SITA MATA NE KYUN DIYA GAYA JI me falgu nadi, katki ke phool aur gaay ko shrap

 पढ़े सीता माता ने गया जी में क्यों दिया फल्गु नदी, केतकी के फूल और गाय को श्राप और वटवृक्ष को वरदान


बाल्मीकि रामायण के अनुसार सीता माता जी द्वारा राजा दशरथ को गया जी में पिंड दान दिया गया था .श्री राम लक्ष्मण और सीता जी पिंडदान करने के लिए गया जी पहुंचे .श्राद्ध कर्म की आवश्यक सामग्री जुटाने के लिए श्री राम और लक्ष्मण नगर में चले गए .उसी समय दशरथ जी की आत्मा ने पिंडदान की मांग की.                

सीता माता ने फल्गु नदी, वटवृक्ष, केतकी फूल और गाय को साक्षी मानकर स्वर्गीय दशरथ जी के निमित्त बालू का पिंड दिया.जब राम और लक्ष्मण जी वापिस आए तो सीता माता ने उन्हें बताया कि उन्होंने दशरथ जी को पिंडदान कर दिया है .श्राद्ध कर्म की गवाही देने के लिए सीता माता ने फल्गु नदी ,गाय और केतकी के फूल ,वट वृक्ष को कहा .लेकिन वटवृक्ष के अलावा और किसी ने भी उनके पक्ष में गवाही नहीं दी. 

सीता माता ने उन तीनों को श्राप दे दिया .फल्गु नदी से कहा तू नाम की नदी रहेगी तुम में पानी नहीं रहेगा इसलिए आज भी फल्गु नदी सूखी है .गाय को श्राप दिया तो पूजनीय होकर भी जूठन खाएगी.केतकी के फूल को श्राप दिया तुझे पूजा में कभी नहीं चढ़ाया जाएगा.

वटवृक्ष ने सीता माता के पक्ष में गवाही दी थी जिसको श्री राम जी ने माना कि सीता जी ने दशरथ जी को पिंडदान किया है .वटवृक्ष को सीता माता से आशीर्वाद मिला कि तुम को लंबी आयु प्राप्त होगी .पतिव्रता स्त्री तेरा ध्यान अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए करेंगी.फल्गु नदी में पानी के अभाव के कारण आज भी बालू या रेत का पिंड दान दिया जाता है.

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