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Showing posts from January, 2021

GAUTAM BUDDHA MOTIVATIONAL STORIES

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गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानियां महात्मा बुद्ध की कहानियां हमें जीवन में आने वाली हर मुश्किल का सामना करने की प्रेरणा देती है    1: सच्चा श्रद्धा भाव       MAHATMA BUDDHA STORY: एक बार महात्मा बुद्ध किसी नगर में धर्म प्रचार के लिए गए . हर कोई अपनी हैसियत के अनुसार उनके लिए कुछ लेकर आया. वहां का राजा भी अपने मन में अहंकार लिए बहुत से उपहार महात्मा बुद्ध के लिए लेकर आया .  तभी एक बूढ़ी  औरत आधा आम लेकर महात्मा बुद्ध के पास आई और बोली  महात्मन मुझे जब आपके आने का पता चला तो मैं दौड़ी चली आई. मेरे पास आपको देने के लिए  इस आधे आम के सिवा कुछ नहीं है . आज मुझे खाने के लिए केवल एक आम मिला था . उसमें से आधा मैंने पहले ही खा लिया था और आधा मैं आपके लिए ले आई हूं . कृपया इसे स्वीकार करें. महात्मा बुध स्वयं अपने आसन से उठे और उसकी भेंट स्वीकार करने के लिए आए .  यह देखकर राजा दंग रह गया और बोला प्रभु इस बुढिया के जूठे आम को लेने आप अपने आसन से क्यों उठे.  महात्मा बुद्ध ने कहा तुम जो लाए वह तुम्हारी कमाई का कुछ हिस्सा था लेकिन वह आधा  आम उसके आज के दिन की पूंजी थी जो उसने श्रद्धा भाव से बिना अपनी

RADHE RADHE NAAM KI MAHIMA

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Radhe Krishna:राधे राधे नाम की महिमा  राधा रानी  श्री कृष्ण  की सखी और उपासिका थी. राधा रानी को कृष्ण वल्लभा कहा गया है. वह श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी है.   राधा नाम जपने से श्री कृष्ण जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं . राधा के नाम के बिना श्री कृष्ण का नाम भी अधूरा माना गया है. राधा नाम की महिमा है कि माना जाता है कि" रा" सुनते ही रोग मिट जाते हैं और "धा" सुनते ही सब बंधन छूट जाते हैं. श्री कृष्ण से मिलने की जो राह बता दे वह है राधे. युगलाष्टकम हिन्दी अर्थ सहित श्री कृष्ण राधा नाम के महिमा करते हुए कहते हैं -  'रा' शब्दं कुर्वतस्त्रस्तो ददामि भक्तिमुत्तमाम्। 'धा' शब्दं कुर्वतः पश्चाद् यामि श्रवणलोभतः॥  श्री कृष्ण कहते हैं  कि किसी के मुख से " रा" शब्द सुनते ही मैं उसे भक्ति प्रदान करता हूं और "धा" शब्द सुनते ही राधा रानी का नाम सुनने के लालसा में उसके पीछे-पीछे चला जाता हूं.  मम नाम शतेनैव राधा नाम सकृत समम।  य: स्मरते सर्वदा राधा न जाने तस्य किं फलम। भाव- श्री कृष्ण कहते हैं कि जिस भक्त ने मेरे 100 नाम का स्मरण किया और श्री राधा रा

SHRI KRISHNA NE GURU KO KYA GURU DAKSHINA DE श्री कृष्ण ने अपने गुरु को क्या गुरु दक्षिणा दी

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श्री कृष्ण और बलराम जी के गुरु का नाम ऋषि सांदीपनि था. क्या आप जानते हैं श्री कृष्ण और बलराम ने अपने गुरु को क्या गुरु दक्षिणा दी?    श्री कृष्ण और बलराम ने कंस वध के बाद अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव को रिहा करवाया और राज्य नाना उग्रसेन को सौंप दिया. वसुदेव जी ने कृष्ण और बलराम को शिक्षा प्राप्ति के लिए   ऋषि  सांदीपनि के आश्रम उज्जैन में दे भेज दिया . वही पर उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी .  उन्होंने दोनों को वेद पुराण की शिक्षा के साथ-साथ धनुर्विद्या ,राजनीतिक शास्त्र, गणित शास्त्र आदि  की विद्या दी. श्रीकृष्ण की स्मरण शक्ति इतनी तेज थी .माना जाता है कि उन्होंने 64 दिन सांदीपनि ऋषि के आश्रम में रह कर 64 दिनों में 64 विद्याएँ और 16 कलाएं सीख ली थी.                      गुरु दक्षिणा का समय आया तो दोनों ने गुरु से गुरु दक्षिणा मांगने को कहा तो ऋषि संदीपनी  और उनकी पत्नी ने श्री कृष्ण और बलराम को गुरु दक्षिणा में उनके पुत्र को वापस लाने के लिए कहा जो कि समुद्र की लहरों में डूब चुका था .  अपने गुरु की आज्ञा का पालन करने के लिए दोनों कृष्ण और बलराम प्रभास क्षेत्र में गए और समुद्र से लहर

