BADRINATH BRAMHA KAPAL ME PIND DAAN KYUN KARTE HAI बद्रीनाथ ब्रह्म कपाल में पिंड दान
उत्तराखंड में भगवान बद्रीनाथ के चरणों में ब्रह्म कपाल है। स्कंद पुराण के अनुसार इस स्थान पर पिंडदान करने का फल गया जी, पुष्कर, हरिद्वार, काशी में किए गए पिंडदान से 8 गुना ज्यादा फलदाई माना गया है। ब्रह्मकपाल में पितरों को मोक्ष मिल जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार ब्रह्म कपाल में जो अपने पितरों का पिंडदान व तर्पण करता है उसके कुल के सभी पित्र मुक्त होकर ब्रह्मलोक को जाते हैं।
यहां पर पिंडदान करने पर और कहीं पिंडदान करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ श्राद्ध पक्ष में पितरों की मृत्यु की तिथि पर किसी ब्राह्मण को भोजन करना होता है।
मान्यता है कि पितृपक्ष में पित्र लोक के द्वार खुलते हैं। सभी पित्र देव अपने-अपने पुत्र आदि के घर जाकर स्थिर हो जाते हैं। अपने निमित्त किए गए तर्पण भोजन आदि का इंतजार करते हैं। श्राद्ध कर्म नहीं की जाने पर रुष्ट होकर वापस चले जाते हैं, और मानव जीवन में कठिनाइयों का दौर शुरू हो जाता है। श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है इसलिए इस कार्य में श्रद्धा बहुत आवश्यक है।
भगवान शिव को जहां मिली थी ब्रहम हत्या से मुक्ति
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी अपनी मानस पुत्री पर मोहित हो गए ।उनके इस कृत्य को देखकर भगवान शिव ने त्रिशूल से ब्रह्मा जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। तब से ब्रह्मा चतुर्मुखी कहलाते हैं। पहले उनके पाँच सिर थे।
ब्रह्मा जी का सिर भगवान शिव के त्रिशूल से चिपक गया, और उन्हें पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा दिया। भगवान शिव जी कई तीर्थ स्थलों पर गए, लेकिन उन्हें ब्रह्म हत्या से मुक्ति नहीं मिली। बद्रीनाथ पहुंचकर ब्रह्मा जी का कपाल (सिर) शिव जी के त्रिशूल से छूट कर अलकनंदा नदी के समीप जा गिरा। इसलिए इस स्थान को ब्रह्म कपाल के नाम से जाना जाता है। इसी स्थान पर भगवान शिव को ब्रहम हत्या से मुक्ति मिली थी।
कहते हैं कि पितरों की कामना होती है कि उनके वंश से कोई भी संतान बद्रीनाथ में जाकर उनका पिंड दान करें। वह मुक्त होकर बैकुंठधाम जा सके।
ऐसी मान्यता है कि ब्रह्म कपाल में रविवार को श्राद्ध करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है, सोमवार को सौभाग्य की, मंगलवार को करने से विजय प्राप्त होती है, बुधवार को श्राद्ध करने से कामा सिद्धि होती है, गुरुवार को धन लाभ और शनिवार को करने से दीर्घायु प्राप्त होता है।
पांडवों ने गोत्र हत्या से मुक्ति के लिए यहां किया था पिंड दान।
मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के पश्चात पांडवों ने गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए ब्रह्म कपाल में अपने पितरों का पिंडदान किया था।
ALSO READ MORE
सीता माता द्वारा गया जी में पिंडदान
गया जी में श्राद्ध क्यों करते हैं
बद्रीनाथ बह्म कपाल में श्राद्ध क्यों करते हैं
श्राद्ध में क्या करना चाहिए और क्या नहीं
Comments
Post a Comment