GAUTAM BUDDHA MOTIVATIONAL STORIES

गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानियां

महात्मा बुद्ध की कहानियां हमें जीवन में आने वाली हर मुश्किल का सामना करने की प्रेरणा देती है  



 1: सच्चा श्रद्धा भाव      

MAHATMA BUDDHA STORY: एक बार महात्मा बुद्ध किसी नगर में धर्म प्रचार के लिए गए . हर कोई अपनी हैसियत के अनुसार उनके लिए कुछ लेकर आया. वहां का राजा भी अपने मन में अहंकार लिए बहुत से उपहार महात्मा बुद्ध के लिए लेकर आया . 

तभी एक बूढ़ी  औरत आधा आम लेकर महात्मा बुद्ध के पास आई और बोली  महात्मन मुझे जब आपके आने का पता चला तो मैं दौड़ी चली आई. मेरे पास आपको देने के लिए  इस आधे आम के सिवा कुछ नहीं है . आज मुझे खाने के लिए केवल एक आम मिला था . उसमें से आधा मैंने पहले ही खा लिया था और आधा मैं आपके लिए ले आई हूं . कृपया इसे स्वीकार करें. महात्मा बुध स्वयं अपने आसन से उठे और उसकी भेंट स्वीकार करने के लिए आए . 

यह देखकर राजा दंग रह गया और बोला प्रभु इस बुढिया के जूठे आम को लेने आप अपने आसन से क्यों उठे.  महात्मा बुद्ध ने कहा तुम जो लाए वह तुम्हारी कमाई का कुछ हिस्सा था लेकिन वह आधा  आम उसके आज के दिन की पूंजी थी जो उसने श्रद्धा भाव से बिना अपनी भूख का विचार किए मुझे दे दिया. उसका श्रद्धा भाव तुम सब से कहीं ज्यादा था. 

तुम सब में उपहार लाने का अहंकार था ,श्रद्धा नहीं. वह दिल से तुम सब से कहीं ज्यादा अमीर है . यह जवाब सुन कर राजा को बहुत शर्मिन्दगी महसूस हुई।

Gautam Buddha story in hindi: एक बार महात्मा बुद्ध कहीं प्रवचन  करने गए हुए थे .कुछ लोगों ने उनके बारे में गलत धारणाएं फैला रखी थी. वह लोग महात्मा बुद्ध को गालियां देने लगे .महात्मा बुद्ध शांति से उनकी की गालियां को सुनते रहे .

उन में से कुछ लोगों ने महात्मा बुद्ध से पूछा कि हमारी बातों का  आप पर कोई प्रभाव क्यों नहीं दिख रहा ? महात्मा बुद्ध ने कहा," तुम लोगों ने मुझे गालियां दी, दुर्व्यवहार किया मैंने जब तुम्हारी गलियों को स्वीकार ही नहीं किया". 

इसलिए गालियां तुम्हारे पास ही रही . जो चीज मैंने ले ही नहीं उसके लिए खुश होने या दुखी होने का कारण ही नहीं बनता है .उन लोगों को महात्मा बुद्ध की बात समझ में नहीं आई .

महात्मा बुद्ध ने उदाहरण देते हुए समझाया कि मानो मुझे किसी ने उपहार दिया और वह मैंने स्वीकार ही नहीं किया तो वह उपहार किसके पास रह जाएगा.  सब लोग कहने लगे जिसने उपहार दिया है उसी के पास रह जाएगा. 

इस पर महात्मा बुध कहने लगे अगर मैंने गालियां स्वीकार ही नहीं की तो वह तुम्हारे पास ही रह जाएंगी. महात्मा बुद्ध की ज्ञान भरी बातें सुनकर उनकी जो महात्मा बुद्ध के प्रति धारणा थी वह बदल गई. अब उन्होंने बड़े श्रद्धा भाव से महात्मा बुध की बातों को अपने जीवन में उतारा.

इसीलिए कहते हैं कभी किसी को बुरा नहीं कहना चाहिए क्योंकि अगर वह जवाब नहीं देता है तो वह गालियां हमारे पास ही रह जाएंगी  और कहीं ना कहीं किसी के लिए निकली हुई बस दुआएं अपना ही नुकसान कर जाती है.

