ISHWAR KA NAYAAY(justice of god) ईश्वर का न्याय

हम भी जब किसी के लिए कुछ  त्याग करते हैं तो हमें लगता है कि उसका फल बहुत ज्यादा मिला हैं.और कई बार लगता है कि बहुत कम फल मिला. ऐसा इस लिए होता है क्योंकि ईश्वर का दृष्टि कोण हमारे दृष्टि कोण से बड़ा  होता है.                               

एक बार राम और शाम दोनों दोस्त अपने गाँव के पास एक तीर्थ स्थल पर गए. वहां दर्शन करने के बाद वह दोनों सीढ़ियों पर बैठे थे तो उनकों वहां उनका पुराना मित्र सुरेश मिला. तीनों कई घंटो तक बातें करते रहे. फिर सुरेश ने कहा मुझे बहुत भूख लगी है . 

तो राम ने कहा, " मेरे पास पाँच रोटियां है" और शाम ने कहा ,"मेरे पास तीन रोटियां है."

वह सोचते हैं कि इन 8 रोटियाँ को तीन हिस्सों में कैसे बाँटे.

फिर राम एक सुझाव देता है कि हर रोटी को तीन हिस्सों में बाँट लेते हैं. इस तरह रोटी के 24  हिस्सों हो गए और हर एक को आठ हिस्से आए. 

सुरेश खाना खाकर बहुत प्रसन्न होता है और उन दोनों को सोने के आठ सिक्के दे देता है और कहता है कि तुम दोनों इसे बाँट लेना.

जब बाँटने की बारी आती है तो राम कहता है , "मेरी पाँच रोटियां थी इस लिए मुझे पाँच सिक्के मिलने चाहिए और तुम्हारी तीन  रोटियां थी इसलिए तुम्हे तीन सिक्के मिलने चाहिए."

लेकिन शाम कहता है , " खाना तो हम सब ने एक जितना खाया तो सिक्के भी आधे- आधे बाँटने चाहिए, हम दोनों को चार- चार सिक्के मिलने चाहिए."

वह दोनों अपनी रट पर अड़े रहते हैं और किसी भी फैसले पर नहीं पहुंच पाते. उस समय मंदिर का पुजारी वहाँ आया और उन दोनों ने अपनी बात सुनाई और उनसे न्याय करने के लिए कहा.

पुजारी जी को दोनों ही पक्ष की बात ठीक लगी और वह भी कोई फैसला नहीं कर पाए.  उन्होंने दोनों से एक रात्रि का समय माँगा और उन दोनों को मंदिर की सराय में रात गुज़ारने को कहा.  

रात्रि में जब पुजारी सो रहे थे तो ईश्वर उनके स्वपन में आए और  उनसे पूछा कि किस चिंता में खोएं हो. पुजारी जी कहते है कि प्रभु मैं फैसला नहीं कर पा रहा कि राम का तर्क सही है या शाम का.


तो प्रभु कहते हैं कि दोनों का ही तर्क गलत है क्योंकि जिस का जितना बड़ा त्याग उसका उतना बड़ा हिस्सा होता है. शाम ने अपनी रोटियों के नौ हिस्से किये आठ स्वयं खा लिए ओर एक सुरेश को दिया जबकि राम ने पांच रोटियों के पंद्रह टुकड़े किए ओर आठ स्वयं खाएं ओर सात सुरेश को दिए.  तो किसका त्याग बड़ा हुआ. अगले दिन पुजारी ने इस तर्क के आधार पर सिक्के बांट दिए.  इस तर्क के आधार पर शाम भी खामोश हो गया और कुछ ना बोला.


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