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Showing posts from June, 2021

SANT KI SANGTI KA PHAL संत की संगति

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  एक बार एक बहुत प्रसिद्ध चोर किसी के बंगले पर चोरी करने गया. उस दिन वहाँ पर एक संत भागवत् कथा कर रहे थे. जब चोर वहाँ पहुँचा तो प्रसंग चल रहा था कि माँ यशोदा श्री कृष्ण और बलराम को हर रोज़ गहने पहनाती और वह दोनों भोजन करने के बाद गाय चराने जाते.  संत भाव विभोर होकर श्री कृष्ण की मणि और गहनों का  वर्णन कर रहे थे कि वह बहुमुल्य है, अनमोल है. चोर का ध्यान चोरी से हट गया और वह सोचने लगा कि इस संत से उन दिनों भाईयों का पता पूछ लेता हूं कि दोनों भाई कौन से स्थान पर गाय चराने जाते हैं ? मैं उनके गहने छीन लूंगा और मालामाल हो जाऊँगा. श्री कृष्ण की लीला देखिये उस चोर ने पहले कभी भी भक्ति भाव के प्रसंग सुने ही नहीं थे क्योंकि उसकी संगति ही चोर उचक्को ं की थी. वह तो बस चोरी - छीना झपटी, और मार काट ही जानता था. अब वह संत की प्रतीक्षा करने लगा कि कब वह इस सुनसान रास्ते से गुजरे और मैं दोनों बच्चों का पता पूछ सकू. संत को आते देख चोर ने उन्हें चाकू दिखाया और कहने लगा कि उन दोनों बच्चों का पता बता जिन के बारे में तुम बंगले में बता रहे थे कि उनके गहनों का मुल्य तो अनमोल है. संत ने समझाना चाहा कि भाई मै

BHAKT AUR BHAGWAAN KI KATHA

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भक्त और भगवान की कथा  कहते हैं कि भगवान तो भाव के भूखे होते हैं. भगवान तो सच्ची श्रद्धा पर रिझते है. सच्ची श्रद्धा भाव के कारण ही प्रभु श्री राम ने शबरी के बेर खाये. श्री कृष्ण ने दुर्योधन के महल का सुख त्याग विदुर के घर पर साग रोटी खाई.पढ़े श्री राम के ऐसे ही एक भोले भक्त का प्रसंग जहाँ श्री राम को और सीता जी को भोग लगाने के साथ उसका भोग स्वयं बनाना भी पड़ा. राम भक्त की कथा  एक बार एक लड़का था. वह सारा दिन कोई काम - धंधा ना करता. खाता -पीता और सौ जाता. सारा दिन घर पर निठल्ला  पडा़ रहता.एक दिन घरवालों ने उसे घर से निकाल दिया कि काम - धंधा तो कोई करता नहीं घर पर बोझ है. अब बेचारा परेशान कि क्या करु? कहाँ जाऊँ? सबसे बड़ी परेशानी क्या खाऊँ? रास्ते में उसे एक संत मिले. संत तो स्वाभाव से ही दयालु होते हैं. लड़के ने अपनी व्यथा उनको सुनाई. संत बोले अयोध्या जी चले जाओ. राम जी तुम्हारा बेड़ा पार लग़ा देगे. अब जैसे - तैसे अयोध्या जी पहुँच गया. अब सोचे क्या करू  ? कहाँ रहूँ? वहाँ एक मंदिर के बाहर एक साधू बैठे थे. साधू को देख कर सोचने लगा कि, साधू महाराज तो खूब हट्टे कट्टे है. खूब खाना खाते होगे.

GOD HELP THOSE WHO HELP THEMSELVES

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 भगवान भी उनकी मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करते हैं . GOD HELP THOSE WHO HELP THEMSELVES इस कथन को सत्य करता भगवान विष्णु , गरूड़ जी और पक्षी का प्रेरणादायक प्रसंग एक बार एक पक्षी के बच्चों को समुद्र ने पानी में डुबो दिया .पक्षी चोंच में पानी भरता और उसे बाहर फेंक आता . कुछ पक्षियों ने कहा कि इससे समुद्र नहीं सुखेगा . पक्षी ने कहा कि सलाह नहीं चाहिए मदद चाहिए . इतना सुनते ही सभी पक्षी उसकी मदद करने लगे. ऐसे करते करते बहुत से पक्षी उसकी मदद करने लगे. जब भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी को बात पता चली तो वह भी पक्षियों की मदद के लिए जाने लगे. भगवान विष्णु ने कहा कि,"तुम पक्षियों से समुद्र नहीं सुखेगा".  गरुड़ जी ने भी विष्णु भगवान से कहा कि ,"प्रभु सलाह नहीं चाहिए मदद चाहिए". इतना सुनते ही भगवान विष्णु गरुड़ के साथ आ गए समुद्र को सुखाने. भगवान विष्णु को उनके साथ देख कर समुद्र डर गया और उसने पक्षी के बच्चों को वापिस कर दिया. उस पक्षी की कोशिश रंग लाई और उसे उसके बच्चे वापिस मिल गए . सही कहते हैं भगवान भी उनकी मदद करते हैं जो अपनी मदद आप करते हैं. Also Read Comfort zone

