SHRI RAM KE MATA KAUSHLYA PITA DASHRATH KI KATHA
माता कौशल्या और पिता दशरथ को श्री राम के माता पिता बनने का सौभाग्य कैसे प्राप्त हुआ
एक दिन राजा मनु के मन में वैराग्य जाग गया और अपने पुत्र को राजपाठ सौंप स्वयं नैमिषारण्य तीर्थ चले गए. वहां उन्होंने घोर तपस्या की और उनके मन में अभिलाषा थी कि वह स्वयं अपनी आंखों से भगवान को देखें.उन्होंने कई हजार वर्षों तक प्रभु की तपस्या की.
आकाशवाणी हुई कि वर मांगो. प्रभु भगवान विष्णु प्रकट हुए तो मनु शतरूपा एक टक उनको देखते ही रह गए. भगवान ने उनसे वर मांगने को कहा तो वह कहते हैं कि हमें आपके सामान पुत्र चाहिए .भगवान कहते हैं मेरे समान तो मैं ही हूं इसलिए मैं स्वयं आपका पुत्र बनूंगा.जब आप अवध के राजा बनेंगे. उनके इस वरदान को पूरा करने के लिए भगवान श्रीराम ने दशरथ के घर जन्म लिया जो कि पूर्व जन्म में स्वयंभू मनु थे और कौशल्या शतरूपा थी.
अवधपुरी में रघुकुल शिरोमणि दशरथ नाम के राजा हुए और कौशल्या उनकी रानी हुई. राजा दशरथ को एक बार ग्लानि हुई कि उनके कोई पुत्र नहीं है तो वह ऋषि वशिष्ठ जी के पास गए . उन्होंने बताया राजा तुम्हारे 4 पुत्र होंगे .
गुरु वशिष्ठ ने श्रृंगी ऋषि को बुलाकर पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया तो अग्निदेव हाथ में चरू हविष्यान्न (खीर )लेकर प्रकट हुए . उन्होंने राजा से कहा कि तुम जाकर इसको जैसा उचित समझो रानियों में बांट दो. राजा ने एक भाग कौशल्या ,एक भाग कैकयी और 2 भाग सुमित्रा को दे दिए .
इस प्रकार तीनों रानी गर्भवती हुई और चैत्र का महीना था, तिथि नवमी थी .शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजीत मुहूर्त था .दोपहर का समय था ,ना बहुत सर्दी ना बहुत गर्मी थी.
दीनों पर दया करने वाले प्रभु प्रकट हुए .उनका मेघों के समान श्याम शरीर था . भुजाओं में दिव्य अभूषण थे. वर माला पहने हुए थे .बड़े-बड़े नेत्र थे. माता ने दोनों हाथ जोड़कर स्तुति की और बोली प्रभु जी यह रूप छोड़कर बाल लीला करो .यह सुनकर भगवान ने बालक रूप में रोना शुरू कर दिया .इस प्रकार भगवान श्रीराम का धरती पर अवतार हुआ.
मां कौशल्या द्वारा की गई स्तुति भय प्रगट कृपाला
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