Happy women's Day 2021

 


Happy Women's day to all the women. वुमन डे पर सभी women's को dedicated एक रोचक कहानी.
एक बार एक बहुत ही न्याय प्रिय राजा था. उस की रानी भी बहुत समझदार थी. बहुत बार राजा अपने राज्य के मामलों में उस की सलाह लेता. लेकिन जब बात उनके घरेलू मामलों की आती तो रानी अपना तर्क सही साबित कर के अपनी बात मनवा लेती.

एक बार राजा ने सोचा कि क्यों ना प्रतियोगिता रखी जाए कि घर में किस की चलती  है पति की पत्नी की या दोनों की. राज्य के सभी दरबारियों, कर्मचारियों, और अधिकारियों के लिए प्रतियोगिता में भाग लेना आवश्यक कर दिया गया. 

                   

  प्रतियोगिता के पहले नियम के अनुसार सब को बताना था कि घर में फैसले कौन लेता है. अगर पति - पत्नी मिल कर लेते हैं तो प्रतियोगी को एक संतरा उठाना था और वो ईनाम का हकदार नही होगा. 

 दूसरे नियम के अनुसार अगर पति अकेले फैसला लेता है तो उसे सेब उठाना था और वह लाखों के मुल्य की वस्तु का हकदार होगा.

महल में बहुत से ऐसे कर्मचारी थे जो अपनी पत्नी को मार कर, डांट कर अपनी बात मनवा लेते थे. राजा यह बात जानता था इस लिए

 प्रतियोगिता का तीसरा नियम था कि अगर जीतने के बारे में यह बात पता चली कि वो अपनी पत्नी को मारता है तो उसे आजीवन कारावास दिया जाएगा.

अब जो सोच रहे थे कि वह शान से जाएंगे, सेब उठाएंगे और लाखों का इनाम पाएंगे. उन्होंने भी अपना विचार बदल दिया कि अगर किसी ने शिकायत कर दी कि मैं पत्नी को मारता हूँ तो ईनाम के चक्कर में सारी उमर कारागार में ना गुज़ारनी पड़े.

प्रतियोगिता शुरू हुई. आधे के करीब प्रतियोगियों ने चुप चाप संतरा उठ लिया. तभी एक पहलवान की बारी आई. वह बोला, " महाराज मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूँ लेकिन फिर भी मेरे घर में मेरी ही चलती है" और फिर वह सेब उठा लेता है. राजा कहता है कि अस्तबल में जाओं. वहा पर लाखों मुल्य के घोड़े है , कोई भी ले जाओ.


प्रतियोगिता आगे चलती रही लेकिन अंत तक किसी और ने सेब नही उठाया. राजा ऐलान करने ही वाला था कि इस प्रतियोगिता में केवल पहलवान ही विजेता है तो उसी समय पहलवान वापिस आ गया और बोला कि महाराज, "मैं काले रंग का घोड़ा ले गया था लेकिन मेरी पत्नी ने बोला कि काला रंग शुभ नहीं होता बदल कर सफेद घोड़ा ले आओं. 

राजा बोला घोड़ा अस्तबल में छोड़ और भाग यहाँ से! 

" कम से कम बाकी सभी को इतना तो पता था कि घर में किसकी चलती है. लेकिन तुम्हे तो आज जाकर पता चला है असल में तुम्हारे घर में चलती किसकी है." राजा ने कहा.

राज महल में अब बचे थे राजा और उसका सेनापति लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई की उनसे पूछे उन के घर में किसकी चलती है . 

राजा ने रात्रि भोज के लिए सेना पति को आमंत्रित किया और भोजन से पहले उसे खाने के लिए सेब और संतरा दिया. सेनापति ने सेब उठा लिया, और उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ ग ई. तो राजा ने उसका कारण पूछा. सेना पति ने कहा उठाना तो मैं संतरा ही चाहता था लेकिन मेरी पत्नी ने कहा था कि अगर राजा आप से सेब या संतरा उठाने के लिए कहे तो आप सेब ही उठाना नही तो राजा क्या सोचेंगे की इतने बड़े राज्य का सेनापति और घर में इसकी नहीं चलती.

सेना पति ने कहा कि महाराज आप यह बताओ कि आप ने ईनाम में सोने के सिक्के, मोती, या हीरे रखते, लाखों का घोड़ा ईनाम में क्यों रखा. राजा ने कहा कि मैं रखना तो सोने के सौ सिक्के चाहता था लेकिन रानी कहने लगी नहीं महाराज आप ईनाम में घोड़ा ही रखे. यह सुन कर सेनापति हंस पडा़ और बोला कि मुझे पता चल गया है कि आप के घर में किस की चलती है.

राजा भी हंस पडा़ और बोला कि अच्छा ही हुआ मैंने रानी की बात मानी. अगर ईनाम में सिक्के होते तो वह पहलवान वापिस नहीं आता और उसको भी पता नहीं चलता कि उसके घर पर किस की चलती है.

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