MOTIVATION STORIES ON PARENTING

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        दोस्त के स्कूल जाना पड़ेगा एक 10 -12 साल का लड़का अपनी माँ से कहता है कि आप मुझ से प्यार नहीं करते . मुझे बहुत कम रूपये खर्च करने को देते हो. मेरे दोस्त को देखो उसके पापा - मम्मी, दादा - दादी हर कोई उसे अलग -अलग पैसे खर्च करने को देता है  . आप लोग बहुत कंजूस हो इस लिए मुझे कम पैसे खर्च करने को देते हो. मेरा दोस्त के पास पैसे होते हैं इस लिए वह गली में आने वाले vendor से कुछ भी खरीद कर खा सकता है.  माँ ने समझाया कि बेटा गली में आने वाले vendor साफ सफाई का ध्यान नही ं रखते इसलिए तुमे खाने से मना करते हैं.  लेकिन बच्चे के मन में परिवार के प्रति negativity माँ ने महसूस कर ली. उस बच्चे की माँ ने उसके दोस्त की background पता लगाया और और wait करने लगी की कब वह आ कर सवाल करे और वह logically जबाब दे. आखिर बहुत जल्द वह दिन आ गया वह कहने लगा कि आप तो बहुत कम पैसे खर्च करने को देते हो. मेरा दोस्त हर रोज 50 रूपये खर्च करता है  .  माँ ने कहा कि मैं कल से तुम को 50 रुपये  दूंगी. लेकिन मेरी एक ही शर्त है कि तुम को भी अपने दोस्त के स्कूल में जाना पडे़गा. उसकी 50 रुपये मिलने की खुशी पल में ही खत

BHADRAKALI MANDIR AMRITSAR

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भद्रकाली मंदिर अमृतसर गेट खजाना  पंजाब राज्य के अमृतसर शहर के खजाना गेट में सिद्ध पीठ माता भद्रकाली मंदिर भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है यहाँ महाकाली और माँ भद्रकाली की पीठ आपस में जुड़ती है. यहाँ आने वाले भक्त माँ को नारियल और कच्ची लस्सी चढा़ते है  .नारियल, मिठाई के साथ माँ को मदिरा का भी भोग लगाया जाता है और जीवित बकरा और मुर्गा भी चढ़ाया जाता है  .  लगभग  1500 साल पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य जी द्धारा करवाया गया था. मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी महंतों की 16 वीं पीढ़ी कर रही है. माना जाता है कि खांसी ठीक ना हो रही हो तो माता की जीभ से लगा जल  पीने से खांसी ठीक हो जाती है. यहाँ पर भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. गुरु की नगरी अमृतसर के खजाना गेट में स्थित मां भद्रकाली का मंदिर देश का इकलौता मंदिर है जहां पर महाकाली और भद्रकाली की पीठ आपस में जुड़ती है।  मंदिर में प्रवेश करने पर मां महाकाली के दर्शन होते हैं और उसकी दूसरी ओर मां भद्रकाली श्वेत रूप में विराजमान हैं। भद्रकाली मेला हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अपरा एकादशी को मेला लगता है. यहाँ माथा टेकने दूर- दूर से श्रद्धाल

LADOO GOPAAL KI SEWA ke katha लड्डू गोपाल की सेवा का फल की कथा

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लड्डू गोपाल जी की सेवा करने से क्या फल  मिलता है ? Story in hindi   एक  बार एक सेठ जी श्री कृष्ण के परम भक्त थे. वह घर पर लड्डू गोपाल जी ले आए. सेठानी से कहने लगे कि इन की सेवा करना. इनको सुबह शाम भोग लगाना . सेठानी को उनकी सेवा करना बहुत मुश्किल लगता था . उनका मानना था कि मुझे बच्चों की देखभाल से समय नहीं मिलता. मैं ठाकुर जी की सेवा कैसे करूँ. एक दिन उसने लड्डू गोपाल जी को अपने बगले के बगीचे मे ं मिट्टी खोद कर दबा दिया. अपने पति को कहा कि लड्डू गोपाल जी चोरी हो गए. सेठ जी ने को बहुत दुख हुआ लेकिन ठाकुर जी की इच्छा मान कर मन मसोस कर रह गए.  उनके घर में एक माली बगीचे की देखभाल के लिए अक्सर आता. उसे बगीचे का वह भाग आकर्षित करता जहाँ सेठानी ने लड्डू गोपाल जी को दबाया था  . एक दिन उसने उस भाग को खोदा तो उसे लड्डू गोपाल जी मिल गए. वह भागा - भागा सेठानी जी के पास गया और उत्साहित हो कर सेठानी को बताने लगा कि देखो मुझे बगीचे में से लड्डू गोपाल जी मिले हैं  .  सेठानी ने उसी समय उसे नौकरी से निकाल दिया और कहा कि अपने लड्डू गोपाल जी को भी लेते जाओ. सेठानी ने आसपड़ोस के घरों में यह बात फैला दी कि