PRATHNA KI TAKAT

प्रार्थना की ताकत 

प्रार्थना में बहुत ताकत होती है. कहते सच्चे दिल से की गई प्रार्थना ईश्वर जरूर सुनते हैं. उस प्रार्थना के बल पर ईश्वर सही समय पर सही व्यक्ति को मदद के लिए भेज ही देते हैं . इसी कथन को सत्य करती एक कहानी.
एक बार एक लड़के को उसकी प्रशिक्षिण के लिए नासिक जाना पडा़. वहा उसे एक गुरूकुल मे ठहराया गया.
गुरूकूल का नियम था.हर रोज सुबह एक घंटा प्रार्थना करनी पडती थी. वह लड़का नास्तिक था.उसने बोला गुरूजी ,"आप मुझे इस नियम के लिए बाध्य ना करे."  गुरूजी ने समझाया कि प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है.

लेकिन वह लड़का नास्तिक था , इसलिए नहीं माना. गुरूजी ने कहा, "एक दिन तुमे प्रार्थना की शक्ति का अहसास जरूर होगा. उसने इस बात को हंसी में उडा दिया."

कुछ दिनों में उसका प्रशिक्षिण ख़तम हो गया.और वह वापिस चला गया.

पद्रंह साल बाद वो कामयाब बिजनैस मैन था. सब कुछ था, सुंदर बीवी और बच्चे थे.एक रात वह घबराहट के कारण उठ गया. उसका ध्यान गुरूजी कि तरफ़ गया. उसका मन  गुरूजी को मिलने का हुआ. 

अगले दिन सुबह उसने गुरूकुल मे फोन किया तो पता  चला की गुरूजी  ठीक से चल नहीं पाते, सुन नहीं पाते. उसने सोचा गुरूजी से मिल कर आता हूं. पर उनके लिए क्या उपहार ले कर जाऊ. फिर उसने निश्चय किया चल नहीं पाते तो अच्छी सी छडी़ ले जाता हूं, सुन नहीं पाते तो सुनने की मशीन ले जाता हूं.

                           


अगले दिन सुबह जब गुरूकुल पहुंचा, तो प्रार्थना चल रही थी. गुरूकुल के संचालक ने बताया कि प्रार्थना गुरूजी के लिए चल रही है.

 गुरूजी चल नहीं पाते तो डाक्टर छडी़ की मदद से चलने के लिए  कहा है.और सुन नहीं पाते है तो सुनने की मशीन लगाने को कहा है. गुरूजी कहते है की गुरूकुल का एक भी पैसा मुझ पर खर्च नहीं होगा.और ना ही कोई किसी को देने को बोलेगा. उनका मानना है की अगर भगवान को लगेगा कि मुझे सच-मुच इस की ज़रुरत है तो वह किसी ना किसी को मेरी सहायता के लिए भेज देंगे.

बात करते करते वो गुरूजी जी कमरे में पहुंचे. उसने गुरूजी को प्रणाम किया. उनका हालचाल पूछा. उसकी नज़र गुरूजी की मेज पर पड़ी डाक्टर की पर्ची पड़ी थी.

पर्ची पढते ही उसकी आंखों से आसू बहने लगे.ओर गुरूजी की बात दिमाग में घुमने लगी, कि एक दिन तुमे प्रार्थना की शक्ति का अहसास जरूर होगा. 

क्योंकि जब गुरूकुल में पहले दिन प्रार्थना हुई, तो मुझे गुरूजी का ध्यान आया. दूसरे दिन प्रार्थना हुई तो मैंने छड़ी और मशीन खरीदी. तीसरे दिन प्रार्थना हुई तो मैं यहां पंहुच गया.
सब से हैरानी की बात यह थी कि वह उसी कंम्पनी की छड़ी और कान की मशीन लाया था जो डाक्टर ने पर्ची पर लिखी थी. आज उसे सच-मुच प्रार्थना की शक्ति का एहसास हो गया.









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