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Showing posts from October, 2020

SHRI KRISHANA KI BAAL LEELA श्री कृष्ण की बाल लीलाएँ

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 श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की कथा  श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। श्री कृष्ण का जन्म अत्याचारी कंस का वध‌ करने के लिए हुआ था। जब कंस को पता चला कि देवकी और वसुदेव का आठवां पुत्र उसका वध‌ करेगा तो कंस ने दोनों को कारागार में बंद कर दिया और उनके छः पुत्रों का वध‌ कर दिया। जब सातवीं बार देवकी गर्भवती थी तो भगवान ने योगमाया से कह कर उसे वासुदेव जी की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया। श्री कृष्ण ने भाद्रपद मास में जन्म लिया उनके जन्मदिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। वसुदेव जी भगवान के कहने पर उन्हें नंद और यशोदा जी की पुत्री योग माया से बदल लाएं। श्री कृष्ण ने नंद बाबा और यशोदा जी को कई लीला दिखाई और गोकुल और वृन्दावन में बहुत सी लीला की। पूतना का वध करना  कंस को जब योग माया ने बता दिया कि तुमै मारने वाला गोकुल में पैदा हो चुका है तो कंस ने  श्री कृष्ण को मारने के लिए पूतना राक्षसी को भेजा। शकटासुर और तृणावर्त राक्षस का वध पूतना के वध के पश्चात कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए शकटासुर और तृणावर्त नामक राक्षसों को मारने के लिए भेजा।  मा

KARAM HI INSAAN KO MAHAN OR DUSHT BANATE HAI कर्म ही है जो इंसान को महान और दुष्ट बनाते हैं

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Hindi Moral story   कहते हैं इंसान अच्छा या बुरा नहीं होता उसके कर्म उसे अच्छा या बुरा बनाते हैं. ऐसा  ही इस कहानी में हुआ.    एक चित्रकार था . वह बहुत जीवंत चित्र बनाता था .  वह जिस मंदिर में दर्शन करने जाता था वहां पर उसे किसी ने श्री कृष्ण और कंस का चित्र बनाने के लिए कहा. उसने कहा पहले मैं श्री कृष्ण का चित्र बनाऊंगा फिर कंस का चित्र बनाऊंगा.  उसने चित्र बनाने के लिए एक बच्चे का चयन किया जो श्री कृष्ण के स्वरूप में उसके सामने खड़ा रहेगा . उस ने कमाल का चित्र बनाया मानो अभी बोल पड़ेगा . फिर बारी आई कंस का चित्र बनाने की  चित्र बनाने के लिए कई लोगों को उसके सामने खड़ा किया गया. लेकिन उसे कोई भी उसे कंस के व्यक्तित्व के हिसाब से ठीक नहीं लगा.  कुछ दिन बाद चित्रकार की नौकरी विदेश में लग गई और वह बाहर चला गया और वह चित्र अधूरा रह गया .  बहुत सालों बाद वह फिर मंदिर में आया. उसने उस चित्र के बारे में मंदिर प्रबंधन से पूछा .  उन्होंने कहा कि अभी भी स्टोर रूम आधी बना हुई पेंटिंग पड़ी हुई है . अब आप वापस आए हैं तो उस पेंटिंग को पूरा कर दीजिए .  समस्या फिर वही थी कंस के रूप में किसे सामने खड़

SAINT KABIR KI MOTIVATION STORY

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  संत कबीर और उनकी पत्नी के आपसी तालमेल की कहानी  एक बार संत कबीर जी के पास एक व्यक्ति आया.  उस  व्यक्ति ने संत कबीर से पूछा, "मैंने सुना है कि आप और आपकी पत्नी आपसी तालमेल के साथ अपनी गृहस्थी बहुत प्यार और समझदारी से चलाते हैं ". जबकि मेरा और मेरी पत्नी का हर समय झगड़ा होता रहता है . घर में हर समय कलह रहती है .  मैं आपके घर साथ आपके घर जाकर देखना चाहता हूं, कि आप दोनों अपनी गृहस्थी कैसे चलाते हैं. संत कबीर ने कहा चलो ठीक है तुम मेरे साथ मेरे घर चलो .  संत कबीर और  वह व्यक्ति दोनों कबीर जी के घर पहुंचे . कबीर जी की पत्नी ने उस व्यक्ति को प्रणाम किया और अंदर चली गई. कबीर जी ने अपनी पत्नी को लालटेन जला कर लाने के लिए आवाज लगाई. संत कबीर जी की पत्नी  लालटेन जला कर ले आई.  थोड़ी देर बाद संत कबीर जी ने अपनी पत्नी को कुछ नमकीन लाने को कहा. वह मीठा ले आई. संत कबीर ने चुपचाप मीठा खा लिया. यह देख कर वह आदमी उठकर वापस जाने लगा. कबीर जी ने पूछा, "क्या हुआ भाई ऐसे अचानक उठ कर क्यों चल पड़े "?  वह आदमी कहने लगा कि, "मैं तो आप दोनों से गृहस्थी चलाने के गुर सीखने आया था"

