अंधी औरत प्रभू भक्ति करती थी.  उसकी बहू-बेटा सेवा करते थे. उनकी कोई संतान नहीं थी, वह गरीब थे पर फिर भी परिवार में संतोख था.

एक दिन भगवान ने अंधी औरत को दर्शन दिए और कहा, " तुम्हारी भक्ति  से प्रसन्न हूं मैं तुमे एक वरदान देता हूं, मांगो जो मांगना है"

औरत समझदार थी. वह बोली, "प्रभू  मुझे अपने पोते को सोने के चम्मच से खाते हुए देखना है."

और इस तरह उस औरत ने एक ही वरदान में आंखे भी मांग ली, पैसा भी मांग लिया और पोता भी.






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