JIVAN KA SUTRA जीवन का सूत्र

जीवन का सूत्र



 एक बार एक राजा था. उसका कोई भी पुत्र नहीं था . वह चाहता था कि उसका कोई उत्तराधिकारी मिल जाए. उसने अपने महल के साथ एक सुंदर सा महल बनवाया और उसके उपर एक गणित का सूत्र लिखवा दिया और कहा जो इस को सुलझाएगा और महल का दरवाजा खोलेगाा तो महल उसका हो जाएगा.

                               


नगर में यह घोषणा करवा दी गई. पर कोई भी उसको सुलझा नहीं पाया. बात दूसरे राज्य तक पहुंची, दूर- दूर से विद्वान आए पर वह  उसे सुलझा ना सके  .

दिन- महीने बीतते चले गए. राजा ने घोषणा करवा दी कि कल आखिरी दिन है गणित का सूत्र सुलझाने का. बहुत से विद्वान आए, पंडित आए. एक 16-17 साल के लड़के ने भी सुना की राजा ने कोई प्रतियोगिता रखी है. वह भी वहा पहुंच गया.

जो प्रतियोगिता का संचालक था उसने लड़के से कहा, " अगर तुम पहले सूत्र सुलझाना चाहते हो तो पहले जा सकते हो."
लड़का बोला, "पहले विद्वानों को मौका दीजिए. मैं बाद मे चला जाऊंगा."लेकिन कोई भी सूत्र सुलझा ना पाया.
राजा ने सोचा की लगता है कोई भी उत्तराधिकारी बनने के योग्य नहीं है .  अंतिम बारी उस लड़के की थी. उसने समय लेकर कुछ सोचा और दरवाजा खोल दिया.

 सारा भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. सब ने उस से पूछा कि यह दरवाजा कैसे खोला.

लड़के ने कहा, " मैंने देखा कि यह सूत्र किसी से भी हल नहीं हो रहा, हो सकता है की ऐसा कोई सूत्र हो ही ना. यह केवल उलझाने के लिए ही लिखा गया हो और दरवाजा को धक्का मारते ही दरवाजा खुल गया.

राजा उसकी सूझ-बूझ से प्रसन्न हुआ और उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.

इसी तरह जीवन में कई बार  समस्या इतनी बड़ी नहीं होती जितनी हम समझ लेते है. बस एक विश्वास के धक्के की जरूरत होती है.


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