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                   3: मदद  

 Gautam Buddha short story: एक बार महात्मा बुद्ध किसी नगर में धर्म सभा कर रहे थे . उस नगर में गरीब आदमी जो सड़क के किनारे रहता था. वह हर रोज बाहर बैठकर देखता था कि जो अंदर जाता है वो चेहरे पर चिंता के भाव के साथ अंदर जाता है, लेकिन जब बाहर आता है तो, उसके चेहरे पर मुस्कान और संतोष का  भाव होता है . एक दिन उसने भी अंदर जाने का निश्चय किया .महात्मा बुद्ध बारी -बारी से सब की समस्याओं को सुन रहे थे और उन समस्याओं का हल बता रहे थे. जब उसकी बारी आई तो उसने प्रश्न किया परमात्मा ने मुझे  अभी तक गरीब क्यों बनाए रखा . तो महात्मा बुद्ध कहते हैं, " क्योंकि तुमने अभी तक किसी को कुछ दिया ही नहीं"?

वह आदमी जवाब देता है मैं तो  दो वक्त का खाना ही बड़ी मुश्किल से खाता हूं . किसी को क्या दूंगा ? महात्मा बुद्ध कहते हैं , "परमात्मा ने तुम्हें दो हाथ दिए हैं ". क्या आगे बढ़ कर तुम ने किसी की मदद की है? इसमें तो  कोई पैसे नहीं लगते. 

ईश्वर ने तुम्हें आवाज दी है ,क्या कभी किसी को मीठे बोल बोल कर मुश्किल के समय किसी को सांत्वना दी है ? किसी का अच्छा काम करने पर उसका शाबाशी दी है . इसमें तो कोई पैसे नहीं लगते. कभी किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने का कारण बने हो . 

यह सब करके देखो तुम्हारी दरिद्रता धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी. दरिद्रता मन का भाव है. इस लिए आज के बाद    स्वयं को दरिद्र मत समझना. यह  सुन कर उस  व्यक्ति को मन  में बहुत संतोष हुआ. महात्मा बुद्ध ने उसे समझाने का प्रयास किया किसी की मदद करने के लिए ज्यादा साधनों की जरूरत नही होती सीमित साधनों में भी कर सकते हैं।

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                4: ईश्वर की खोज

Mahatma Buddha story:एक बार एक व्यक्ति महात्मा बुद्ध  के पास आया और कहने लगा कि मैं 20 साल से ईश्वर की खोज कर रहा हूं  ईश्वर मुझे कहीं भी नहीं मिले. महात्मा बुद्ध पूछते हैं कि ,"तुमने ईश्वर को खोजने के लिए क्या-क्या किया है"?

वह सज्जन कहता है मैंने कई तीर्थ स्थानों के दर्शन किए , बहुत सा दान पुण्य किया, बहुत से मंदिरों और धर्म स्थानों का निर्माण किया . लेकिन ईश्वर के दर्शन कहीं भी नहीं हुए. महात्मा बुद्ध कहते हैं ,"मैं तुम्हारी सहायता करूंगा ". तुम शाम के समय मेरे पास आना . 

संध्या होने से पहले महात्मा बुद्ध कुछ  ढूंढने लगे . शिष्यों ने पूछा, "गुरु जी क्या ढूंढ रहे हैं ".महात्मा बुद्ध कहने लगे  मेरा एक कीमती मोती खो गया है ,उसे ढूंढ रहा हूं.  शिष्य ने भी मोती ढूंढना शुरू कर दिया. इतने में वह  व्यक्ति भी वहां आ गया और उसने देखा कि महात्मा बुद्ध  और उनके शिष्य कुछ ढूंढ रहे हैं . उसने पूछा गुरु जी क्या ढूंढ रहे हैं?

 उन्होंने कहा कि मेरा मोती खो गया है उसे ढूंढ रहा हूं वह व्यक्ति में पूरी लगन के साथ उस मोती को ढूंढने में लग गया. ढूंढते- ढूंढते  रात होने को आ गई .मोती नहीं मिला .

उस व्यक्ति ने महात्मा बुद्ध से पूछा कि आप याद करें आखिरी बार अपने मोती को कहां देखा था .महात्मा बुद्ध ने सोचकर बताया कि कुटिया के अंदर देखा था  . वह आदमी थोड़ा सा भड़क गया .अगर मोती कुटिया के अंदर गुम हुआ है तो  कुटिया के अंदर ही मिलेगा .आप व्यर्थ में ही बाहर इधर- उधर ढूंढ रहे हैं .

अपना और दूसरों का समय व्यर्थ कर रहे हैं .महात्मा बुद्ध मुस्कुराए और बोले मैं यही तो तुम्हें समझाना चाहता था .जिस ईश्वर को तुम 20 वर्षों से इधर-उधर ढूंढ रहे हो उसे तुमने अपने अंदर कभी खोजा ही नहीं.अगर तुम्हें ईश्वर के सच्चे दर्शन करने हैं तो इधर-उधर भटकना छोड़ो और ध्यान लगाओ ईश्वर तुम्हें वही मिलेंगे.

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