ANGUTHA CHHAP motivational story अंगूठा छाप

 अंगूठा छाप एक प्रेरणादायक कहानी जो इस कथन को सत्य करती है कि ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है.

एक बार एक रघु नाम प्रेरणादायक लडका था. उस के माता- पिता नहीं थे. मंदिर में ढोलकी बजा कर जो पैसे मिलते उस से अपना गुजारा करता.

एक दिन जिस सेठ ने मंदिर बनवाया था उस की मृत्यु हो गई. और मंदिर का संचालन उसके बेटे के पास आ गया. जो विदेश से पढ़  कर आया था. उसने एक नियम बना दिया कि मंदिर का कोई भी कर्मचारी अंगूठा छाप नहीं होना चाहिए. वह कोरा अनपढ़ था. इस लिए उस की नौकरी चली गई.                    

रघु जो संतोख से जिंदगी जी रहा था अब भगवान को उलाहना देता है ,अपने मुझे अंगूठा छाप क्यों बनाया. मंदिर में आने वाले भक्तों को उस की नौकरी चली जाने का दुख होता था. तो कुछ भक्तों ने मिलकर मंदिर के सामने खाली पडी़ जमीन पर पूजा में काम आने वाला धूप, अगरबत्ती, प्रसाद आदि का ठेला लगवा दिया. 


                      


उसके पिता मरने से पहले धूप- अगरबत्ती बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे. उसने अपने पिता से धूप अगरबत्ती बनाना सिखा था. अपनी ठेले पर बेचने वाले धूप वह स्वयं बनाता जिस की सुगंध पूरे घर या मंदिर को मंगलमय बना देती.


धीरे धीरे उस के धूप अगरबत्ती की मांग बढ़ने लगी, ओर वह धीरे धीरे तरक्की करता रहा.  25 साल  बाद उस मंदिर का प्रबंध किसी ओर के पास आ गया. उस ने मंदिर का नवीनीकरण कराने की सोची.उस के लिए बहुत पैसे की जरूरत थी. इस लिए चंदा इकट्ठा करने की सोची गई. 

चंदा लेने के लिए जब मंदिर के लोग उसके पास पहुंचे तो उसने 5 लाख का चैक भरकर उस पर अंगूठा लगा दिया. किसी ने उस से पूछा, "आप ने यह चैक स्वयं भरा तो उस पर अंगूठा क्यों लगाया? "

उस ने जवाब दिया, " भगवान को शुक्रिया अदा करने के लिए उसने अंगूठा लगाया है कि भगवान जो करता है अच्छे के लिए ही करता है ".

वह बोला मैं समझा नही ं.

उस ने उसे बताया कि, " जिस मंदिर के लिए तुम मुझ से चंदा मांगने आए हो उस मंदिर में मैं पहले ढोलकी बजाने  का काम करता था. मेरे अंगूठा छाप होने की वजह से मुझे मंदिर से निकाल दिया गया. 

मंदिर से निकाल देने पर मैंने धूप-अगरबत्ती की दुकान खोली और बाद में उस का कारखाना. मेरी शादी हो गई और  मुझे  मेरी पत्नी ने पढ़ने के लिए प्रेरित किया. मैं पढ़ लिख तो गया और अब मैं BA  पास हू. मैं अब भी अंगूठा भगवान को शुक्रिया अदा करने के लिए लगता हूं. अगर उस समय भगवान ने मुझे अंगूठा छाप ना बनाया होता तो मैं शायद आज भी किसी मंदिर में ढोलकी बजा   रहा होता"

 अगर आज आप को भगवान ने मुसीबत में डाला है तो शायद उस मे आपके आने वाले सुनहरे भविष्य की नींव रखी है. इसलिए तो कहते हैं कि भगवान जो करता है अच्छे के लिए ही करता है.

" जीवन का सूत्र " जो सिद्ध करती है कि परेशानी कई बार उतनी बड़ी नहीं होती जितनी हम समझ लेते 



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