RAM RAM DO BAR EK SATH KYUN BOLA JATA HAI राम राम दो बार एक साथ क्यों बोला जाता हैं

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  राम-राम  एक साथ  बोलने के पीछे क्या रहस्य है   हिंदू धर्म में बहुत से लोग जब आपस में मिलते हैं तो एक दूसरे को राम-राम संबोधित करते हैं. क्या आप जानते हैं एक साथ दो बार राम राम बोलने  का क्या कारण माना जाता है. आदि काल से ऐसी परंपरा चली आ रही है.  ऐसा माना जाता है कि हिंदी की  शब्दावली में  "र" 27 वां शब्द है ."आ" मात्रा में दूसरा और "म"  शब्दावली में  25 वां शब्द है . इन तीनों अंको का योग करें दो 27+ 2 +25 = 54.  एक बार राम नाम का योग हुआ 54   दो बार राम-राम का कुल योग हुआ   54+54= 108   जब हम किसी मंत्र का जाप करते हैं तो 108 मनके की माला फेरते हैं . ऐसा माना जाता है कि  सिर्फ राम-राम कह देने से पूरी माला का जाप हो जाता है.  हनुमान जी ने सिद्ध किया राम से बड़ा राम का नाम तुलसीदास जी ने रामचरितमानस क्यों और कब लिखी सीता स्वयंवर का निमंत्रण अयोध्या क्यों नहीं भेजा गया

SHUBH LABH KA GANESH JI SE SAMBANDH KYA HAI

 हम कोई भी शुभ कार्य करने से पहले स्वास्तिक के साथ शुभ लाभ लिखते हैं. क्या आप जानते हैं शुभ लाभ का भगवान शिव और मां पार्वती से क्या संबंध है.  गणेश जी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र हैं और  शुभ और लाभ उनके पोते हैं. गणेश जी हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य देवता हैं.जिन्हें बुद्धि के देवता माना जाता है.  हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि हर तरह के विघ्न और बाधा को दूर हो जाएं.वह भक्तों के संकट दरिद्रता और रोग दूर करते हैं. भगवान गणेश जी की पत्नियां भगवान गणेश का विवाह रिद्धि और सिद्धि नाम की दो कन्याओं से हुआ.  रिद्धि का अर्थ है 'बुद्धि' जिसे 'शुभ' कहते हैं ,और सिद्धि का अर्थ है 'आध्यात्मिक शक्ति की पूर्णता' जिसे 'लाभ' कहते हैं. गणेश जी के पुत्र सिद्धि से 'क्षेम' और रिद्धि से 'लाभ' नाम के दो पुत्र हुए . लोक परंपरा में उनको शुभ लाभ कहा जाता है. शुभ लाभ के पुत्र तुष्टि और पुष्टि  गणेश जी की बहुएँ  है . अमोद और प्रमोद शुभ लाभ के पुत्र और  गणेश जी के पोते हैं.   स्वास्तिक के साथ  शुभ लाभ क्यों लिखत

HANUMAN JI KO SINDOOR KYUN CHADHAYA JATA HAI

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Hanuman story: हनुमान जी को सिंदूर क्यों चढ़ाया जाता है।  हनुमान जी बल, बुद्धि और  विद्या के देवता माने जाते हैं.  कहा जाता है कि हनुमान जी कलयुग में एक  मात्र जिवित देवता हैं जो अपने भक्तों की मुराद पूरी करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं.   मंदिर में आप ने देखा होगा कि हनुमान जी की मूर्ति को सिंदूर चढ़ा होता है. क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी को सिंदूर का चोला क्यों चढ़ाया जाता है।  सीता माता से जुड़ी एक पौराणिक कथा(Mythology story) एक बार हनुमान जी ने मां सीता को मांग में सिंदूर भरते देखा। उन्होंने ने मां सीता जी से पूछा आप मांग में सिंदूर क्यों लगा रही है, तो मां कहने लगी कि हमारे शास्त्रों में सिंदूर का बहुत महत्व है।माना जाता है कि जो स्त्री मांग में सिंदूर भरती है उसका पति स्वस्थ्य रहता है और पति   की आयु लम्बी है. इसलिए मैं सिंदूर लगाती हूं. हनुमान जी अपने सारे शरीर पर सिंदूर लगा कर श्री राम जी के सामने उपस्थित हुए। श्री राम ने हनुमान जी से इसका कारण पूछा। हनुमान जी ने कहा कि मां सीता ने मुझे बताया था कि वह अपनी लम्बी आयु की कामना के लिए मांग में सिंदूर लगाती है।  मैंने सोचा क

