VIJAYA EKADSHI विजया एकादशी 2021
मान्यता है कि विजय एकादशी का व्रत भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले विजय प्राप्ति के लिए किया था. इसलिए इस व्रत को विजया एकादशी कहा जाता है.
विजया एकादशी व्रत कथा
जब रावण सीता माता का हरण करके उन्हें लंका जी ले गया तो श्री राम वानर सेना की सहायता से समुद्र तट तक पहुंच गए. लेकिन उनके सामने विशाल समंदर को लांघने की चुनौती थी. हनुमान तो पवन पुत्र थे इसलिए उड़कर लंका जी पहुंच गए. सीता माता का पता लगाकर और लंका दहन करके वापस आ गए .
लेकिन श्रीराम के लिए चुनौती दी थी बाकी की वानर सेना के साथ सात समुंदर पार कैसे पहुंचे . लक्ष्मण जी ने श्रीराम से कहा कि प्रभु यहां से कुछ दूरी पर वकदालभ्य ऋषि रहते हैं . प्रभु उनसे कोई उपाय पूछ ले . ऋषि ने बताया कि प्रभु आप पूरी वानर सेना के साथ एकादशी का व्रत करें और अपने इष्ट की पूजा करें. श्री राम भगवान शिव को अपना इष्ट मानते थे इसलिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना की और ऋषि ने जो व्रत की विधि बताई थी उसके अनुसार पूरी वानर के साथ एकादशी का व्रत किया.
व्रत के प्रभाव से समुंदर के पार जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ और समुद्र देवता ने उन्हें समुंद्र पर पुल बनाने का सुझाव दिया और इसी व्रत के प्रभाव से श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त की. इसलिए इस व्रत का नाम विजया एकादशी पड़ गया.
माना जाता है कि अगर किसी को किसी क्षेत्र में विजय प्राप्त करनी हो तो उसे विजया एकादशी का व्रत करना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है.
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