ZINDAGI ❤ - LIFE❤

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अपनी जिंदगी से प्यार माँ की तरह करना चाहिए जैसे एक बच्चे के लिए उसकी माँ से सुंदर और कोई नहीं होता. माँ उसके लिए ईश्वर की सबसे अनमोल देन है. वैसे ही अपनी जिंदगी को ईश्वर की अनमोल देन समझना चाहिए.   कुछ लोग थोड़ी सी परेशानी आने पर ईश्वर को उलाहना देना शुरू कर देते हैं. लेकिन ईश्वर ने उन्हें जो सहज ही दिया है उसे भूल जाते हैं. किसी ने क्या खूब कहा है कि शुक्र है मेरी जिंदगी में रूकावटें है इसका मतलब मैं जिंदा हूं क्योंकि मुर्दों के लिए तो लोग रास्ता छोड़ दिया करते हैं.  पढ़े जिंदगी से प्यार करने की एक छोटे से बच्चे की जिंदा दिली की कहानी एक बार एक नौजवान ने कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद अपना बिजनेस शुरू किया.सब कुछ अच्छे से चल रहा था. फिर एक बड़ी कंपनी के लिए काम करने का मौका मिला .उसके लिए उसके पास पैसे नहीं थे .उसने बैंक से बहुत सारे लोन लिया और अपना कॉन्ट्रैक्ट  पूूूरा किया,लेकिन कंपनी को माल पसंद नहीं आया और डील कैंसिल हो गई.  जिसके कारण उसकी सारी प्रॉपर्टी बिक गई और वह डिप्रेशन में चला गया.उसे लगा सब कुछ खत्म हो गया और नकारात्मकता उसके मन में घर कर गया गई. उसे हर समय आत्महत्या करने का

TULSIDAS JI NA RAMCHRITMANAS ki rachna kab aur kyun ki

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    तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस  के बारे माना जाता है इस कि चौपाइयों में मंत्र तुल्य शक्तियां हैं . तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना कब और क्यों की  तुलसीदास जी की  श्री राम के प्रति श्रद्धा   तुलसीदास जी एक महान हिंदू संत, समाज सुधारक ,दर्शनशास्त्री और भक्तिरस के कवि माने जाते है. तुलसीदासजी परम राम भक्त थे. उनकी राम जी के प्रति श्रद्धा उनके जन्म से ही दिख गई थी. माना जाता है कि अपने जन्म के समय वह रोए नहीं थे. उन्होंने पहला अक्षर राम बोला था इसलिए उनका नाम रामबोला पड  गया.   उनके गुरु ने उन्हें राम नाम के गुरु मंत्र की दीक्षा दी थी. सबसे पहले उन्होंने ने राम जी का चरित अपने गुरु से ही सुना था.   पत्नी द्वारा धिक्कारे जाना    रामचरितमानस की रचना अपनी पत्नी के  द्वारा धिक्कारे जाने के बाद की थी . जब उनकी पत्नी मायके गई थी तो वह भी उनके पीछे-पीछे चले गए  और कहा जाता है कि वह सांप को रस्सी समझ कर दीवार पर चढ़ गए थे.उनकी पत्नी ने उनकी आसक्ति के लिए उन्हें धिक्कारा  और कहा कि, "इतना प्रेम अगर भगवान के प्रति दिखाया होता तो तुम्हारा बेड़ा पार हो जाता". इससे तुलसीदास जी

नवरात्रि की शुभ कामनाएं

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TULSIDAS JI KA JIVAN PARICHAY

