POSITIVE ATTITUDE सकारात्मक नजरिया

        

भविष्य की सोच

एक राज्य था जहाँ पर राजा को पांच साल राज्य करने के बाद कुछ जरूरी सामान के साथ जंगल में छोड़ आते. यह परम्परा वहाँ पर कई सालों से चली आ रही थी.

एक बार एक बहुत ही समझदार व्यक्ति को राजा बनाया गया. वह उस परम्परा के बारे में जानता था.उसनें मन्त्री से कहा कि मुझे वह स्थान दिखाओ जहाँ पांच साल बाद राजा को छोड़ा जाता है. राजा उस जगह का निरीक्षण करके वापिस आ गया और बहुत ही बेहतरीन तरीके से उसने राज्य किया. प्रजा ऐसे राजा को पा कर धन्य थी. 

पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद उसे भी जंगल जाने के लिए कहा गया. उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. इतने सालों में यह पहली बार हुआ था जब कोई राजा जंगल जाने के लिए उत्साहित था.

जंगल के पास पहुंच कर मन्त्रियों ने राजा से पूछा कि महाराज आप को जंगल में जाकर रहने से कोई  परेशानी नहीं है. आज तक ना तो कोई राजा इतना खुश जंगल में गया और ना ही किसी को दोबारा वापिस देखा.

राजा मुस्कुराया और बोला कि आप लोग स्वयं जाकर देख ले कि मैं परेशान क्यों नहीं हूँ ? जब मुझे राजा बनाया गया तो मैं जानता था कि पांच साल बाद मुझे इस जंगल में आ कर रहना है. इस लिए इन पांच सालों में मैंने शासन करने के साथ- साथ अपने भविष्य के बारे में भी सोचा.

. मैंने सबसे पहले जहाँ के जंगल के खतरनाक जानवरों को दूसरे जंगलों में भिजवा दिया.

. फिर मैंने जंगल का कुछ भाग खेती के लिए तैयार करवाया ताकि फसल उग सके.

. फिर मैंने एक पूरा गाँव उस जंगल में बसा दिया.

. अपने लिए एक अच्छे से भवन का निर्माण करवाया और सुख सुविधा की हर चीज का प्रबंध कर लिया.

क्योंकि मैं राजा था  ? मेरे हाथ में सत्ता थी किसी ने भी मेरे आदेश का उल्लंघन नहीं किया और यह रहस्य बाहर नहीं आया.

इस से पहले जो भी राजा हुए वह पांच साल राज्य करते, विलासता का जीवन जीते थे. उन्होंने केवल अपने आज को जिया और भविष्य के लिए कुछ सोचा ही नहीं था. इस लिए वह रोते हुए जंगल जाते थे और मैं प्रसन्न हो कर  .               

     समस्या की जड़

एक बार एक राजा को किसी दूसरे राज्य के राजा ने बेहतरीन नस्ल का बाद का बच्चा भेट में दिया. राजा ने बाज के बच्चे को प्रशिक्षित करने के लिए बेहतरीन ट्रेनर रखा. लेकिन बाज का बच्चा कुछ ऊंची उड़ान भरने के बाद फिर से पेड़ की डाल पर आकर बैठ जाता है.

राजा ने इसका कारण पूछा प्रशिक्षक कहने लगा महाराज मैंने तो अपनी तरफ से बढ़िया प्रशिक्षण दिया है. लेकिन ना जाने क्यों यह कुछ ऊंची उड़ान भरने के बाद वापिस आ  कर पेड़ की डाल पर बैठ जाता है. राजा ने ऐलान करा दिया जो इस बाज को ऊंची उड़ान भरना      सिखाएगा.   उसे मुंह मांगा इनाम दिया जाएगा लेकिन कोई भी उस बाज के  बच्चे को ऊंची उडान भरना ना सीखा पाया. 

लेकिन एक दिन राजा के पास खबर आई थी कि बाज के बच्चे ने ऊंची उड़ान भरनी शुरू कर दी है. राजा ने प्रशिक्षण से पूछा कि यह सब कुछ कैसे हुआ.

