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Showing posts from March, 2021

GURU KA JEEVAN MEIN MAHATVA STORY IN HINDI

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गुरु का जीवन में महत्व एक प्रेरणादायक कहानी   गुरु का शाब्दिक अर्थ है अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले कर जाने वाला. एक सच्चा गुरु हमारे मन के भावों को जान लेता है और हमारे मन की शंका का निवारण भी कर देता है, हमारे अवगुणों को पहचान कर उन्हें दूर कर देता है. एक बार एक संत जी थे. वह अपने शांत स्वभाव के लिए बहुत प्रसिद्ध थे .उन्हें कभी क्रोध नहीं आता था .उनका एक शिष्य बहुत ही क्रोधी स्वभाव का था .जरा सी बात पर दूसरों से गाली गलौज करना शुरू कर देता. उसे कई बार अपने गुरु के शांत स्वभाव पर भी बड़ी हैरानी होती कि ,कोई इतना शांत कैसे रह सकता है ?लेकिन संकोच के कारण गुरु से पूछ नहीं पाता .लेकिन सच्चा गुरु तो भाप लेता है कि हमारे मन में क्या चल रहा है ? इसी तरह उसके गुरु ने भी जान लिया कि उसके मन में एक प्रश्न चल रहा है. गुरु ने उससे पूछ लिया कि अगर तुम मुझ से कुछ पूछना चाहते हो तो बेझिझक पूछ सकते हो. शिष्य ने कहा, "गुरु जी मैं जानना चाहता हूं, कि आपको कभी क्रोध क्यों नहीं आता"? आप इतने शांत कैसे रहते हैं?  संत कहते हैं कि तुम संध्या के समय मेरे पास आना. मैं तुम्हारे प्रश

SWAMINARAYAN MANDIR GHARPUR GUJARAT TEMPLE WATCH घरपुर गुजरात टेंपल वॉच

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  घरपुर गुजरात के स्वामीनारायण गोपीनाथ मंदिर में ठाकुर जी की एक मुर्ति है . ठाकुर जी की इस मुर्ति की कलाई पर एक घड़ी बंधी है . ठाकुर जी के कलाई पर यह घड़ी करीब 50 से भी अधिक साल  पहले एक अंग्रेज ने बांधी थी .जब उसे पता चला कि ठाकुर जी की मूर्ति में प्राण है, तो उसमें सच्चाई परखने के लिए ठाकुर जी के कलाई में घड़ी बांध दी. ठाकुर जी की लीला अपरम्पार कलाई में डालते ही घड़ी चल पड़ी. यह घड़ी सेल(cell) से नहीं पल्स रेट से चलती है. 50 से भी अधिक साल से यह घड़ी चल रही है और अभी भी ठीक समय बताती है. ठाकुर जी के श्रृंगार के समय जब घड़ी उतारते हैं तो घड़ी बंद हो जाती है. ठाकुर जी के हाथ में डालते ही फिर से चलना शुरू हो जाती हैं.  ठाकुर जी लीला अपरम्पार है. जय श्री कृष्णा  Also Read - पढ़ें केवल अक्षय तृतीया पर ही क्यों होते हैं बांके बिहारी के चरण दर्शन श्री कृष्ण की भक्ति कथाएं श्री राधा कृष्ण आरती लिरिक्स इन हिन्दी मधुराष्टकं लिरिक्स हिन्दी अर्थ सहित श्री कृष्ण को लड्डू गोपाल क्यों कहा जाता है तिरुपति बालाजी मंदिर के रहस्य बांकेबिहारी मंदिर से जुड़े रहस्य बड़ा हनुमान मंदिर जहाँ हनुमान जी की मूर्

