LAKSHMI JI KE SATH GANESH JI KI POOJA KYUN KI JATI HAI

 कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी जी के साथ धन के देवता कुबेर जी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आए थे, तो अयोध्या वासियों ने नगर को दीपों से सजाया था.

दिवाली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है

 गणेश जी रिद्धि- सिद्धि और बुद्धि के देवता हैं. गणेश जी की पत्नियां रिद्धि-सिद्धि हैं और दो पुत्र शुभ- लाभ है.  मां लक्ष्मी धन-संपत्ति की देवी हैं. माना जाता है मां लक्ष्मी उसी के पास टिकती है जिसके पास बुद्धि होती है . इसीलिए लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा करने  का विधान है.  

एक पौराणिक कथा

  एक  पौराणिक कथा के अनुसार लक्ष्मी जी को एक बार धन की देवी होने का अभिमान हो गया . विष्णु जी ने उनके अभिमान को दूर करने के लिए कहा कि, "स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक मां नहीं बन जाए". लक्ष्मी जी का कोई भी पुत्र नहीं था. इसलिए वह मां पार्वती के पास गई और उनसे एक पुत्र को गोद देने के लिए कहा. मां पार्वती जी ने लक्ष्मी जी का दर्द समझते हुए पुत्र गणेश को लक्ष्मी जी को सौंप दिया. 

माताजी लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई. उन्होंने कहा कि सुख- समृद्धि के लिए अब से पहले गणेश जी की पूजा करनी पड़ेगी, फिर मेरी पूजा संपन्न होगी . मान्यता है इसी कारण लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है . 

लक्ष्मी जी धन की देवी है और गणेश जी विवेक के देवता है. बिना विवेक के धन किसी के पास ज्यादा समय तक टिक नहीं सकता .लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन करते समय गणेश जी को सदा लक्ष्मी जी के बाई और रखना चाहिए तभी पूजा का पूर्ण फल मिलता है. 

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