उसने बताया कि महाराज एक किसान आया था उसकी वजह से यह बाज उड़ पाया है. किसान को दरबार में बुलाया गया. राजा ने उसको मुंह मांगा इनाम दिया .राजा ने फिर सवाल किया कि तुमने ऐसा क्या किया जो बाकी सब ना कर पाए . 

किसान ने कहा कि महाराज मैंने अपने अनुभव से सिखा है कि समस्या समझ में ना आए तो उस जिस चीज़ के कारण समस्या हो रही है उसे ही हटा दो.

 किसान ने कहा महाराज जब मैंने देखा कि एक बाज का बच्चा बार-बार इस एक ही डाल पर आकर बैठता है तो मैंने उस पेड़ की डाल को ही काट दिया . मुझे लगा कि इस डाल का मोह इसे ऊंची उड़ान भरने से रोक रहा है.     और हुआ भी वही डाल काटते ही इसने ऊंची उड़ान भरने शुरू कर 

  नज़र नहीं नजरिया बदलो    

एक बार एक  बहुत ही न्यायप्रिय, बहादुर और निडर राजा था.  लेकिन राजा की एक आंख और एक पैर नहीं था. राजा एक दिन महल में अपने पूर्वजो ं की पेंटिंग देख रहा था. सबकी पेंटिंग बहुत ही शानदार थी.  उन चित्रों में उनका शौर्य झलक रहा था  . 

राजा को लगा कि मेरी पेंटिंग आने वाली पीढ़ियों को अच्छी नहीं लगेगी क्योंकि मेरी एक आँख और पैर नहीं है.  इसलिए मैं अपने जीते जी ही पेंटिंग बनवा लेता हूँ जो मुझे अच्छी लगेगी वो मैं प्रदर्शनी में लगवा दूंगा.

अगले दिन राज्य में घोषणा करवा दी गई कि जो भी राजा कि शौर्य को प्रदर्शित करने वाली पेंटिंग बनाएगा  . उसे मुंह मांगा ईनाम दिया जाएगा. किसी भी चित्रकार ने पेंटिंग बनाने के लिए हामी नहीं भरी. सब लोगों की सोच थी की राजा की बिना आंख और बिना पैर वाली पेंटिंग अच्छी नहीं बनेगी  . पेंटिंग पसंद ना आने पर राजा मृत्यु दंड भी दे सकता है.

लेकिन एक नौजवान आगे आया और कहने लगा क मैं आपकी पेंटिंग बनाउंगा जो आप को जरूर पसंद आएगी. सब लोग सोचने लगे कि बिना पैर और आंख के किसी की पेंटिंग कैसे अच्छी बन सकती है और किसी को शूरवीर कैसे दर्शा सकती है.

लड़के ने पेंटिंग बनाई और पूरा नगर उसे देखने आया. पेंटिंग देख कर सभी यही कहते वाह! क्या शानदार पेंटिंग बनाई है . वाह! इसमें तो राजा का शौर्य झलक रहा है.

आप जानते हैं कि उस लड़के ने राजा कि कैसी पेंटिंग बनाई? उस ने राजा कि घोड़े कर निशाना साधते हुए पेंटिंग बनाई. राजा का जो पैर नहीं था वह घोड़े पर बैठा दिखाने पर दूसरी ओर से नज़र नहीं आ रहा था. राजा कि जो आंख नहीं थी वह उसने तीर चलाने के लिए बंद की दिखाई थी.

इस तरह उसने बड़ी समझदारी से राजा कि कमी को राजा कि शूरवीरता के लिए प्रयोग किया. इस पेंटिंग को देख कर बाकी के चित्रकार सोच रहे थे कि हमने अपना नजरिया क्यों नही बदला. बाकी सब को समस्या इतनी बड़ी लगी की उन्होंने समाधान के बारे में सोचा ही नहीं था. 

हमारे साथ भी जिंदगी में ऐसी समस्याएं आती है . जब हम positive attitude or out of the box thinking से कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कोई ना कोई समाधान ढूँढ सकते हैं.

ALSO READ





Comments

Popular posts from this blog

BAWA LAL DAYAL AARTI LYRICS IN HINDI

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA

MATA CHINTPURNI CHALISA LYRICS IN HINDI