KARAM HI INSAAN KO MAHAN OR DUSHT BANATE HAI कर्म ही है जो इंसान को महान और दुष्ट बनाते हैं



Hindi Moral story 


 कहते हैं इंसान अच्छा या बुरा नहीं होता उसके कर्म उसे अच्छा या बुरा बनाते हैं. ऐसा  ही इस कहानी में हुआ. 

  एक चित्रकार था . वह बहुत जीवंत चित्र बनाता था .  वह जिस मंदिर में दर्शन करने जाता था वहां पर उसे किसी ने श्री कृष्ण और कंस का चित्र बनाने के लिए कहा. उसने कहा पहले मैं श्री कृष्ण का चित्र बनाऊंगा फिर कंस का चित्र बनाऊंगा.  उसने चित्र बनाने के लिए एक बच्चे का चयन किया जो श्री कृष्ण के स्वरूप में उसके सामने खड़ा रहेगा . उस ने कमाल का चित्र बनाया मानो अभी बोल पड़ेगा . फिर बारी आई कंस का चित्र बनाने की  चित्र बनाने के लिए कई लोगों को उसके सामने खड़ा किया गया. लेकिन उसे कोई भी उसे कंस के व्यक्तित्व के हिसाब से ठीक नहीं लगा. 

कुछ दिन बाद चित्रकार की नौकरी विदेश में लग गई और वह बाहर चला गया और वह चित्र अधूरा रह गया . 

बहुत सालों बाद वह फिर मंदिर में आया. उसने उस चित्र के बारे में मंदिर प्रबंधन से पूछा .  उन्होंने कहा कि अभी भी स्टोर रूम आधी बना हुई पेंटिंग पड़ी हुई है . अब आप वापस आए हैं तो उस पेंटिंग को पूरा कर दीजिए . 

समस्या फिर वही थी कंस के रूप में किसे सामने खड़ा किया जाए संयोग वश उस समय एक जेलर मंदिर में माथा टेकने आया हुआ था. उसने आधी बनी हुई पेंटिंग को देखी तो मंत्रमुग्ध हो गया .उसे जब आधी बनी पेंटिंग का कारण पता चला उसने चित्रकार से कहा आप मेरे साथ जेल में चलिए शायद वहां आपको कंस के व्यक्तित्व के हिसाब से कोई व्यक्ति जच जाए. 

चित्रकार को कैदियों  में से एक व्यक्ति उस पेंटिंग के हिसाब से ठीक लगा. उससे पूछा गया क्या तुम कंस के जैसे कपड़े पहन कर इस चित्रकार की पेंटिंग बनाने में मदद कर सकते हैं .उसने हां कर दी. 

अगले दिन चित्रकार ने पेंटिंग बनानी शुरू की और क्या कमाल की चित्र बनाया हर कोई देख कर वाह-वाह कर रहा था. वह पेंटिंग एक दम जीवंत लग रही थी . 

लेकिन जब उस कैदी को पेंटिंग दिखाई गई तो, वह फूट-फूटकर रो पड़ा . सब देखकर हैरान थे . ऐसा क्या हो गया जिस चित्र को देखकर सब खुश हो रहे हैं यह क्यों रो रहा है ? 

जब उसने कारण बताया तो हर कोई स्तब्ध रह गया. उस ने बताया कि जब कुछ साल पहले यह चित्र बनाया गया था, उस समय श्री कृष्ण के रूप में जिस 11 -12 साल के बच्चे को खड़ा किया गया था वह बच्चा मैं ही था . बुरी संगत में जाने के कारण लोगों को तंग करने में, मारने में मजा आने लगा और अपराधी बन गया. यह मेरे बुरे कर्म ही थे जिन्होंने मुझे कंस  जैसा क्रूर बना दिया.

सच कहते इंसान अच्छा या बुरा नहीं होता उसके कर्म ही उसे महान या दुष्ट बनाते हैं. कर्म फल हमारे व्यक्तित्त्व को भी दर्शाता है. कर्म फल एक ऐसी फसल है जो बीजोंगे वही पाओगे. इसलिए कर्म सोच समझ कर करे.

जय श्री कृष्णा.

ALSO READ HINDI MORAL STORIES 

अच्छे कर्मों का फल लौट कर जरूर आता है

कहानी- कर्म फल भोगना ही पड़ता है

कहानी- दृष्टिकोण

प्रेरणादायक कहानी 'जिंदगी'

Comments

Popular posts from this blog

RAKSHA SUTRA MANTAR YEN BADDHO BALI RAJA

KHATU SHYAM BIRTHDAY DATE 2023

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA