SHREE KRISHAN KE BHAKT KA PARSANG

श्री कृष्ण की भक्ति कथा 

"सुना है नसीब वाले होते है भक्त

जो तेरे मंदिर तुमे भोग लगाने आते है.

सोचता हूं कितना आस्थावान था वह भक्त

जिसका भोग तुम खुद लेने आए थे"




                 एक  बार एक सेठ  भगवान श्री कृष्ण का परम भक्त था। वह अपना काम धंधा करता था और सोते जागते ठाकुर जी का नाम जपता रहता था। उसका एक नियम था, वह रोज शाम को कृष्ण मंदिर में जा कर चार लड्डुओं का भोग लगाता था। 


एक दिन उसे किसी काम से शहर से बाहर जाना पडा़। और वहा जोरदार बारिश होने लगी और वह वापिस ना जा सकता था।वह वहा भी वह ठाकुर जी को ही याद कर रहा थी। कुछ समय परेशान रहा की आज मेरा भोग लगाने का नियम टूट जाएगा। फिर उसने मन में कान्हा जी से की मैंने अगर तो सच्ची भक्ति की है तो मेरा नियम ना टूटनें देना। और वह कान्हा जी का नाम लेते-लेते सो जाता हैं।
 
अगले दिन वापिस आकर मंदिर जाता है। दुकान से प्रसाद में चार लड्डुओं को लेता है और दुकानदार को पैसे देता है। दुकानदार उस सेठ से कहता है, "आपके कल के पैसे भी रहते हैं सेठ जी।"

यह सुनकर वह हैरान रह गया। उस ने दुकानदार को बताया कि कल तो वह आया ही नहीं तो कल कौन प्रसाद ले गया।

दुकानदार ने उन्हे बताया, "कल एक छोटा सा लड़का बांसुरी पकड़े हुए आया और उसने कहा कि चार लड्डू दे दिजीए, सेठ जी के खाते में इसके पैसे लिख देना।"
                              
यह सुनते ही सेठ जी की आँखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। उसे याद आया कि उसने कल मन में कान्हा जी
को याद किया था और कहा था कि, "ठाकुर जी मैं तो नहीं आ सकता पर आप तो किसी को भोग लेने भेज सकते हैं ।"
दुकानार ने पूछा सेठ जी क्या हुआ? 
सेठ जी ने उस दुकानदार को सारा प्रसंग  बताया। तो दुकानदार सेठ जी के पैरों में गिर गया। आप की सच्ची भक्ति के कारण मुझे ठाकुर जी के दर्शन हुए। ठाकुर जी ऐसे ही है जो उनकी सच्ची भक्ति करता है उसके काम सवारने ठाकुर जी स्वयं आते है.





 अगर आपकी सच्ची कृष्ण भक्ति की कहानी अच्छी लगी तो please comment   और share करे.

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