माँ दुर्गा की उत्पत्ति
माना जाता है कि नवरात्रि में मां पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच में रहती है. इस लिए भक्त माँ दुर्गा को खुश करने के लिए पाठ पूजा करते हैं. माँ की आरती, चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और माँ की भेंटे गाते हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा इस लिए की जाती है, क्योंकि माँ दुर्गा ने नौ दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर का वध किया था.
माँ दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई
एक बार महिषासुर राक्षस ने कठिन तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमर होने का एक वरदान मांगा. ब्रह्मा जी ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा . बह्म जी ने कहा किसी को भी अमर होने का वरदान नहीं मिल सकता. उसने कहा कि मेरी मृत्यु केवल स्त्री के हाथों से हो ब्रह्मा जी ने उसे वह वरदान दे दिया.
महिषासुर सोचने लगा कि वह अमर हो गया है . महिषासुर ने देवताओं के अधिकार छीन लिए और स्वर्ग लोक का मालिक बन गया और देवताओं को पृथ्वी लोक पर विचरण करना पड़ा . जब देवता असुरों के अत्याचार से तंग आ चुके थे ,तो ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्य राज की मौत केवल कुवांरी कन्या के हाथों से होगी.
सभी देवताओं ने मिलकर अपनी शक्तियों से देवी को प्रकट किया .सभी देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने .देवताओं ने महिषासुर का नाश करने के लिए अस्त्र-शस्त्र देवी को दिए और सवारी करने के लिए शेर दिया .
सभी देवताओं के शक्तियां प्रदान करने के कारण देवी के पास अतुलित शक्तियां आ गई . मां दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा दोनों के बीच 9 दिन तक युद्ध चला. और महिषासुर का वध करने के कारण माँ का नाम महिषासुर मर्दिनी पडा़. मां दुर्गा आदिशक्ति हैं सभी देवता उनकी शक्ति से शक्तिमान होकर कार्य करते हैं.
श्रीराम ने की थी नवरात्रों की शुरुआत
जब राम जी को इस बात का पता चला कि एक पुष्प कम है, तो उन्होंने पूजा में विघ्न आए इस लिए सोचा कि लोग उन्हें कमलनयन कहते हैं , इसलिए उन्होंने अपनी एक नेत्र मां को अर्पित करने के लिए बाण निकाला तो, मां प्रकट हो गई और उनको ऐसा करने से रोका.
माँ उनकी पूजा से प्रसन्न थी इसलिए माँ ने उनको दिव्य अस्त्र दिया. मां दुर्गा से प्राप्त दिव्य अस्त्र की सहायता से राम जी ने रावण का वध कर दिया. रावण का वध भगवान ने अश्विन मास की दशमी तिथि को किया था . भगवान श्रीराम ने रावण को हराकर विजय प्राप्त की थी. इसलिए इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है.
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