SHREE KRISHNA MOR MUKUT kyun phenta hai श्री कृष्ण मोर मुकुट पर क्यों धारण करते हैं
श्री कृष्ण को मोर पंखधारी और मयूर भी कहा जाता है. मोर पंख श्री कृष्ण के श्रंगार का मुख्य अंग है. क्या आप जानते हैं श्री कृष्ण मोर पंख अपने मुकुट पर क्यों धारण किया?
बार एक मोर नंद गांव में श्री कृष्ण को रिझाने के लिए प्रतिदिन भजन गाता था . लेकिन श्रीकृष्ण उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते थे . श्री कृष्ण के इस व्यवहार से मोर एक दिन रो पडा़. उसी समय एक मैना उधर से गुजरी. उस मोर से पूछने लगी यह तो श्रीकृष्ण का द्वार है यहां क्यों रो रहे हो?
मोर मैना को बताता है श्री कृष्ण को रिझाने के लिए एक साल से प्रतिदिन यहां भजन गाता हूं. लेकिन श्री कृष्ण मेरी ओर ध्यान ही नहीं देते .मैना कहती है अगर श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करनी है तो मेरे साथ राधा रानी के द्वार बरसाने चलो.
मोर ने जैसे ही बरसाने जाकर श्री कृष्ण का भजन गाना शुरू किया राधा रानी दौड़ी आई और उसे गले लगा लिया. मोर ने सारा प्रसंग राधा रानी से सुनाया. राधा रानी कहने लगी तुमने जो एक साल से श्रीकृष्ण को रिझाने की कोशिश की है उसी का फल अब तुम्हें मिलेगा
अब तुम जाकर श्रीकृष्ण को कुछ और सुनाना. मोर ने कहा मैंने अपनी करुणा के बारे में बहुत कुछ सुना था आज देख भी लिया.
अगले दिन मोर नंद गांव में जाकर राधा रानी की महिमा के गीत गाने लगा. श्री कृष्ण उसी समय दौड़ कर आए और उसे गले से लगा लिया. मोर कहने लगा अरे छलिया एक साल से तुझे रिझाने की कोशिश कर रहा हूं .लेकिन तूने कभी ध्यान नहीं दिया .
अब जब श्री राधा रानी की कृपा प्राप्त हुई तो आकर मुझे गले से लगा लिया.श्री कृष्ण कहते हैं कि किसी के मुख से " रा"अक्षर सुनते ही मैं उसे भक्ति प्रदान करता हूं और "धा" अक्षर सुनते ही राधा रानी का नाम सुनने के लालसा में उसके पीछे-पीछे चला जाता हूं.
श्री कृष्ण ने उस दिन मोर को वचन दिया कि मैं आज से तेरे मोर पंख को अपने सिर पर धारण करूंगा.
माँ यशौदा श्री कृष्ण के मस्तक पर मोर पंख क्यों लगाती थी?
मां यशोदा भी श्रीकृष्ण के मस्तक पर मोर पंख लगाती थी. माना जाता है कि मां यशोदा श्रीकृष्ण को बुरी नजर से बचाने के लिए पंख लगाती थी. एक और पौराणिक कथा के अनुसार मां यशोदा को किसी ऋषि ने बताया था कि तुम्हारे पुत्र को सर्पदंश योग है. उसे जीवन में सर्प से खतरा हो सकता है. उन्होंने इसके निवारण के लिए मां यशोदा को श्री कृष्ण के मस्तक पर मोर पंख लगाने को कहा. इसलिए माँ यशौदा श्री कृष्ण के मस्तक पर मोर पंख लगाती थी.
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