MAHAKALESHWAR MAHADEV MANDIR HIMACHAL PRADESH
महाकालेश्वर मंदिर हिमाचल प्रदेश चिंतपूर्णी धाम से है संबंध
चिंतपूर्णी मंदिर से संबंध
महाकालेश्वर महादेव मंदिर हिमाचल प्रदेश में व्यास नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर का चिंतपूर्णी धाम से गहरा संबंध है। एक मान्यता के अनुसार महाकलेश्वर महादेव मंदिर उन चार महा रुद्रों में से एक है जो मां चिंतपूर्णी की रक्षा करते है. यह मंदिर चिंतपूर्णी माता जी पूर्व में स्थित है. चिंतपूर्णी धाम के चारों ओर एक ही फासले पर चारों दिशाओं में शिव मंदिर स्थित है।
- पूर्व में महाकालेश्वर महादेव
- पश्चिम में नारायण महादेव
- उत्तर में मुचकन्द महादेव
- दक्षिण में शिव बाड़ी
MAHAKALESHWAR MANDIR HISTORY(महाकलेश्वर मंदिर का इतिहास)
महाकलेश्वर महादेव मंदिर व्यास नदी के किनारे पर स्थित है. माना जाता है कि इस शिवलिंग में महाकाली और भगवान शिव दोनों का वास है .
स्कंद पुराण के अनुसार मां शक्ति ने दैत्यों का संहार करने के लिए मांँ काली का रुप धारण किया, तो अपने क्रोध की अग्नि से उन्होने सभी दैत्यों का संहार कर दिया लेकिन माँ का क्रोध शांत ना हुआ . जहाँ- जहाँ से माँ काली गुज़रती उनकी क्रोध की अग्नि से वहाँ- वहाँ विनाश हो जाता. सृष्टि को विनाश से बचाने के लिए भगवान शिव उनके पैरों में लेट गए।माँ ने जब अपने पैरों से स्पर्श किया तो उनके क्रोध की अग्नि शांत हो गई।लेकिन माँ को इस बात की गलानी थी.की उन्होने प्रभू को अपने चरणों से स्पर्श किया है। इस बात का प्रायश्चित करने के लिए उन्होने इस स्थान पर आकर तपस्या की. भगवान शिव ने उनकी तपस्या से खुश हो कर यही पर दर्शन दिए थे.
Mahakalavswer mandir Amazing facts ( मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य)
- उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाद कालेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है जिसके गर्भगृह में ज्योर्तिलिंग स्थापित है.इस के मंदिर का स्वरुप उज्जैन के मंदिर से मिलता जुलता है.
- मान्यता है की यह शिवलिंग हर साल जो के दाने के बराबर नीचे धसता जा रहा है.
- .यहां पर नदी है उसे पंचतीर्थी कहा जाता है. मान्यता है कि अज्ञातवास के समय जब पांडव यहां पर आए तो उनके पास नासिक, उज्जैन, प्रयाग हरिद्वार और रमेश्वरम इन र्तीर्थों का जल था. जिसे उन्होने यही पर स्थापित कर दिया.
- इसे हिमाचल का हरिद्वार भी कहा जाता है. जो लोग हरिद्वार जाने में समर्थ नहीं होते वो यहां पर अपने परिजनों की अस्थियां प्रवाहित करते है.
महाकालेश्वर मंदिर में वैशाखी स्नान को गंगा तुल्य माना जाता है। वैशाखी पर्व पर जहां पर मेला आयोजित किया जाता है। इस वैशाखी पर्व को बसोआ भी कहा जाता है।
वैशाख मास की संक्रान्ति के दिन महाकालेश्वर धाम में पूजा अर्चना करने और स्नान का विशेष महत्व है इस दिन इस पवित्र धाम में स्नान का महत्व गंगा स्नान के समान माना जाता है।
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