POSITIVE THOUGHT motivational सकारात्मक सोच

 


कठिन परिस्थितियां में भी हम अगर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं तो हम बेहतरीन हल ढूंढ सकते हैं। अगर हम समस्या को ज्यादा बड़ा मानेंगे तो हमारा दिमाग हमें उससे जुड़ी समस्याओं के ही पहलू दिखाएगा। लेकिन अगर हमारा ध्यान उसके समाधान की तरफ होगा तो दिमाग उस समस्या के क्या क्या समाधान हो सकते हैं हमें वही पहलू दिखाएगा। इसलिए सदैव सकारात्मक सोचें। 

एक बार बात है कि दो व्यापारी एक ही नगर में रहते थे . लगभग दोनों की आमदनी एक जैसी थी. एक अपनी हर परेशानी के लिए ईश्वर को कोसता रहता कि सारी परेशानियां मुझे ही क्यों आती है. दूसरा किसी भी मुश्किल के आने पर मुश्किल क्यों आई सोचने कि बजाए मुश्किल  का हल कैसे निकले यह सोचता.मरने के बाद दोनों ही भगवान के पास पहुंचे. 

भगवान ने बारी-बारी से दोनों से पूछा कि, " अगले जन्म में तुम पिछले जन्म  की सी कौन सी समस्या का हल चाहते हो और कैसे ".  

पहला व्यापारी बोला कि पिछले जन्म में तो मेरा गुजारा बहुत मुश्किल से चलता था. कभी बीवी घर खर्च के लिए पैसे मांगती रहती थी . कभी बच्चे स्कूल की फीस के लिए, घूमने फिरने के लिए पैसे मांगते . मां दवाइयों और दान पुण्य के लिए कुछ ना कुछ मांगती रहती .फिर भी गलती से अगर कुछ बस जाता तो कोई ना कोई पहचान वाला मदद के लिए आ जाता और वह पैसे उसे देने पड़ते.

प्रभु कुछ ऐसा करें कि अगले जन्म में कोई मुझसे कुछ मांगने ना आए. हर कोई मुझे दे कर ही जाए . 

                       भगवान ने कहा तथास्तु. 

 भगवान ने दूसरे व्यापारी से पूछा. उसने कहा भगवान मेरा जीवन तो बड़े मजे से चल रहा था. बीबी  बहुत संस्कारी थी . सोच समझकर समझदारी  से आमदनी के हिसाब घर से चलाती थी .बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई.   मां बाप की सेवा की, जितना हो सका उनसे दान पुण्य करवाया. 

लेकिन मन में एक परेशानी है. अगर कोई पहचान वाला मुझ से मदद मांगने आता और पैसे ना होने के कारण जब मैं ना दे पाता तो मुझे बहुत अफसोस होता था कि मैं उसकी मदद नहीं कर पाया .आप बस इतना कर दो कि अगले जन्म में कोई मेरे द्वार से खाली ना जाए.

प्रभु ने कहा तथास्तु

 भगवान ने दोनों की मुराद  पूरी कर दी. पहला  व्यापारी अगले जन्म में नगर का सबसे बड़ा भिखारी बन गया .क्योंकि उसने अपनी समस्या का हल यह मांगा के कोई मुझसे मांगने ना आए. बस मुझे दे कर ही जाए . इसलिए वह भिखारी बन गया 

 दूसरे ने समस्या का हल मांगा कोई मेरे द्वार से खाली ना जाए. इसलिए वह नगर का धनवान सेठ दान चंद बन गया.  जो हर जरूरतमंद की मदद करता.

समस्या दोनों की लगभग एक सी थी लेकिन सारा खेल सोच का है कि हम अपनी समस्या के समाधान के लिए कौन सा रास्ता अपनाते हैं. 






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