DAVKI AUR VASUDAV KI KATHA

   इस सृष्टि के पालन हार श्री कृष्ण के माता पिता बनने का सौभाग्य देवकी और वसुदेव जी क्यों मिला. उनके पूर्व जन्म के अनुसार उन्होंने भगवान विष्णु की बहुत भक्ति की.

                               


देवकी और  वसुदेव पूर्व जन्म में पृश्नि और सुतपा नाम के प्रजापति थे. दोनों ने 12 हज़ार वर्ष तक तपस्या की. भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए. 

उन दोनों ने भगवान से कहा, " हमें आपके जैसा पुत्र चाहिए ".

भगवान उनकी भक्ति से इतने प्रसन्न थे उन्होंने तीन बार कहा, " तथास्तु, तथास्तु, तथास्तु."

इस लिए भगवान श्री हरि उस जन्म उनके पुत्र बने और पृश्नि गर्भ नाम से विख्यात हुए.

दुसरे जन्म में श्री हरि,अदिति और देव ऋषि कश्यप के पुत्र बने. उनका नाम था उपेन्द्र. छोटा आकर होने के कारण उनके अवतार को "वामन " भी कहा जाता है.

अपने तीसरे जन्म में वह दोनों देवकी और वसुदेव के नाम से प्रसिद्ध हुए. और श्री कृष्ण के रूप में श्री हरि ने जन्म लिया. 

जब उन दोनों ने वर मांगा था कि हमें आप जैसा पुत्र पैदा हो तो श्री हरि ने तीन बार उन्हें तथास्तु कह दिया. पर उन्होंने ने सोचा कि मेरे जैसा तो मैं ही हूँ. उस लिए उन्होंने अपने वर को सच करने के लिए तीन बार स्वंय जन्म लिया और उन्हें तीन बार अपने माता पिता बनने का मोका दिया. 

  देवकी और वसुदेव जी के विवाह के बाद जब कंस अपनी बहन देवकी की विदाई कर रहा था तो आकाशवाणी हुई की तुम्हारी बहन का आठवा पुत्र तुम्हारी मौत का कारण बनेगा. कंस तो देवकी को मारना चाहता था परंतु वसुदेव जी ने वादा किया कि वो सभी संतानों को उसे सौंप देगें, इस प्रकार उन्होंने ने देवकी की जान बचा ली.कंस ने देवकी और वसुदेव जी को जेल में कैद कर दिया.

देवकी और वसुदेव ने अपने छह पुत्र कंस को दे दिए.  उनके सातवें पुत्र हुए 'बलराम' , जिसे योग माया ने माँ रोहिणी के गर्भ में संरक्षित कर दिया. बलराम जी ने माँ  रोहिणी के यहा जन्म लिया.इस लिए बलराम जी को संकर्षण भी कहा जाता है.

          


जब उनकी आठवीं संतान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ. उस समय जेल के दरवाजे अपने आप खुल गए और जेल के पहरेदार सो गए. वसुदेव जी, ठाकुर जी के कहने पर उनको  टोकरी में रखकर  जा रहे थे तो यमुना नदी उफान पर थी. यमुना श्री कृष्ण के चरण स्पर्श करना चाहती थी इसलिए श्री कृष्ण ने अपना पैर टोकरी में से बाहर निकाला और चरण स्पर्श करते ही यमुना जी ने वासुदेव जी को जाने का रास्ता दे दिया. 

वासुदेव जी श्री कृष्ण को नंद और यशोदा जी की बिटिया योग माया से बदल लाए. जब कंस ने योग माया को मारने का प्रयास किया तो योग माया ने कंस को बता दिया तुम्हे मारने वाला गोकुल में पैदा हो गया है और यह कह कर योग माया गायब हो गई. 

                  

    

 कंस ने उस समय जितने भी बालक वहाँ पैदा हुए थे सबको मार देने का आदेश दिया. उस ने श्री कृष्ण को मरवाने के लिए कई राक्षस भेजे. लेकिन नारद जी ने कंस को बता दिया कि बलराम और कृष्ण ही देवकी और वसुदेव के पुत्र है . 

कंस ने देवकी और वसुदेव को दोबारा बेड़ियों में बांध दिया. उनको छुड़ाने के लिए श्री कृष्ण को मथुरा आना पड़ा. उन्होंने कंस का वध कर दिया और अपने माता- पिता को छुड़ा लिया.

              जय श्री कृष्णा

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