BANKE BIHARI TEMPLE VARINDAVAN DHAM

 बांके बिहारी वृन्दावन धाम 

बाँके बिहारी मंदिर वृन्दावन धाम का ऐसा मंदिर है, जिस की मान्यता है अगर कोई भक्त आंख भरकर उनके स्वरुप को देखले तो बिहारी जी उसके साथ चले जाते है.
  बाँके बिहारी मंदिर में बार बार पर्दा किया जाता है.
वृन्दावन ऐसी पावन भूमि है जहांं आने पर सभी पापों का नाश हो जाता है.
बाँके बिहारी का विग्रह स्वयं प्रकट हुआ है, इसे किसी ने बनाया नहीं है.
  ऐसा माना जाता है कि बाँके बिहारी के मंदिर का निर्माण स्वामी हरिदास जी  के वंशजों द्वारा किया गया है. श्री हरिदास जी के प्रेम में ही बाँके बिहारी स्वयं प्रकट हुए थे. हरिदास जी प्रसिद्ध गायक तानसेन के गुरू थे.

                    


बाँके बिहारी मंदिर एक ऐसा मंदिर जहां मान्यता जाता है जहांं बाँके बिहारी अपने भक्तों के प्रेम भाव से इतने प्रभावित हो जाते है की अपने आसन से उठ कर अपने भक्तों के साथ चले जाते है. ऐसा बहुत बार हो चुका है जब बिहारी जी का विग्रह गायब हो चुका है. कोई भी आँख भरकर बिहारी जी के दर्शन नहीं कर सकता तांकि भक्तों के साथ बिहारी जी की आँखे चार ना हो जाए. इस लिए उन्हे पर्दे  में रखकर क्षणिक झलक ही दिखाई जाती है. पुजारियों का एक समूह दर्शन के वक्त बाँके बिहारी जी के सामने पर्दा खिंचता -गिराता रहता है. 

दंत कथाओ के अनुसार बहुत बार बाँके बिहारी अपने भक्तों के साथ चले जाते है और मंदिर से गायब हो जाते है. 
एक दंत कथा के अनुसार उनकी एक भक्तमती की बड़ी इच्छा थी की वह वृन्दावन जाकर बाँके बिहारी जी के दर्शन करे. उस ने अपने पति को मनाया और दोनों कुछ दिनों के लिए वृन्दावन धाम आ गए. वह सुबह-शाम बिहारी जी के दर्शन करते. जब जाने का दिन आया तो भक्तमती ने कहा , " प्रभु, मैं चाहती हू आप भी मेरे साथ चले."
जब वह घोड़ा -गाड़ी से रेलवे स्टेशन जा रहे थे तो प्रभु गो बालक के रुप में उन्हे साथ ले जाने की प्रार्थना करने लगे.
उधर मंदिर के पुजारी ने भगवान को गायब पाया तो वह भक्तमती के पीछे- पीछे भागे.
उस पुजारी ने देखा की भगवान उन के साथ घोड़ा- गाड़ी में बैठे हुए है. पुजारी जी ने बिहारी जी से मंदिर वापिस चलने का आग्रह किया. उन का आग्रह मानकर बिहारी जी जो गो बालक के रुप में थे अचानक गायब हो गए और मंदिर में वापिस चले गए. 

बाँके बिहारी जी की लीला देखकर भक्त और भक्तमती ने वहा वृन्दावन में ही रहने का निर्णय लिया. बिहार जी की लीला की ऐसी बहुत सी कथाएँ हैं जब बिहारी जी का विग्रह गायब हो गया.

इस कारण ही उन को पर्दे में रखने का निर्णय लिया गया.  कितने ही भक्तों ने उनके साक्षात दर्शन किए है.


  • बांके बिहारी मंदिर में कुछ खास नियम है

  • केवल जन्माष्टमी वाले दिन ही यहां मंगला आरती होती है, पूरे साल नहीं.
  • अक्षय तृतया के दिन चरण दर्शन होते है बाकी दिन चरण ढके रहते .
  • केवल शरद् पूर्णिमा के दिन बांसुरी धारण करते है.
  • केवल सावन हरियाली तीज के दिन झूले पर बैठते .

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