HEERA KI PARAKH JOHRI HI JANTA HAI

हीरे की परख जौहरी ही जानता है(motivational story for students in hindi)


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एक बार एक व्यक्ति था वह सबकी मदद किया करता था .लोगों की मदद करके उसे अच्छा लगता था, उसकी मदद के बदले जब लोग उसकी तारीफ करते हैं तो उसे अच्छा लगता था .

एक बार जब वह चौराहे से जा रहा था तो कुछ लोग उसके बारे में बातें कर रहे थे कि वह जो सब लोगों की मदद करता है ,उसके पीछे उसका कोई स्वार्थ होगा.लोग उसके बारे में बुरी- बुरी बातें कर रहे थे जिससे का दिल टूट गया .

वह सोचता है कि इतनी मदद करने के बाबजूद भी लोग उसकी बुराई कर रहे हैं .इससे अच्छा तो मैं मर ही जाऊं .उसकी पत्नी और दोस्त उसे बहुत समझाते हैं लेकिन नकारात्मकता उसके दिल में घर कर जाती है उसे लगता है जिंदगी का कोई अर्थ नहीं है मैं मर ही जाऊं.

उसका मित्र उसे अपने गुरु से मिलाता है .वह जाकर गुरुजी को पूछता है कि,"इस जीवन का क्या अर्थ है". लोगों की मदद की क्या हासिल हुआ. लोग फिर भी मेरी बुराई कर रहे हैं इसलिए मैं मरना चाहता हूं.

गुरु जी कहते हैं ठीक है तुम ने इतने लोगों की मदद की है तो मरने से पहले मेरी भी एक मदद कर दो .मेरे पास पत्थर हैं वो कम से कम 50 व्यापारियों  को दिखाकर उसका मूल्य लगवा दो .लेकिन इस पत्थर को बेचना नहीं .गुरु के कहने पर वह चला तो जाता है लेकिन सोचता है काम दिया भी तो कितना अटपटा पत्थर का मूल्य लगवाने का.

सबसे पहले सब्जी वाले के पास जाता है वह कहता है इसके बदले में 1 किलो सब्जी दे दूंगा .कुम्हार के पास जाता है तो वह कहता है चल भाग जहां से मेरे पास तो आगे ही मिट्टी पत्थर पड़े हैं .कोई व्यापारी करता है कि जरूरतमंद लगते हो एक रुपया दे दूंगा और दूसरा कहता है दो रुपये दे दूंगा . सबसे आखिर में जौहरी की दुकान पर जाता है.

जौहरी को पत्थर दिखाकर कहता है कि इसका मूल्य बता देंगे. जौहरी गौर से देख कर कहता है मेरी पूरी दुकान भी बिक जाए तो भी मैं इस पत्थर को नहीं खरीद सकता. इस पत्थर को केवल राजा ही खरीद सकता है.      

वापिस आकर गुरु जी को सारी बात बताता है . गुरु जी कहते हैं कि वह जौहरी ठीक कह रहा था. यह पत्थर मुझे राजा ने ही दिया था .एक बार मैंने राजा की समस्या का समाधान किया था ,तो उन्होंने मुझे दिया था.तुम तो जानते हो मुझे इन वस्तुओं का मोह नहीं है.

तुम्हें मैंने पत्थर का मूल्य लगवाने इसलिए भेजा था कि तुम्हें इस सत्य का एहसास हो कि जैसे इस पत्थर कीमत केवल जौहरी ही लगा पाया, बाकी सब के लिए या तो बेकार था, या फिर इसका मुल्य एक या दो रुपये था.


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इसी तरह तुम्हारी कीमत केवल तुम्हारे परिवार वाले जानते हैं दुनिया वाले नहीं .तुम उनके लिए बहुमूल्य हो ,तुमने लोगों की बातों में आकर खुद को बेकार समझ लिया .तुम्हें इस बात का एहसास ही नहीं रहा तुम्हारे मरने की बात सुनकर तुम्हारे परिवार वालों को कितना दुख हुआ होगा . इसलिए अगर दूसरों की मदद करनी है तो निस्वार्थ भाव से करो. तारीफ या चापलूसी के लिए नहीं .

शिक्षा - ईश्वर ने तुम्हें जो जीवन दिया है उसे तुम इस पत्थर की तरह बहुमूल्य बनाओ.

Motivational story for students in hindi

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Comments

  1. Good information excellent writting sir, please hamara article zaroor padiye jo hamne likha hai topic Vrindavan ke prasidh mandir

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