HANUMAN CHALISA AMAZING FACT
हनुमान चालीसा से जुड़े रोचक तथ्य
हनुमान चालीसा का पहला दोहा और कहां लिखा गया है?
तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के अयोध्या कांड में भी लिखा गया है।
हनुमान चालीसा में किन स्त्रियों का वर्णन है?
हनुमान चालीसा में हनुमान जी की माता अंजनी और माता सीता का नाम है।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा
राम लखन सीता मन बसिया
तुलसीदास जी कहते हैं कि हनुमान जी की के हृदय में राम लक्ष्मण और सीता जी बसते हैं।
हनुमान चालीसा बच्चों को क्यों पढ़ना चाहिए ?
हनुमान चालीसा एक ऐसी पुस्तक है जिसे पढ़ना बच्चे को बहुत पसंद है, बहुत से बच्चों के आदर्श हनुमान जी होते हैं, क्योंकि हनुमान जी के पास अतुलित शक्तियाँ हैं। बच्चे हनुमान जी के चरित्र से बहुत आकर्षित होते हैं। हनुमान जी और गणेश जी ज्यादातर बच्चों के प्रिय भगवान माने जाते हैं। हनुमान चालीसा बच्चों के लिए पढ़ना बेहद फलदायी है, क्योंकि बच्चों को सबसे ज्यादा बल बुद्धि और विद्या की जरूरत होती है। अगर बच्चे पूरा हनुमान चालसा ना पढ़ पाए तो उन्हें इस चौपाई का पाठ करना चाहिए।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार
जिन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है,
नासे रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।
सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करने का क्या लाभ है?
ऐसा माना जाता है कि 7 बार लगातार 40 दिन तक जो भी हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। लेकिन मनोकामना अपने या किसी के कल्याण की होनी चाहिए। किसी को नुकसान पहुचाने की नहीं.
हनुमान जी की पूजा करने से पहले क्या ज़रूरी है?
हनुमान जी की पूजा करने से पहले श्री राम जी का नाम जरूर लेना चाहिए, क्योंकि हनुमान जी राम जी के भक्त हैं। राम जी की भक्ति के बिना हनुमान जी की कृपा प्राप्त नहीं हो सकती।
हनुमान चालीसा में राम जी का वर्णन कितनी बार हुआ है और कहा?
आप क्या जानते हैं कि हनुमान चालीसा में राम जी का जिक्र बहुत बार हुआ है।
प्रथम दोहे की पंक्ति बरनउँ रघुवर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।
दूसरी चौपाई रामदूत अतुलित बलधामा
सातवीं चौपाई राम काज करिबे को आतुर
आठवीं चौपाई प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
आठवीं चौपाई राम लखन सीता मन बसिया
दसवीं चौपाई रामचंद्र के काज सवारे
11 वीं चौपाई श्री रघुवीर हरषि उर लाये
12 वीं चौपाई रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
13 वीं चौपाई अस कहि श्रीपति कंठ लगावे (तुलसीदास जी सीता माता को श्री कहकर संबोधित करते हैं अर्थात माता सीता जी को गुरु मानते हैं और श्रीपति का अर्थ है सीता माता के पति यानी कि राम जी)
16 वीं चौपाई राम मिलाय राज पद दीन्हा।
19 चौपाई वीं प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही|
21वी चौपाई राम दुआरे तुम रखवारे ।
27 वी चौपाई सब पर राम तपस्वी राजा ।
30 वी चौपाई असुर निकंदन राम दुलारे॥
32 चौपाई राम रसायन तुम्हारी पासा, सदा रहो रघुपति के दासा
33 वी चौपाई तुम्हारे भजन राम को पावै
34 वीं चौपाई अंत काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई।
अंत में दोहा राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।
हनुमान चालीसा के अनुसार श्री राम द्वारा दी गई अंगूठी को हनुमान जी कहां रख कर लाए थे?
चौपाई प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
तुलसीदास जी कहते हैं हनुमान जी ने (प्रभु) श्रीराम जी की मुद्रिका को मुख में रख कर समंदर पार किया.
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