SHRI RAM KE BHAKT KI KATHA

श्री राम के भक्त की कथा


Devotional story of lord Ram: कहते हैं कि जो अनन्य भाव से ईश्वर की भक्ति करते हैं. उन पर आने वाले कष्टों का निवारण करने भी स्वयं ईश्वर को आना पड़ता है. श्री राम के ऐसे ही एक सच्चे भक्त का प्रसंग जब श्री राम को स्वयं उसकी गवाही देंगे अदालत में आना पड़ा.

वृंदावन में एक संत जी थे . उन्हें सभी जज साहब कहकर बुलाते थे .एक बार किसी ने पूछा कि हर कोई इन्हें जज साहब कह कर क्यों बुलाता है ?  तो पता चला कि वह संत दक्षिण भारत के किसी कस्बे में जज ही थे .

एक बार उनकी अदालत में छोटे से गांव से एक केस आया . एक केवट का केस था .उसके दो बेटे और एक बेटी थी .बेटी के विवाह के समय बेटों ने पिता से कहा कि, "आप गांव के साहूकार से ब्याज पर कुछ रुपया उधार ले ले ,हम मेहनत करके वह कर्ज चुका देंगे ".

वह केवट साहूकार से कुछ रकम उधार ले आया और उससे ब्याज की दर भी तय हो गई .बेटी की शादी हुई तो वह केवट मंदिर में ही रहने लगा . मंदिर की साफ-सफाई और सेवा करता . वह बहुत ही भोला था इसलिए हर कोई उसे भोला कह कर बुलाता. वह श्री राम का परम भक्त था . हर बात में कहता , "रघुनाथ जी जाने".

बेटों ने मेहनत करके रकम पिता को दी और कहा कि साहूकार का उधार उतार दो. साहूकार ने पैसा लेकर एक रसीद दी भोला को दी और  कहा कि इसे एक बार पढ़ ले. जिस पर लिखा था कि इसने मेरा सारा उधार चुका दिया है. 

भोला ने रसीद नहीं पढ़ी और कहा कि "जो जाने रघुनाथ जी जाने" . यह देखकर सेठ के मन में लालच आ गया और उसने भोला से और पैसे  ऐंठने की  सोची. उसने चालाकी से रसीद को बदल दिया . जिस पर लिखा था कि इसकी  अभी तक सारी रकम बकाया है . भोला इस बात से अनजान वापिस चला आया और रसीद संभाल कर रख दी.

कुछ दिन बाद सेठ ने अदालत में उस पर केस कर दिया . जज ने पूछा कि तुम ने साहूकार के पैसे वापस क्यो नही किए? भोला रोने लगा कि जज साहब मैंने तो सारे पैसे वापिस कर दिए है.

जज ने पूछा कि ,"तुम्हारे पास कोई गवाह है जो बता सके कि तुमने साहूकार के पैसे चुका दिए हैं ". भोला ने फिर कहा रघुनाथ जी जाने. जज ने सोचा कि शायद रघुनाथ जी गांव का कोई व्यक्ति होगा  . इसलिए साहब ने केस की अगली तारीख दे दी और रघुनाथ के नाम से सम्मन जारी कर दिया . 

जब सम्मन गांव में पहुंचे तो गांव के लोग कहने लगे रघुनाथ नाम का तो कोई व्यक्ति गांव में है ही नहीं. हाँ, गाँव में रघुनाथ जी एक मंदिर है. चपरासी मंदिर में गया और पुजारी जी से कहा कि रघुनाथ जी के नाम सम्मन आया है . पूजारी जी ने हस्ताक्षर कर ले लिया और श्री राम के चरणों में रख दिया . 

पुजारी जी सोचने लगे इतने सालों हो गए रघुनाथ जी की सेवा करते हुए . प्रभु आप के लिए वस्त्र , हार ,अभूषण ,मुकुट भोग बहुत कुछ आते देखा .लेकिन प्रभु आप के लिए सम्मन पहले ना देखा, ना सुना. प्रभु की लीला जो करे वही कम .

पंडित जी ने भोला से पूछा कि रघुनाथ जी का नाम क्यों लिया ? भोला ने कहा कि मैंने गलत क्या किया? रघुनाथ जी तो सब जानते हैं. तारीख   वाले दिन पूजारी जी ने प्रभु को वस्त्र, अभूषण पहनाए और भोग लगाया और कहा प्रभु भोला की भक्ति की लाज रखना. 

 अदालत में जज ने भोला से पूछा कि, " तुम्हारे रघुनाथ जी कहां है " ?भोला ने कहा कि वह तो सब जगह है .जज ने रघुनाथ जी को  अदालत में बुलाने के लिए कहा . अदालत में आवाज लगाई दी गई,"रघुनाथ जी हाजिर हो" 

एक वृद्ध दीन हीन हालत में अदालत में आ गए. उनके चेहरे पर एक अलग सा ओज था .जज ने पूछा कि जब भोला ने साहूकार को पैसे दिए तो क्या आप वहां थे ?वृद्ध ने कहा  हां. जज साहब ने पूछा इसका क्या सबूत है ?   वृद्ध ने बताया कि भोला की ईमानदारी देख कर साहूकार के मन में लालच आ गया था. भोला के हिसाब किताब की सही रसीद साहूकार की अलमारी में उसके बही - खाते में हैं .

आप अपने कर्मचारी को भेजकर मंगवा सकते हैं .जब वहां तलाशी ली गई तो रसीद मिल गई .साहूकार को दंडित किया और भोला को इज्जत के साथ बरी कर दिया.  इतने में वह वृद्ध जा चुका था .

जज ने भोला से पूछा कि जिस वृद्ध ने अदालत में गवाही दी कहां गया और कौन थे ? भोला ने कहा कि वह तो रघुनाथ जी थे. जज ने चपरासी से पूछा कि जिस व्यक्ति को तुम सम्मन दे कर आए थे क्या यह वृद्ध वही थे. चपड़ासी ने कहा कि जनाब वो कोई और ही थे.

जज साहब मंदिर में गए. वहां पर पुजारी जी थे.  जज साहब को वहां जाकर जब था सारा किस्सा पता चला तो वह फूट-फूट कर रोने लगे. उन्हें रघुनाथ जी की मुर्ति में उनही वृद्ध की छवि नजर आई. 

जज साहब कहने लगे कि, "जिन की अदालत में सबका  मुकदमा लगना है .वह मेरी अदालत में आए और मैं उन्हें पहचान नहीं पाया. मैं बैठा रहा और वह खड़े रहे" .उन्होंने जज के पद से इस्तीफा दे दिया और वृंदावन आ गए . वह हर रोज ठाकुर जी के मंदिर की रज अपने मस्तक पर लगाते हैं और बाहर से ही लोट जाते . 

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