SHUBH LABH KA GANESH JI SE SAMBANDH KYA HAI

 हम कोई भी शुभ कार्य करने से पहले स्वास्तिक के साथ शुभ लाभ लिखते हैं. क्या आप जानते हैं शुभ लाभ का भगवान शिव और मां पार्वती से क्या संबंध है. 

गणेश जी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र हैं और  शुभ और लाभ उनके पोते हैं. गणेश जी हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य देवता हैं.जिन्हें बुद्धि के देवता माना जाता है.  हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि हर तरह के विघ्न और बाधा को दूर हो जाएं.वह भक्तों के संकट दरिद्रता और रोग दूर करते हैं.

भगवान गणेश जी की पत्नियां

भगवान गणेश का विवाह रिद्धि और सिद्धि नाम की दो कन्याओं से हुआ. 

रिद्धि का अर्थ है 'बुद्धि' जिसे 'शुभ' कहते हैं ,और सिद्धि का अर्थ है 'आध्यात्मिक शक्ति की पूर्णता' जिसे 'लाभ' कहते हैं.

गणेश जी के पुत्र

सिद्धि से 'क्षेम' और रिद्धि से 'लाभ' नाम के दो पुत्र हुए . लोक परंपरा में उनको शुभ लाभ कहा जाता है.

शुभ लाभ के पुत्र

तुष्टि और पुष्टि  गणेश जी की बहुएँ  है . अमोद और प्रमोद शुभ लाभ के पुत्र और  गणेश जी के पोते हैं. 

 स्वास्तिक के साथ  शुभ लाभ क्यों लिखते हैं

 स्वास्तिक गणेश जी का प्रतीक स्वरूप माना जाता है.  स्वास्तिक घर के मुख्य द्वार के  उपर मध्य में और स्वास्तिक के दाएं बाएं गणेश जी के पुत्रों के नाम शुभ लाभ लिखते हैं. स्वास्तिक की अलग-अलग रेखाएं गणेश जी की पत्नी रिद्धि और सिद्धि को दर्शाती हैं .  

घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक शुभ और लाभ इन्हीं शक्तियों के प्रतीक हैं. 

गणेश (बुद्धि) +रिद्धि (ज्ञान) =शुभ

गणेश( बुद्धि) +सिद्धि(अध्यात्मिक स्वतंत्रता) =लाभ

 माना जाता है स्वास्तिक के घर के मुख्य द्वार पर होने से घर में सदैव सुख और समृद्धि आती है . उस घर में धन की हमेशा वृद्धि होती हैं . घर के बाहर स्वास्तिक होने से नकारात्मक उर्जा दूर रहती है और घर को बुरी नजर नहीं लगती.

हम कोई भी शुभ काम या धार्मिक काम में स्वास्तिक क्यों बनाते हैं

 हिन्दू धर्म में गणेश जी प्रथम पूज्य है. किसी भी धार्मिक कार्य में सर्व प्रथम गणेश जी का ध्यान किया जाता है.  स्वास्तिक गणेश जी के प्रतीक स्वरूप है . स्वास्तिक का चिन्ह धनात्मक उर्जा का प्रतीक है. स्वास्तिक के दाएं बाएं गणेश जी के पुत्रों के नाम शुभ लाभ लिखे जाते हैं. 

माना जाता है कि जहां शुभ होता है वहां काम में फायदा लाभ होने लगता है और जहां काम में लाभ है वहां शुभ होने लगता है.



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