EKNATH MAHARAJ KI PITAR PUJAN KE KAHANI एकनाथ जी महाराज की पित्र पूजन की कहानी

 एकनाथ जी महाराज उच्च कोटि के संत थे। एक बार श्राद्ध के दिनों में एक नाथ जी महाराज के घर पर ब्राह्मणों के लिए भोजन बन रहा था। 

तभी उसी समय कुछ गरीब भिखारी वहां से गुजरे। उन को बहुत अच्छी खुशबू आई। वह आपस में चर्चा करने लगे आज श्राद्ध है,अच्छा भोजन मिलेगा उनमें से एक कहने लगा, "पहले तो ब्राह्मणों को भोजन मिलेगा फिर जो बचेगा वह हमें मिलेगा।" 

यह  सुन कर एकनाथ जी महाराज ने अपनी पत्नी गिरजा बाई से कहा कि, "इन गरीबों में भी भगवान बसते हैं। उन्होंने कभी भी खानदानी ढंग से भोजन नहीं किया होगा। मैं चाहता हूं कि मैं यह भोजन  पहले गरीबों को करवा दूं, क्या तुम फिर से,ब्राह्मणों के लिए फिर से भोजन बना दोगी। " 

तो गिरजा बाई ने हां कर दी। एकनाथ जी महाराज ने बड़ी श्रद्धा से वह भोजन उन गरीबों को करवा दिया। और उसके बाद गिरजा बाई  ने फिर से नहा धो कर, चौका साफ करके ब्राह्मणों के लिए भोजन बनाने में लग गई. 

लेकिन तब तक पूरे गांव में यह बात कि फैल  कि "एकनाथ ने ब्राह्मणों के लिए बना भोजन किसी और को खिला दिया ".इसे ब्राह्मणों का अपमान माना गया और यह निश्चय किया गया कि कोई भी एकनाथ महाराज के घर भोजन करने नहीं जाएगा। दो लट धारी ब्राह्मण वहाँ खड़े कर दिए गए ताकि कोई भी एकनाथ महाराज के घर भोजन करने ना जा सके। 

जब भोजन तैयार हो गया और एकनाथ महाराज को पता चला कि कोई भी ब्राह्मणों के घर भोजन करने वाला नहीं है। उन्होंने अपनी संकल्प शक्ति और तप शक्ति से जो ब्राह्मण नहीं आ रहे थे, उनके दादा, पिता, चाचा और परिवार के बाकी लोगों का आह्वान  किया जो  पित्र बन चुके थे।  वह सब प्रकट हो गये. उनसे एकनाथ जी ने कहा आप मेरे यहां भोजन ग्रहण करे.

फिर वह सब ब्राह्मण एक पंक्ति में बैठकर भोजन करने लगे जब आचमन के समय गाए जाने वाले श्लोक की आवाज बाहर खड़े लट धारी ब्राह्मणों के कानों में पड़ी। "हमने तो किसी को अंदर जाने नहीं दिया ,तो यह एकनाथ किस को भोजन करा रहा है", वह सोचने लगे.

जब उन्होंने दरवाजे के भीतर देखा तो दंग रह गए अंदर ब्राह्मणों की पंक्ति लगी थी .  जिस में उनके चाचा ,,दादा और गाँव के कई लोगों के पित्र वहाँ मौजूद थे। वह दौडे और सभी गांव वालों को यह खबर दी कि हमारे पितर एकनाथ के घर श्राद्ध का भोजन कर रहे हैं। सब लोग वहाँ जमा हो गए। उस समय एक नाथ जी महाराज उन्हें विदाई दे रहे थे.

उस समय सब ने एकनाथ महाराज जी से माफी मांगी। एकनाथ महाराज जी उच्च कोटि के ब्राह्मण थे, इसलिए उन्होंने सब को माफ कर दिया. एक  सच्चा योगी अपनी संकल्प शक्ति से पितरों को भी अपने सामने प्रकट कर सकता हैं.

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