RAM NAAM KI MAHIMA
हनुमान जी ने कही राम नाम की महिमा
राम नाम की महिमा अपरंपार है . राम नाम के जाप से पत्थर भी तर जाते हैं .
समुद्र पर सेतु निर्माण के लिए सारी वानर सेना कार्य कर रही थी. श्री राम देख रहे थे उनका नाम लिख कर पत्थर पानी में डालते हैं तो वह तर जाते हैं.
श्री राम मन में विचार करने लगे कि मेरे नाम से पत्थर तर जाते हैं तो समुद्र में मेरे द्वारा डाला गया पत्थर भी तर जाएंगा. लेकिन जैसे ही श्रीराम ने पत्थर पानी में डाला तो वह डूब गया.
श्री राम विस्मित हुए कि ऐसा क्यों हुआ?
हनुमान जी यह सारा प्रसंग देख रहे थे. हनुमान जी पूछने लगे कि प्रभु क्या सोच रहे हैं. श्री राम कहने लगे कि हनुमान जिस पत्थर पर मेरा नाम लिखा है वह पत्थर तर रहे हैं लेकिन पानी में मेरे द्वारा डाला गया पत्थर क्यों डूब गया.
हनुमान जी कहने लगे कि प्रभु आपके नाम को धारण करने के कारण पत्थर पानी में तैर रहे हैं लेकिन जिन पत्थरों को आप स्वयं त्याग रहे हैं उनको डुबने से कौन बचा सकता है ? अर्थात श्री राम का नाम भव सागर से तारने वाला है।
Shri Ram quotes in Hindi and Sanskrit
हनुमान जी ने सिद्ध किया राम से बड़ा राम का नाम
कलयुग में राम नाम की महिमा तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में की है कि-
कलियुग जोग न जग्य न ग्याना ।
एक अधार राम गुन गाना ।।
सब भरोस तजि जो भज रामहि।
प्रेम समेत गाव गुन ग्रामहि ।।
भाव - तुलसीदास जी कहते हैं कि कलयुग मे न योग है, ना यज्ञ है, ना ही ज्ञान है केवल राम नाम ही एक आधार है जो सब भरोसे त्याग कर श्री राम का नाम सिमरन करता है और उनके गुणों का गान करता है.
सोई भव तर कछु संसय नाहीं।
नाम प्रताप प्रगट कलि माहीं।।
कलि कर एक पुनीत प्रतापा।
मानस पुन्य होहिं नहीं पापा।।
भाव - श्री राम का नाम जपने वालि भव सागर तर जाता है इसमें कोई भी संदेह नहीं है. नाम का प्रताप तो कलयुग में प्रत्यक्ष है. कलयुग का एक पुनीत प्रताप है कि मानसिक पुण्य तो होते हैं लेकिन मानसिक पाप नहीं होते हैं.
दोहा - कलियुग सम जुग आन नहीं जौं कर विश्वास।
गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास।।
भाव - अगर आप विश्वास करे तो कलयुग के समान कोई युग नहीं है क्योंकि कलयुग में श्री राम के निर्मल गुणों का गान कर मनुष्य संसार रूपी भव सागर से बिना परिश्रम ही तर जाता है.
काल धर्म नहीं ब्यापहिं ताही ।
रघुपति चरन प्रीति अति जाही।।
नट कृत बिकट कपट खगनायक ।
नट सेवक न ब्यापइ माया।।
भाव - जिसकी श्री राम के चरणों में प्रीति है उनको काल धर्म नहीं व्यापते. हे पक्षी राज! जैसे नट ( बाजीगर) का किया कपट(खेल) देखने वाले के लिए विकट( दुर्गम) होता है लेकिन बाजीगर के सेवक ( जंभूरे) को उसकी माया नहीं व्यापती भाव सेवक को उसका खेल दुर्गम नहीं लगता है.
दोहा- हरि माया कृत दोष गुन बिनु हरि भजन न जाहिं ।
भजिअ राम तजि काम सब अस बिचारि मन माहिं।।
भाव- श्री हरि की माया से रचे हुए दोष और गुण श्री हरि (राम) के भजन के बिना नहीं जाते. ऐसा सोच कर सब कामनाओं को छोड़कर कलयुग में श्री राम के नाम का भजन करना चाहिए
पढ़े श्री राम नाम का वर्णन कहाँ कहाँ है
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