SHRI RADHA KRISHNA AUR NARAD JI KI KATHA

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 Radhe Krishna :श्री  राधा कृष्ण और नारद जी की कहानी एक बार नारद मुनि ने पृथ्वी लोक पर राधा नाम की महिमा सुनी और सुना कि वह श्री कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त है. नारद जी को लगता था कि वह श्री हरि के सबसे बड़े भक्त है.   अपने मन की शंका का निवारण करने के लिए नारद जी श्री कृष्ण के पास गए . श्री कृष्ण तो अंतर्यामी समझ गए कि नारद जी के मन में क्या शंका चल रही है? श्री कृष्ण ने सोचा नारद जी को राधा रानी के प्रेम और भक्ति का अनुभव करवाना ही पड़ेगा . जब नारद जी श्री कृष्ण के पास आए तो श्री कृष्ण अपना सिर पकड़ कर बैठे थे . नारद जी ने श्री कृष्ण से पूछा कि, "प्रभु आपको क्या हुआ है"? श्री कृष्ण कहने लगे कि नारद जी ,"मेरे सर में बहुत दर्द है" . नारद जी ने पूछा कि ,"प्रभु आपकी इस दर्द का निवारण कैसे होगा". श्री कृष्ण कहा कि, "अगर कोई मेरा सच्चा भक्त अपने चरणों को धोकर उसका चरणामृत मुझे पिलाए तो मेरा सिर दर्द ठीक हो जाएगा". नारद जी सोचने लगे कि मैं श्रीहरि का सबसे सच्चा भक्त हूँ. लेकिन श्री कृष्ण को अपने चरणों का चरणामृत पिलाने से मुझे नरक तुल्य पाप लगेगा.  इस

RAM NAAM KI MAHIMA

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  हनुमान जी ने कही राम नाम की महिमा राम नाम की महिमा अपरंपार है . राम नाम के जाप से पत्थर भी तर जाते हैं .  लंका युद्ध से पहले जब हनुमान जी सीता माता का पता लगा कर आ गए और समुद्र देव ने श्री राम को समुद्र पर सेतु बनाने का सुझाव दिया.  समुद्र पर सेतु निर्माण के लिए सारी वानर सेना कार्य कर रही थी. श्री राम देख रहे थे उनका नाम लिख कर पत्थर पानी में डालते हैं तो वह तर जाते हैं. श्री राम मन में विचार करने लगे कि मेरे नाम से पत्थर तर जाते हैं तो समुद्र में मेरे द्वारा डाला गया पत्थर भी तर जाएंगा. लेकिन जैसे ही श्रीराम ने पत्थर पानी में डाला तो वह डूब गया. श्री राम विस्मित हुए कि ऐसा क्यों हुआ?  हनुमान जी यह सारा प्रसंग देख रहे थे.  हनुमान जी पूछने लगे कि प्रभु क्या सोच रहे हैं. श्री राम कहने लगे कि हनुमान जिस पत्थर पर मेरा नाम लिखा है वह पत्थर तर रहे हैं लेकिन पानी में मेरे द्वारा डाला गया पत्थर क्यों डूब गया. हनुमान जी कहने लगे कि प्रभु आपके नाम को धारण करने के कारण पत्थर पानी में तैर रहे हैं लेकिन जिन पत्थरों को आप स्वयं त्याग रहे हैं उनको डुबने से कौन बचा सकता है ? अर्थात श्री राम का नाम

VIJAYA EKADSHI विजया एकादशी 2021

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विजया एकादशी की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएँ   फा ल्गुन मास के कृृृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी व्रत आता है.  यह एकादशी महाशिवरात्रि  से दो दिन पहले आती है इसलिए इस का महत्व ओर बढ़ जाता है. विजया एकादशी 9 मार्च दिन मंगलवार को है.  मान्यता है कि विजय एकादशी का व्रत भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले विजय प्राप्ति के लिए किया था. इसलिए इस व्रत को विजया एकादशी कहा जाता है. विजया एकादशी व्रत कथा जब रावण सीता माता का हरण करके उन्हें लंका जी ले गया तो श्री राम वानर सेना की सहायता से समुद्र तट तक पहुंच गए. लेकिन उनके सामने विशाल समंदर को लांघने की चुनौती थी. हनुमान तो पवन पुत्र थे इसलिए उड़कर लंका जी पहुंच गए. सीता माता का पता लगाकर और लंका दहन करके वापस आ गए . लेकिन श्रीराम के लिए चुनौती दी थी बाकी की वानर सेना के साथ सात समुंदर पार कैसे पहुंचे . लक्ष्मण जी ने श्रीराम से कहा कि प्रभु यहां से कुछ दूरी पर  वकदालभ्य  ऋषि रहते हैं . प्रभु उनसे कोई उपाय पूछ ले . ऋषि ने बताया कि प्रभु आप पूरी वानर सेना के साथ एकादशी का व्रत करें और अपने इष्ट की पूजा करें. श्री राम भगवान शिव को अप

