SHAT TILA EKADSHI VART षटतिला एकादशी व्रत
षटतिला एकादशी व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष को मनाई जाती है .इसदिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है .इस दिन तिल का छः तरह से प्रयोग किया जाता है. इसलिए इसे षटतिला एकादशी कहते हैं .
तिल मिश्रित जल से स्नान
तिल का उबटन
तिल का हवन
तिल का दान
तेल का भोजन
तिल मिश्रित जल का सेवन करना चाहिए
षटतिला एकादशी के महत्त्व की कथा भगवान विष्णु ने नारद जी को सुनाई थी . जो इस प्रकार है एक ब्राह्मणी पृथ्वी लोक पर रहती थी जो कि भगवान विष्णु का व्रत पूजन करती थी. लेकिन किसी भी साधु-संत को दान नहीं देती थी .एक बार उस ब्राह्मणी में एक मास तक लगातार व्रत किया .जिससे उसका शरीर शुद्ध हो गया.
भगवान विष्णु सोचने लगे अब इसको देवलोक में स्थान तो मिल जाएगा. लेकिन इसकी तृप्ति कैसे होगी? क्योंकि इसमें कभी भी अन्नादि का दान नहीं किया?
भगवान विष्णु एक भिखारी के वेश में ब्राह्मणी के पास पहुंचे और उस से भिक्षा मांगी. भगवान विष्णु सोचने लगे अगर यह भिक्षा में अन्न दान करेगी तो इसकी तृप्ति हो जाएगी . लेकिन उस ब्राह्मणी ने भगवान को भिक्षा में एक मिट्टी का ढेला दे दिया .भगवान विष्णु उस मिट्टी के ढ़ेले के साथ विष्णु लोग वापस चले गए.
जब ब्राह्मणी ने अपना शरीर का त्याग किया और देवलोक पहुंची . मिट्टी के ढेले के दान के कारण उसे सुंदर घर तो मिल गया लेकिन उसके घर में अन्नादि वस्तुओं का अभाव था. वह ब्राह्मणी भगवान विष्णु के पास पहुंची और कहने लगी कि प्रभु मैंने आपके लिए इतनी व्रत रखें पूजा की. लेकिन उसके बावजूद भी मेरे घर में अन्नादि वस्तुओं का भाव क्यों है?
भगवान विष्णु कहने लगे तुमने कभी भी अन्नादि दान नहीं किया .इसलिए ऐसा हुआ है. लेकिन तुम चिंता ना करो . तुमसे घर पर मिलने देव स्त्रियां आएगी तो तुम से कहना कि पहले मुझे षटतिला एकादशी का महात्म्य और व्रत विधि बताएं फिर ही मैं द्वार खोलूगी.
ब्राह्मणी ने वैसा ही किया.जब देव स्त्रियां आई तो ब्राह्मणी ने कहा पहले मुझे षटतिला एकादशी का महात्म्य सुनाएं . एक देवी स्त्री ने ब्राह्मणी को षटतिला एकादशी महात्म्य सुनाया और व्रत की विधि बताई. ब्राह्मणी ने द्वार खोल दिया.
इस ब्राह्मणी ने देवी स्त्री ने जैसा व्रत का विधान बताया था वैसे ही व्रत किया. जिससे वे सुंदर और रूपवती हो गई और उसका घर अन्नादि वस्तुओं से भरपूर हो गया.
षटतिला एकादशी व्रत का महत्व
इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है . माना जाता है कि इस व्रत को करने और तिल, अन्नादि दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से दरिद्रता दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है . इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ना चाहिए और भगवान विष्णु के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का अधिक से अधिक जप करना चाहिए ताकि विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त हो सके.
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