ACHLESHWAR DHAM TEMPLE BATALA
अचलेश्वर धाम पंजाब राज्य के बटाला जिला गुरदासपुर का पवित्र तीर्थ स्थल ही.
पंजाब राज्य के जिला गुरदासपुर के बटाला से 7 km की दूरी पर अचलेश्वर महादेव एक पवित्र तीर्थ स्थान है . यह भारत के उन गिने-चुने तीर्थ स्थानों में से एक हैं जो जितना हिंदुओं के लिए आस्था का प्रतीक है , उतना ही सिखों के लिए भी पवित्र है . इसके एक तरफ जहां अचलेश्वर धाम मंदिर है , दूसरी तरफ सिखों का पवित्र गुरुद्वारा अच्चल साहब है. जो दोनों धर्मों के आपसी भाईचारे को दर्शाता है.
अचलेश्वर धाम का इतिहास
कार्तिक जी मोर पर सवार होकर आकाश मार्ग से तीनों लोकों का चक्कर लगाने निकले .गणेश जी चूहे पर सवार होकर निकले तो गणेश जी को रास्ते में नारद जी ने मिले. गणेश जी ने नारद जी को भगवान शिव और पार्वती के निर्णय के बारे में बताया. नारदजी ने कहा भगवान शिव और मां पार्वती के चरणों में तीनों लोक हैं .ऐसा सुनकर गणेश जी वापिस कैलाश चले गए और अपने माता-पिता की परिक्रमा करके प्रणाम किया. भगवान गणेश की बुद्धि से प्रसन्न होकर भगवान शिव और पार्वती मां ने उन्हें उत्तराधिकारी बना दिया .
नारद जी कार्तिक जी पास पहुंचे और उन्हें सारा किस्सा सुनाया यह सुनकर कार्तिक नाराज हो गए और जहां थे वहीं अचल हो गए, यह वही स्थान है .उनको मनाने के लिए 33 करोड़ देवी देवता इस जगह पर आ पहुंचे . लेकिन कार्तिक जी ने यहीं रहने का निर्णय बताया तो भगवान शिव ने उनको अचलेश्वर महादेव का नाम देकर नवमी का अधिकारी घोषित कर दिया . और कहा कि यहां नवमी का पर्व मनाया जाएगा भगवान शिव ने वरदान दिया कि हर साल 33 करोड़ देवी देवता यहां पर आएंगे और जिन भी भक्तों की जो भी कामना होगी वह यहां पर पूरी होगी.
मान्यता है कि जो भी भक्त 40 दिन तक लगातार सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है .उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.
यहां पर एक सरोवर भी है और माना कि सरोवर में स्नान करने वालों की भी हर मन्नत पूरी होती है. दिवाली से 9 दिन बाद जहां विशाल मेला लगता है . सरोवर के बीचों बीच भगवान शिव का मंदिर है ,और किनारे पर कार्तिक जी का मंदिर है.
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