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तुलसीदास जी का जीवन परिचय  गोस्वामी तुलसीदास जी भारतीय साहित्य के महान कवि माने जाते हैं। उन्होंने बहुत से ग्रंथ लिखे लेकिन रामचरितमानस उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है जिस को उन्होंने अवधि भाषा में लिखा था।   तुलसी दास जी की जन्म तिथि तुलसीदास जी का जन्म संवत 1558 की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में हुआ.  तुलसी दास जी के माता -पिता तुलसीदास जी के पिता का नाम आत्माराम दुबे था.जो की सरयूपारीण ब्राह्मण थे . उनकी माता का नाम हुलसी  था.  जन्म स्थान कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका जन्म प्रयाग के पास बांदा जिले में राजापुर नाम के गांव में हुआ था. लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि तुलसीदास जी का जन्म सोरों शुकरक्षेत्र में हुआ था.   तुलसी दास जी अद्भुत बालक  तुलसीदास जी 12 महीने अपनी मां के गर्भ में रहे थे . जन्म के समय वह रोए नहीं थे . उनके मुख में से पहला अक्षर राम निकला था और उनके मुख में 32 दांत मौजूद थे . माना जाता है कि अद्भुत बालक को देखकर माता - पिता अमंगल की आशंका से डर गए थे .उनकी मां ने दशमी तिथि की रात को अपनी दासी चुनिया को इस बालक को  हरिपुर उसके ससुराल ले जाने को

SHRI RAM BHAKT KA PERSANG श्री राम के भक्त का प्रसंग

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एक बार राम कथावाचक थे .उनका मानना था कि जहां भी रामकथा होती है वहां हनुमान जी सुनने जरूर आते हैं. इसलिए वह जहां भी राम  कथा करने जाते हनुमान जी को निमंत्रित करते .'कहते 'आइए हनुमान जी विराजे '  एक बार वह कही कथा करने गए हुए थे. वहां पर एक सज्जन ने राम कथा वाचक को ऐसा करते देखा. उनके दिमाग पर तर्क हावी  हो गया . कहने लगे आप जो कहते हैं ,'आइए हनुमान जी विराजे' तो क्या सच में हनुमान जी आते हैं . राम कथावाचक कहने लगे यह मेरी आस्था है ,कि हनुमान जी जहां रामकथा होती है वहा जरूर आते हैं . इसलिए मैं  हनुमान जी को गद्दी पर आमंत्रित करता हूं. राम कथावाचक कहने लगे कि आस्था को तर्क की कसौटी पर नहीं परखना चाहिए.  लेकिन वह सज्जन जिद पर अड़ गए , कि आपको अपनी आस्था साबित करनी होगी कि सच में हनुमान जी आते हैं . क्योंकि आप जहां भी जाते होंगे सब जगह ऐसा ही बोलते होंगे . कथावाचक ने बहुत समझाया मानो तो भगवान नहीं तो पत्थर . आप कहे तो मैं जहां कथा करनी छोड़ दूं,  लेकिन वह सज्जन नहीं माना और  राम कथा वाचक कहने लगे ठीक है .मैं कल साबित करूंगा, कि हनुमानजी आकर गद्दी पर बैठते हैं .आप आज रात

माँ दुर्गा की उत्पत्ति

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माना जाता है कि नवरात्रि में मां पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच में रहती है. इस लिए भक्त माँ दुर्गा को खुश करने के लिए पाठ पूजा करते हैं. माँ की आरती, चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और माँ की भेंटे गाते हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा इस लिए की जाती है, क्योंकि माँ दुर्गा ने नौ दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर का वध किया था. माँ दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई एक बार महिषासुर  राक्षस ने कठिन तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमर होने का एक वरदान मांगा. ब्रह्मा जी ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा . बह्म जी ने कहा किसी को भी अमर होने का वरदान नहीं मिल सकता. उसने कहा कि मेरी मृत्यु केवल स्त्री के हाथों से हो ब्रह्मा जी ने उसे वह वरदान दे दिया.  महिषासुर सोचने लगा कि वह अमर हो गया है . महिषासुर ने देवताओं के अधिकार  छीन लिए और स्वर्ग लोक का मालिक बन गया और देवताओं को पृथ्वी लोक पर विचरण करना पड़ा . जब देवता असुरों के अत्याचार से तंग आ चुके थे ,तो ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्य राज की मौत केवल कुवांरी कन्या के हाथों से होगी.  सभी देवताओं ने मिलकर अपनी शक्तियों से देवी को प्रकट किया .सभी देवताओ

