SAINT KABIR KI MOTIVATION STORY
संत कबीर और उनकी पत्नी के आपसी तालमेल की कहानी
एक बार संत कबीर जी के पास एक व्यक्ति आया. उस व्यक्ति ने संत कबीर से पूछा, "मैंने सुना है कि आप और आपकी पत्नी आपसी तालमेल के साथ अपनी गृहस्थी बहुत प्यार और समझदारी से चलाते हैं ". जबकि मेरा और मेरी पत्नी का हर समय झगड़ा होता रहता है . घर में हर समय कलह रहती है .
मैं आपके घर साथ आपके घर जाकर देखना चाहता हूं, कि आप दोनों अपनी गृहस्थी कैसे चलाते हैं. संत कबीर ने कहा चलो ठीक है तुम मेरे साथ मेरे घर चलो .
संत कबीर और वह व्यक्ति दोनों कबीर जी के घर पहुंचे . कबीर जी की पत्नी ने उस व्यक्ति को प्रणाम किया और अंदर चली गई. कबीर जी ने अपनी पत्नी को लालटेन जला कर लाने के लिए आवाज लगाई. संत कबीर जी की पत्नी लालटेन जला कर ले आई.
थोड़ी देर बाद संत कबीर जी ने अपनी पत्नी को कुछ नमकीन लाने को कहा. वह मीठा ले आई. संत कबीर ने चुपचाप मीठा खा लिया. यह देख कर वह आदमी उठकर वापस जाने लगा. कबीर जी ने पूछा, "क्या हुआ भाई ऐसे अचानक उठ कर क्यों चल पड़े "?
वह आदमी कहने लगा कि, "मैं तो आप दोनों से गृहस्थी चलाने के गुर सीखने आया था". तुम दोनों तो मुझे पागल लगते हो . तुम दिन के 12:00 बजे पत्नी को लालटेन जला कर लाने को कहते हो और वह भी ले आती है . तुम नमकीन मांगते हो तो वह मीठा ले आती हैं . तुम दोनों से मुझे क्या सलाह मिलेगी?
संत कबीर ने उसे बैठने को कहा. फिर समझाया उन्होंने कहा मैंने दिन के 12:00 बजे पत्नी को लालटेन जलाकर लाने को कहा वह भी बिना सवाल किए जला कर ले आई .यह सोच कर कि मुझे जरूरत होगी इसीलिए मैंने दिन में लालटेन मंगवाई है .
मैंने नमकीन मांगी वह मीठा ले आई तो मैं समझ गया कि घर में नमकीन नहीं है इसलिए वह मीठा लाई है. तुम्हारे सामने वह बता नहीं पाई कि घर में नमकीन नहीं है.
इसी आपसी समझदारी से हमारी गृहस्थी चलती है .वह आदमी सोचने लगा कि अगर ऐसा मेरे घर में होता है तो अब तक हम दोनों पति - पत्नी का झगड़ा हो गया होता . वह आदमी समझ गया कि गृहस्थी चलाने के लिए आपसी समझदारी पति -पत्नी दोनों की तरफ से जरूरी है.
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