SHRI KRISHANA KI BAAL LEELA श्री कृष्ण की बाल लीलाएँ
श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की कथा
श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। श्री कृष्ण का जन्म अत्याचारी कंस का वध करने के लिए हुआ था।
जब कंस को पता चला कि देवकी और वसुदेव का आठवां पुत्र उसका वध करेगा तो कंस ने दोनों को कारागार में बंद कर दिया और उनके छः पुत्रों का वध कर दिया। जब सातवीं बार देवकी गर्भवती थी तो भगवान ने योगमाया से कह कर उसे वासुदेव जी की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया।श्री कृष्ण ने भाद्रपद मास में जन्म लिया उनके जन्मदिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।वसुदेव जी भगवान के कहने पर उन्हें नंद और यशोदा जी की पुत्री योग माया से बदल लाएं।श्री कृष्ण ने नंद बाबा और यशोदा जी को कई लीला दिखाई और गोकुल और वृन्दावन में बहुत सी लीला की।
पूतना का वध करना
शकटासुर और तृणावर्त राक्षस का वध
मां को बह्माण्ड दिखाना
एक बार खेलते - खेलते श्री कृष्ण ने मिट्टी उठाकर मुंह में रख ली. माँ यशोदा ने देख लिया. माँ ने कान्हा को मुंह खोलने के लिए कहा जब श्री कृष्ण ने अपना मुंह खोला तो मां यशोदा को पूरा बह्माण्ड दिखाई दिया.जिसे देखते ही मां यशोदा अचेत हो गई.
श्री कृष्ण को मां यशोदा द्वारा ओखली से बांधना और यमलार्जुन मोक्ष कथा
एक बार माँ यशोदा ने श्री कृष्ण की शरारत से तंग आकर उनको ओखली से बांध दिया था. स्वयं माँ घर के कार्य करने में लग गई. कृष्णाजी ने ओखली को गिरा दिया. उसे घसीटते हुए दो पेड़ों के बीच में फंसा दिया. दोनों पेड़ टूट कर गिर गए. जमला अर्जुन के पेड़ों से मनिगृव और नल कुबेर नाम के दो यक्ष निकले. उन्होंने भगवान का शुक्रिया किया, उन्होंने अनेक वर्षों के बाद उन को श्राप से मुक्ति दिलाई है .यक्ष आसमान में चले गए . माँ यशोदा दौड़ आई और भगवान को गोद में उठा लिया .
श्री कृष्ण द्वारा माखन चुराना
श्री कृष्ण को माखन बहुत पसंद था वह स्वयं तो माखन खाते हैं अपने दोस्तों की एक टोली बना रखी थी उनको भी वह माखन खिलाते थे. माना जाता है कि श्री कृष्ण गोपियों के मन के भाव को जानकर उनके घर में माखन चोरी करने जाते थे. गोपियों के का मन भाव था कि भगवान उनके घर माखन खाने आए. गोपियां जब उनको पकड़ लेती तो कोई उन्हें नाचने के लिए कहती तो कोई पकड़ कर मां यशोदा के पास उलाना देने के लिए ले जाती. कहती यह तेरे लला ने मेरा माखन चुराया है.
एक बार राधा रानी श्री कृष्ण से पूछती हैं आपने गोपियों को कैसे अपने मोह जाल में फंसाया है . श्री कृष्ण कहते हैं यह गोपियां पिछले जन्म में साधु संत थी उन्होंने तपस्या करके मुझसे ममता का रिश्ता मांगा था .इन सब की कामना को पूरी करने के लिए योगमाया ने इन्हें ग्वालिन बनाकर गोकुल भेज दिया था.
कालिया नाग का दमन
कालिया नाग कद्रू का पुत्र और पन्नग जाति का नाम था .वह पहले रमण द्वीप में रहता था . लेकिन गरुड़ राज से शत्रुता के कारण जमुना में रहने लगा . उसके जहर के कारण गोकुल के पशु पक्षी जमुना का पानी पीकर मर रहे थे . एक बार श्री कृष्ण अपने मित्रों के साथ यमुना के किनारे गेंद से खेल रहे थे . खेलते- खेलते गेंद श्री कृष्ण से नदी में जा गिरी.
श्री कृष्ण ने कदंब के पेड़ पर चढ़कर नदी में छलांग लगा दी. कालिया नाग ने उन्हें देखकर उन पर विष फैंकना शुरू किया. लेकिन श्रीकृष्ण पर विष उसका कोई असर नहीं हुआ. श्री कृष्ण ने उसकी पूंछ पकड़कर उसे मारना शुरू किया . नाग कन्याओं की प्रार्थना पर श्री कृष्ण ने उसे छोड़ दिया और फिर जमुना छोड़कर जाने को कहा. जब यमुना के बाहर आए तो कालिया नाग के फन पर नाच रहे थे . इस तरह श्री कृष्ण ने गोकुल वासियों को और यमुना नदी को कालिया नाग के बिष से मुक्त करवाया था .
गोवर्धन पर्वत उठाना
इंद्र के घमंड को तोड़ने के लिए श्री कृष्ण ने बृज वासियों को इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पूजा करने के लिए कहा. श्री कृष्ण का मानना था गोवर्धन पर्वत के कारण ही उनके पशुओं को चारा मिलता है जिसे खाकर दूध देते हैं. गोवर्धन पर्वत ही बादलों को रोककर बारिश करवाता है . जिसके कारण खेती होती हैं.
इससे इंद्र क्रोधित हो गया और मूसलाधार बारिश करनी शुरू कर दी. जिस में सब कुछ बहने लगा श्रीकृष्ण ने तब गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर धारण किया . सभी ब्रज वासियों को उसके नीचे आने को कहा और उनकी रक्षा की. जब इंद्र को पता चला कि श्री कृष्ण विष्णु जी के अवतार हैं तो उन्होंने श्रीकृष्ण से माफी मांगी द्वापर युग से लेकर अब तक गोवर्धन पूजा की प्रथा चली आ रही है दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाया जाता जिसमें छप्पन भोग लगते हैं .
श्री कृष्ण द्वारा गंधर्व सुदर्शन का उद्धार
एक बार नंद बाबा को एक अजगर ने निगल लिया श्री कृष्ण ने उस पर चरण प्रहार किया तो वह सुंदर गंर्धव में बदल गया और अपने लोक चला गया।
श्री कृष्ण का मथुरा जाना
कंस ने श्री कृष्ण को लेने अक्रूर जी को मथुरा भेजा। मथुरा आकर श्री कृष्ण ने कुब्जा का उद्धार किया, कुबलयापीड़ हाथी का वध किया और चारूण, मुष्टिक आदि को मल्ल युद्ध में हराया और उसके पश्चात् कंस का वध कर नाना उग्रसेन को राजा बना दिया।
पढ़े कहानी- देवकी और वसुदेव जी को कौन से तप के कारण मिला श्री कृष्ण के माता पिता बनने का सौभाग्य
श्री कृष्ण ने कैसे तोड़ा अपनी पत्नी सत्यभामा का घमंड
श्री कृष्ण के कंजूस भक्त की कहानी " चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए "
श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग
श्री कृष्ण ने अपने गुरु को क्या गुरु दक्षिणा दी
Comments
Post a Comment