SAPNE ME MAA DURGA, MANDIR AUR SHER DEKHA माँ दुर्गा

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सपने में माँ दुर्गा को देखना, माँ के मंदिर को देखना और माँ के शेर को देखने का क्या फल होता है. दुर्गा अपने भक्तों की मुरादे पूरी करती है. सपने में देवी मां दुर्गा शेर पर सवार दिखाई देती है तो फिर यह समझना चाहिए कि भविष्य के आने वाले दिनों में  आप जो भी कर रहे हैं उस कार्य में आपको सफलता मिलेगी .  अगर  माँ दुर्गा लाल कपड़ों में मुस्कुराती हुई नजर आए ,तो समझना चाहिए कुछ अच्छा होने वाला है . बुरे दिन खत्म होने वाले हैं . सपने में मां दुर्गा का मंदिर दिख जाए ,तो समझना चाहिए कि मां दुर्गा आप पर प्रसन्न है .  मां दुर्गा की मूर्ति देखने का मतलब है कि माँ की दृष्टि आप पर है .माँ का आशीर्वाद हर समय आपके साथ हैं आपके संकट खत्म होने वाले है .  सपने में मां दुर्गा क्रोधित दिखाई देती है तो यह शुभ संकेत नही है . आप को समझ जाना चाहिए कि आप कुछ ऐसा गलत कर रहे हैं जिसके कारण माँ दुर्गा आपसे क्रोधित है. अगर मां का आपको ऐसा सपना आता है तो आपको अपनी गलती सुधार लेना चाहिए.   सपने में मां दुर्गा को लड़ते हुए देखना.  जिस व्यक्ति को यह सपना आता है उसे समझ लेना चाहिए  कि वह हर तरह की परिस्थिति से लड़ने के लिए

HANUMAN CHALISA AMAZING FACT

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हनुमान चालीसा से जुड़े रोचक तथ्य  हनुमान चालीसा का पहला दोहा और कहां लिखा गया है?  श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि वरनउं रघुवर बिमल जसु, जो दायक फल चारि तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के अयोध्या कांड में भी लिखा गया है।  हनुमान चालीसा में किन स्त्रियों का वर्णन है?  हनुमान चालीसा में हनुमान जी की माता अंजनी  और माता सीता का   नाम है। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा राम लखन सीता मन बसिया   तुलसीदास जी कहते हैं कि हनुमान जी की के हृदय में राम लक्ष्मण और सीता जी बसते हैं। हनुमान चालीसा बच्चों को क्यों पढ़ना चाहिए ?  हनुमान चालीसा एक ऐसी पुस्तक है जिसे पढ़ना बच्चे को बहुत पसंद है, बहुत से बच्चों के आदर्श हनुमान जी होते हैं, क्योंकि हनुमान जी के पास अतुलित शक्तियाँ हैं। बच्चे हनुमान जी के चरित्र से बहुत आकर्षित होते हैं। हनुमान जी और गणेश जी ज्यादातर बच्चों के प्रिय भगवान माने जाते हैं। हनुमान चालीसा बच्चों के लिए पढ़ना बेहद फलदायी है, क्योंकि बच्चों को सबसे ज्यादा बल बुद्धि और विद्या की जरूरत होती है। अगर बच्चे पूरा हनुमान चालसा ना पढ़ पाए तो उन्हें इस चौपाई का पाठ करना चाहिए।

ACHLESHWAR DHAM TEMPLE BATALA

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अचलेश्वर धाम पंजाब राज्य के बटाला जिला गुरदासपुर का पवित्र तीर्थ स्थल ही. पंजाब राज्य के जिला गुरदासपुर के बटाला से 7 km की दूरी पर अचलेश्वर महादेव एक पवित्र तीर्थ स्थान है . यह भारत के उन गिने-चुने तीर्थ स्थानों में से एक हैं जो जितना हिंदुओं के लिए आस्था का प्रतीक है , उतना ही सिखों के लिए भी पवित्र है . इसके एक तरफ जहां  अचलेश्वर धाम मंदिर है , दूसरी तरफ  सिखों का पवित्र गुरुद्वारा  अच्चल साहब है. जो दोनों धर्मों के आपसी भाईचारे को दर्शाता है. अचलेश्वर धाम का इतिहास एक  पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और मां पार्वती ने  गणेश जी और कार्तिक जी में से एक को उत्तराधिकारी बनाने का निर्णय किया.  इस के बारे में गणेश और कार्तिक जी को अवगत कराया ,और कहा कि जो भी तीनों लोकों की परिक्रमा करके पहले  कैलाश पहुंचेगा ,उसे अपना उत्तराधिकारी बनाएंगे . कार्तिक जी मोर पर सवार होकर आकाश मार्ग से तीनों लोकों का चक्कर लगाने निकले .गणेश जी चूहे पर सवार होकर निकले तो गणेश जी को रास्ते में नारद जी ने  मिले. गणेश जी ने नारद जी को  भगवान शिव और पार्वती के  निर्णय के बारे में