Happy women's Day 2021

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  Happy Women's day to all the women. वुमन डे पर सभी women's को dedicated एक रोचक कहानी. एक बार एक बहुत ही न्याय प्रिय राजा था. उस की रानी भी बहुत समझदार थी. बहुत बार राजा अपने राज्य के मामलों में उस की सलाह लेता. लेकिन जब बात उनके घरेलू मामलों की आती तो रानी अपना तर्क सही साबित कर के अपनी बात मनवा लेती. एक बार राजा ने सोचा कि क्यों ना प्रतियोगिता रखी जाए कि घर में किस की चलती  है पति की पत्नी की या दोनों की. राज्य के सभी दरबारियों, कर्मचारियों, और अधिकारियों के लिए प्रतियोगिता में भाग लेना आवश्यक कर दिया गया.                        प्रतियोगिता के पहले नियम के अनुसार सब को बताना था कि घर में फैसले कौन लेता है. अगर पति - पत्नी मिल कर लेते हैं तो प्रतियोगी को एक संतरा उठाना था और वो ईनाम का हकदार नही होगा.   दूसरे नियम के अनुसार अगर पति अकेले फैसला लेता है तो उसे सेब उठाना था और वह लाखों के मुल्य की वस्तु का हकदार होगा. महल में बहुत से ऐसे कर्मचारी थे जो अपनी पत्नी को मार कर, डांट कर अपनी बात मनवा लेते थे. राजा यह बात जानता था इस लिए  प्रतियोगिता का तीसरा नियम था कि अगर जीतने के

SHRI KRISHNA AUR BHAGWAAN SHIV YUDH श्री कृष्ण और शिव जी का युद्ध

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 श्री कृष्ण और भगवान शिव के बीच में एक भयंकर युद्ध बाणासुर के कारण हुआ था . पढ़े क्या था युद्ध का कारण और युद्ध का क्या परिणाम निकला .  बाणासुर नाम का एक असुर हुआ. बाणासुर दैत्य राज बलि का पुत्र था. वह भगवान शिव का भक्त था . उसने भगवान शिव से तपस्या करके हजारों भुजाओं का वरदान मांगा और वर मांगा कि भगवान शिव उसके किले के रक्षक बने.  भगवान शिव को यह सुनकर कुछ अपमानित महसूस हुआ लेकिन बाणासुर के वर मांगने के कारण भगवान शिव उसके किले के रक्षक बन गए. अब बाणासुर अत्यंत शक्तिशाली हो गया और देवता उससे भयभीत रहने लगे.  एक दिन बाणासुर की भगवान शिव से युद्ध करने की इच्छा हुई .भगवान शिव ने कहा कि मैं तुमसे युद्ध नहीं कर सकता लेकिन तुम्हें पराजित करने वाला कृष्ण इस धरती पर अवतार ले चुका है .  भगवान शिव ने कहा कि जब तुम्हारे किले की ध्वजा गिर जाए तो समझ लेना कि तेरा शत्रु आ चुका है. यह सुनकर बाणासुर ने भगवान शिव की कठिन तपस्या की . उसने वरदान मांगा कि जब कृष्ण से मेरा युद्ध होगा तो आप मेरे प्राणों की रक्षा करेंगे . भगवान शिव ने उसे यह वरदान दे दिया . बाणासुर की एक पुत्री थी जिसका नाम  उषा था.  उषा स