GURU KA JEEVAN MEIN MAHATVA STORY IN HINDI

गुरु का जीवन में महत्व एक प्रेरणादायक कहानी 

 गुरु का शाब्दिक अर्थ है अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले कर जाने वाला. एक सच्चा गुरु हमारे मन के भावों को जान लेता है और हमारे मन की शंका का निवारण भी कर देता है, हमारे अवगुणों को पहचान कर उन्हें दूर कर देता है.

एक बार एक संत जी थे. वह अपने शांत स्वभाव के लिए बहुत प्रसिद्ध थे .उन्हें कभी क्रोध नहीं आता था .उनका एक शिष्य बहुत ही क्रोधी स्वभाव का था .जरा सी बात पर दूसरों से गाली गलौज करना शुरू कर देता.

उसे कई बार अपने गुरु के शांत स्वभाव पर भी बड़ी हैरानी होती कि ,कोई इतना शांत कैसे रह सकता है ?लेकिन संकोच के कारण गुरु से पूछ नहीं पाता .लेकिन सच्चा गुरु तो भाप लेता है कि हमारे मन में क्या चल रहा है ? इसी तरह उसके गुरु ने भी जान लिया कि उसके मन में एक प्रश्न चल रहा है.

गुरु ने उससे पूछ लिया कि अगर तुम मुझ से कुछ पूछना चाहते हो तो बेझिझक पूछ सकते हो. शिष्य ने कहा, "गुरु जी मैं जानना चाहता हूं, कि आपको कभी क्रोध क्यों नहीं आता"? आप इतने शांत कैसे रहते हैं? 

संत कहते हैं कि तुम संध्या के समय मेरे पास आना. मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दे दूंगा और तुम्हारे भविष्य के बारे में भी तुम्हें कुछ बताऊंगा. संध्या के समय शिष्य  गुरु के पास पहुंचा . गुरु जी ने कहा कि मैं तुम्हें पहले तुम्हारे भविष्य के बारे में बताऊंगा . 

उसके गुरु ने कहा कि, "तुम्हारे पास जीवन के केवल 7 दिन शेष बचे हैं ".इसलिए तुम पहले जाकर अपने वह कार्य कर लो जो तुम्हें लगता है कि मृत्यु से पहले तुम्हें कर लेनी चाहिए . उसके 6 दिन के बाद आना, तब मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दे दूंगा .

शिष्य  ने गुरु को प्रणाम कर विदा ली. छ: दिन के बाद वह फिर से संत के पास आया तो संत ने पूछा तो बताओ इन 6 दिनों में तुमने कितना क्रोध किया, कितने लोगों को के साथ गाली गलौज किया.

 शिष्य ने गुरु से कहा कि, "मुझे लगा कि अब मेरे जीवन के 7 दिन ही शेष बचे हैं, इसलिए मैंने सबके साथ नम्र स्वभाव से बात की".  गुस्सा आने पर भी धैर्य को बनाए रखा कि कुछ दिनों में मेरी मृत्यु आने वाली है . मृत्यु से पहले किसी से वैर क्यों रखना? 

उल्टा मैंने तो जिन लोगों से पहले बुरा बर्ताव किया था उनसे जाकर क्षमा मांगी .कुछ लोगों ने माफ कर दिया और कुछ नहीं माफ नहीं किया. इस बात की मुझे ग्लानी है .

 गुरु मुस्कुराए और बोले कि, "मेरे  शांत स्वभाव  और गुस्सा ना करने का कारण भी यही है, मैं हर दिन को अपने जीवन का अंतिम दिन समझ कर ही ईश्वर की अराधना करता हूं,और किसी के साथ वैर विरोध नहीं करता हूँ" .

मैंने तुम से झूठ  बोला था कि तुम्हारे जीवन के सात दिन शेष बचे हैं, लेकिन जब तुमने इस बात का एहसास किया कि तुम्हारी मृत्यु होने वाली है तब तुमे लगा कि इस जीवन में शुभ कर्म करने चाहिए किसी से लडाई- झगड़ा नहीं करना चाहिए. 

उस दिन से उस शिष्य का जीवन बिल्कुल बदल गया  . उसका क्रोधी स्वभाव शांत हो गया .इसीलिए तो कहते हैं कि जीवन में सद्गुरु मिल जाए तो वह  हमारे अवगुणों को दूर कर देते हैं . 

ALSO READ

"हीरे की परख जौहरी ही जानता है" कहानी में गुरु ने कैसे व्यक्ति को उसके जीवन की कीमत का अहसास करवाया

महात्मा बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी जो सिद्ध करती है कि गुरु अगर सच्चा हो तो एक खुखार डाकू भी सज्जन बन सकता है

गुरु मिले तो बंधन छूटे

श्री कृष्ण ने अपने गुरु को क्या गुरुदक्षिणा दी

सहयोग का फल

Comments

Popular posts from this blog

KHATU SHYAM BIRTHDAY DATE 2024

BAWA LAL DAYAL AARTI LYRICS IN HINDI

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA