MOTIVATION STORIES ON PARENTING

     


  दोस्त के स्कूल जाना पड़ेगा

एक 10 -12 साल का लड़का अपनी माँ से कहता है कि आप मुझ से प्यार नहीं करते . मुझे बहुत कम रूपये खर्च करने को देते हो.

मेरे दोस्त को देखो उसके पापा - मम्मी, दादा - दादी हर कोई उसे अलग -अलग पैसे खर्च करने को देता है  . आप लोग बहुत कंजूस हो इस लिए मुझे कम पैसे खर्च करने को देते हो. मेरा दोस्त के पास पैसे होते हैं इस लिए वह गली में आने वाले vendor से कुछ भी खरीद कर खा सकता है. 

माँ ने समझाया कि बेटा गली में आने वाले vendor साफ सफाई का ध्यान नही ं रखते इसलिए तुमे खाने से मना करते हैं.  लेकिन बच्चे के मन में परिवार के प्रति negativity माँ ने महसूस कर ली.

उस बच्चे की माँ ने उसके दोस्त की background पता लगाया और और wait करने लगी की कब वह आ कर सवाल करे और वह logically जबाब दे. आखिर बहुत जल्द वह दिन आ गया वह कहने लगा कि आप तो बहुत कम पैसे खर्च करने को देते हो. मेरा दोस्त हर रोज 50 रूपये खर्च करता है  . 

माँ ने कहा कि मैं कल से तुम को 50 रुपये  दूंगी. लेकिन मेरी एक ही शर्त है कि तुम को भी अपने दोस्त के स्कूल में जाना पडे़गा. उसकी 50 रुपये मिलने की खुशी पल में ही खत्म हो गई क्यों मां को पता था कि वह अपने स्कूल से बहुत प्यार करता था.

उसने माँ से पूछा कि यह क्या बात हुई. माँ ने कहा कि तुमे अपने दोस्त के जैसे पैसे जेब खर्च के लिए मिलेगे . तो तुम को स्कूल भी उसी के जाना पडे़गा. तुम्हारा दोस्त गली के स्कूल में पढ़ता है उसकी फीस 500 रुपये मासिक है और तुम्हारी 2000 रुपये महीना है. 

800 रुपये स्कूल बस के और 1000  activities के मिला कर 4000 रुपये खर्च आता है. 50 रुपये हर रोज़ तुमे देने पर 1500 महीना 500 रुपये स्कूल फीस के देकर भी 2000 रुपये मेरे पास बच जाएँगे. क्योंकि तेरे दोस्त का स्कूल तो गली में ही है स्कूल बस के पैसे बच जाएँगे और उस स्कूल में  extra activities भी नहीं है. अब तू हमे कंजूस भी नहीं बोलेगा और यह भी नहीं कहेंगा की मम्मी पापा मुझे प्यार नहीं करते.

जब माँ ने reason देकर समझाया तो बात बच्चे की समझ में आ गई कि मेरे माँ बाप ने मुझे अच्छे स्कूल में भेजा है . मेरी और उसकी  schooling में बहुत फर्क है.

फिर उसकी माँ ने समझाया की ज्यादा पैसे मिलने के कारण उसके दोस्त के बड़े भाई को शराब और जुए की लत लग गई थी. अब पूरी बात बच्चे को समझ आ चुकी थी. अब वह स्वयं हिसाब लगाने लगा कि अगर उसके दोस्त के माँ बाप 50 रुपये हर रोज़ देने की बजाय उसे किसी अच्छे स्कूल में  भेज सकते है. अब माँ की समझदारी के कारण बच्चे के मन की सारी शंका दूर हो चुकी थी.

अगर आप के बच्चे भी किसी चीज के लिए अनुचित मांग करते हैं तो उन्हें  डांटने की बजाय logicaly समझाएँ तो वह ज्यादा बहतर तरीके से समझ सकते हैं.

                चमत्कारी पैन

एक बार  बहुत ही शरारती बच्चा था. पढा़ई में भी बहुत अच्छा नहीं था. उसकी माँ उसे बहुत समझाती लेकिन वह थोड़ा जिद्दी भी था. वह बच्चा कार्टून देखने का बहुत शौकीन था  . एक बार उसने देखा कि उसके मन पसंद कार्टून करैक्टर के पास  मैजिकल पैन है.

वह भी अपनी माँ से उसे मैजिकल पैन दिलाने की जिद्द करने लगा. उसकी माँ के दिमाग में एक युक्ति आई. माँ ने उसे एक सुंदर सा पैन लाकर दिया और कहा कि मुझे यह  चमत्कारी पैन एक साधू बाबा ने दिया है. उन्होंने ने कहा कि अगर तुम एक घंटा यह पैन अपने पास रख कर पढ़ोगे तो तुम बहुत होशियार हो जाओगे.

उस बच्चे नी माँ की बात मान ली और हर रोज़ पैन पास में रख कर पढ़ने लगा . धीरे- धीरे उसके grade सुधरने लगे. अध्यापक भी उसकी प्रशंसा करने लगे. 10 वीं कक्षा तक आते - आते वह सबसे होनहार विधार्थी बन गया.

उसे लगता था कि यह सब चमत्कारी पैन का कमाल है. जब वह 10 वीं कक्षा में पूरे जिले में प्रथम आया तो उस दिन उसकी माँ ने उसे बताया कि यह कोई चमत्कारी पैन नहीं है. यह तो मैंने बाजार से खरीदा था. तुम चमत्कारी पैन के कारण नहीं अपितु अपनी मेहनत के कारण प्रथम आए हो.

इस प्रकार एक माँ ने कितनी समझदारी से बच्चे की जिद्द भी पूरी कर दी और पढ़ाई में उसकी रुचि भी उत्पन्न कर दी. 





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