KARMO KA FAL STORY IN HINDI
कर्मों का फल एक प्रेरणादायक कहानी
एक बार की बात है , एक पति-पत्नी जंगल से नगर की तरफ जा रहे थे. चलते-चलते उन्होने ं ने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का सोचा. पति अपनी पत्नी की गोद में अपना सर रखकर सो जाता है.
वहा एक योद्धा भी विश्राम करने के लिए साथ वाले पेड़ के नीचे बैठ जाता है. पत्नी उस योद्धा से कहती है, "मैंने कभी अपने जीवन में तलवार नहीं देखी. क्या आप मुझे कुछ क्षण के लिए अपनी तलवार देखने का मौका दोगे? "
योद्धा को उस की भोली सुरत पर विश्वास हो जाता है और वह तलवार उस औरत को देखने के लिए देता है.
औरत तलवार पकड़ते ही अपने पति का गला काट देती है और तलवार योद्धा की तरफ फेंक देती है और नगर की तरफ भागती है और कहती है, "इस योद्धा ने मेरे पति को मार डाला."
यह बात राजा तक पहुंची. राजा ने औरत की बात को सुना और योद्धा को दोषी ठहराया. राजा ने अपने सलाहकार से पूछा, "उचित सज़ा क्या होनी चाहिए . "
सलाहकार ने कहा, "राजन इस योद्धा ने अपनी तलवार से औरत के पति की हत्या की है, तो इस की दोनो बाजूओं को काट देना चाहिए ताकि वह कभी तलवार ना चला सके."
राजा ने ऐसा ही किया. योद्धा की दोनो बाजूओं को काटवा कर उसे छोड़ दिया गया.
इस तरह जब योद्धा की बाजू काट दी जाती है तो वह उस पीड़ा और अपमान को सहन नहीं कर पाता और पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या करने की सोचता है.
लेकिन रास्ते में उसे एक साधू रोक लेता है. उस योद्धा को बताता है कि उसे उसकी स्थिती का पता है और उसे ध्यान लगाने को कहता है.
योद्धा साधू से पूछता है, "बाबा मेरी गलती क्या है. मैंने उसके पति को नहीं मारा. फिर भी मुझे सज़ा क्यो मिली.
बाबा उसे उसके पूर्व जन्म की कहानी सुनाते है.
बताता है कि, " पूर्व जन्म में यह औरत एक गाय थी. उसका पती कसाई था और तुम एक पहलवान थे. एक बार यह गाय कसाई से अपनी जान बचाकर भाग निकली.
कसाई ने शोर डाला, "गाय को पकड़ो, वह भाग गई. "
कोई भी गाय को पकड़ने आगे नहीं आया. सब जानते थे की यह गाय को पकड़ कर मार देगा.
पर तुम ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर ने के लिए आगे आए और अपनी बाजूओं से उस गाय के सिंग पकड़ कर उसे रोक दिया. और उसे कसाई के हवाले कर दिया. कसाई ने उसे मार दिया.
वह गाय उसकी पत्नि के रुप में उस कसाई से, जो इस जन्म में उसका पति था, उससे अपना बदला लेने आई थी. और तुम ने उस गाय को अपनी बाजूओं से पकड़ा था इस लिए उस ने तुम्हारी बाजूए कटवा दी.
तुमे अपने पिछले जन्म के कर्मों की सज़ा इस जन्म में भोगनी पड़ रही है.
इस लिए कहते है कर्म फल भोगना ही पड़ता है. इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में.हमे सदा अच्छे कर्म करने चाहिए.
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अच्छे कर्मों का फल लौट कर जरूर आता है
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