KARAM PHAL BHOGNA HI PADTA HAI

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कर्म फल भोगना ही पड़ता है किसी को इस जन्म में किसी को अगले जन्म में  MOTIVATIONAL STORY IN HINDI: एक बार एक व्यापारी ने नया- नया काम शुरू किया . उसके लिए उसने एक लड़के को उस काम में रखा .वह लड़का अपने काम में बहुत कुशल था. व्यापारी ने सोचा कि  लड़का इतनी मेहनत करता है क्यों ना कमाई का दसवां हिस्सा इस लड़क  को दे दिया करू.  इस से दसबंद का पुण्य भी मिल जाएगा. वह लड़का पूरी ईमानदारी से काम करता था और व्यापारी ने रहने के लिए उसे अपना पुराना मकान दे दिया था .कुछ ही सालों में उसका व्यापार बहुत ज्यादा तरक्की कर गया .एक बार किसी कंपनी से अच्छी डील हो गई और मुनाफा करोड़ों में हो गया .अब व्यापारी का व्यापार बढ़िया चल रहा था.   जब मुनाफा करोड़ों में होना शुरू हुआ तो उसे दसवां हिस्सा जो लाखों में बनता था देना मुश्किल लगता था . अब व्यापारी की नियत बदल गई उसे लगा मेरा व्यापार अच्छा चल रहा है अब इस लड़के के बिना  भी मेरा व्यापार तरक्की कर लेगा .  उस लड़के को रास्ते से हटाने के लिए व्यापारी ने उसके खाने में कुछ मिला दिया . जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई . व्यापारी बहाने से उसे  हस्पताल ले गया.वहां उसने डाक

SANT KABIR DAS JI KI KAHANI IN HINDI

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संत कबीर दास जी की कहानी   एक बार संत कबीर कपड़ा बुन रहे थे. उसी समय उनके दरवाजे पर एक भिखारी आया और संत कबीर ने उन्हें पानी पिलाया. वह भूखा लग रहा था.संत कबीर ने कहा आज मेरे पास तुम्हें खाने को देने के लिए कुछ नहीं है . संत कबीर ने उसे ऊन का गोला दिया और कहा कि इसे बाजार में बेच कर उन पैसों से कुछ खा लेना . जब वह भिखारी नदी के पास से जा रहा था तो उसके दिमाग में कुछ विचार आया. उस ने ऊन के गोले से एक जाल बनाया और उस जाल को नदी में डाल दिया .उसमें बहुत सी मछलियां फस गई .उसने उन मछलियों को बेचकर बहुत से पैसे मिल गए.  अब जाल से हर रोज बहुत सी मछलियां पकड़ता और बाजार में बेचकर पैसे कमा लेता. अब मछलियां पकड़ना उसका धंधा बन गया और उसने और जाल खरीदें और वह धीरे-धीरे अमीर बन गया . एक दिन उसने सोचा थी जिसके कारण मैं अमीर बना हूं क्यों ना उनका शुक्रिया अदा करता हूं .वह संत कबीर के लिए बहुत से उपहार लेकर गया .संत  कबीर ने उसे पहचानने में  असमर्थता दिखाएं. उसने याद करवाया कि मैं वही हूं जिसे आपने  एक बार ऊन का गोला दान में दिया था . और उस ऊन को उसने कैसे प्रयोग किया यह भी बताया. जब संत कबीर को यह ब

GURU MILA TO BHANDAN CHHUTE MOTIVATIONAL STORY

" गुरु मिले तो बंधन छूटे " एक कहानी जो जीवन में एक सच्चे गुरु के महत्व को दर्शाती है. एक बार एक राजा के पास बोलने वाला तोता था .एक पंडित महीने में दो बार राजा के पास कथा सुनाने आता था.पंडित को आदत थी कहने की "हरि मिले तो बंधन छूटे". जब भी पंडित जी ऐसा कहते तो तोता उन्हें झूठा कहता था.                 पंडित जी जब भी आते तोता हर बार ऐसा ही कहता .पंडित जी को राजा के सामने बहुत असहज महसूस होता था . पंडित जी ने यह बात अपने गुरु को बताई .गुरुजी ने कहा कि तुम मुझे उस तोते के पास ले जाओ .  पंडित अपने गुरु को तोते के पास ले गए .गुरुजी ने तोते से पूछा तुम ऐसा क्यों कहते हो.तोते ने बोला कि मैंने एक बार बोल क्या  दिया ,'हरि मिले तो बंधन छूटे 'मेरा तो बंधन छूटने को नहीं आ रहा . मैं एक बार उड़ता हुआ एक पेड़ पर बैठा था.उसके पास ही साधुओं का आश्रम था . वहा पर एक साधु ने बोला 'हरि मिले तो बंधन छूटे' ,मेरा स्वभाव है बोलने का,मैंने भी ऐसा ही बोल दिया .यह सुनकर उस साधु के सेवकों ने देखा कि यह हरि नाम बोलने तोता है.मुझे पकड़ कर लोहे के पिंजरे में बंद कर दिया.  उसके बाद ए