GAUTAM BUDDHA AND ANGULIMAL STORY IN HINDI

गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल डाकू की कहानी 


 गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी जो सिद्ध करती है कि गुरु या मार्ग दर्शक अगर सच्चा हो तो अंगुलिमार जैसा खूंखार और बर्बर डाकू  जिसमें 999 लोगों की हत्या की थी सच्चे गुरु का मार्गदर्शन मिलने पर वह उनका शिष्य बन गया. दूसरी और महात्मा बुद्ध जिन्हें लोगों ने बोला इस रास्ते से मत जाना नहीं तो अंगुलिमाल मार देगा. महात्मा बुद्ध बोले वो संत ही क्या जो मृत्यु के भय से रास्ता बदल ले . मुझे लगता है उसे मेरी जरूरत है मैं अवश्य जाऊंगा .

Gautam Buddha story in hindi: एक बार  मगध राज्य में एक खूंखार डाकू था जो भी जंगल से गुजरता है उसे जान से मार देता है और उसकी उंगली काट कर अपने गले में पहनी माला में पिरो लेता है  . इसी कारण उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा था.उसके आतंक के कारण कोई भी संध्या के बाद घर से बाहर नहीं जाता . 

 एक दिन संयोग वश महात्मा बुद्ध उस गांव में गए . उन्होंने अनुभव किया कि गांव के लोगों के मन में किसी बात की दहशत है .उन्होंने गांव वालों से इसका कारण पूछा. गांव वालों ने  उन्हें  अंगुलिमाल के बारे में बताया कि उसने 1000 लोगों की हत्या करने का का प्रण लिया है.

अगले दिन महात्मा बुद्ध जंगल की ओर चल पड़े. गांव वालों ने बहुत रोका और कहा कि उसने 999 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी है और 1000  होने में केवल एक ही व्यक्ति बचा है. अब तो उसकी माँ भी उसे मिलने नही आती कि कही अपना प्रण पूरा करने के लिए मुझे ही ना मार दे.

 महात्मा बुद्ध नहीं रुके.उन्होंने कहा कि वह संत ही क्या जो मृत्यु के भय से अपना रास्ता बदल ले. मुझे लगता है कि उसे मेरी जरूरत है मैं अवश्य जाऊंगा.

महात्मा बुद्ध जब जंगल में पहुंचे तो उन्हें एक आवाज आई " रुक जा" . महात्मा बुद्ध बिना डरे चलते रहे. फिर से आवाज आई "रुक जा ". पिछे से आवाज आई सारा मगध राज्य मुझ से डरता है . जहां का राजा भी मेरे  नाम से डरता है.सन्यासी तुझे मुझ से डर नहीं लगता,"रुक जा". महात्मा बुद्ध ने पलटकर पूछा ,"मैं तो रुक गया, तू कब रुकेगा". महात्मा बुद्ध के चहरे के दिव्य तेज के  कारण वह उन्हें मार ना सका.

 उंगली माल ने कहा मैं यहां का सबसे शक्तिशाली  व्यक्ति  हूं .  जहां का राजा भी मेरे नाम से कांपता है. महात्मा बुद्ध ने कहा, "मैं कैसे मान लूं ? तुम्हें सिद्ध करना होगा कि तुम सबसे शक्तिशाली हो". 

अंगुलिमाल  ने पूछा कैसे ? महात्मा बुद्ध ने कहा, "जाओ उस पेड़ की टहनी तोड़ कर ले आओ". अंगुलिमाल ने कहा, "यह तो बहुत साधारण सा काम है ,आप कहो तो पूरा पेड उखाड़ कर ले आऊ". 

महात्मा बुद्ध बोले नहीं , तुम बस उस पेड़ की टहनी तोड़ कर ले आओ. अंगुलिमाल ने टहनी काटी और महात्मा बुद्ध को दे दी. महात्मा बुद्ध ने कहा ,"अब इस टहनी को  दोबारा पेड़ से जोड़ दो ". अंगुलिमाल ने कहा कि संयासी शायद तू पागल हो गया है.

अंगुलिमाल ने कहा, "यह कैसे संभव है ,ऐसा नहीं हो सकता? महात्मा बुद्ध ने कहा फिर तुम काहे के शक्तिशाली व्यक्ति हो .अगर तुम काट कर जोड़ना नहीं जानते. तुम्हें फिर किसने अधिकार दिए 999 लोगों की     गर्दन काटने का अगर तुम एक भी व्यक्ति को जिंदा नहीं कर सकते. 

महात्मा बुद्ध की ज्ञान भरी बातें सुनकर उसके ज्ञान चक्षु खुल गए. महात्मा बुद्ध वापिस गाँव की और चल पड़े बिना उसकी और  देखे. अंगुलिमाल धीरे धीरे उनके पीछे आता रहा" बुद्धं शरणं गच्छामि" . महात्मा बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा उसे अपनी गलती का एहसास हो गया .उसी गांव के लोगों की सेवा करने लगा आगे चलकर वह बहुत बड़ा सन्यासी बन गया.


Comments

Popular posts from this blog

KHATU SHYAM BIRTHDAY DATE 2024

BAWA LAL DAYAL AARTI LYRICS IN HINDI

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA