GURU MAHIMA गुरु महिमा
गुरु पूर्णिमा पर पढ़ें स्वामी सत्यानंद जी महाराज द्वारा रचित "गुरु महिमा" गुरु महिमा सतगुरु आप समर्थ हैं, सन्- मार्ग के बीच। बचा कर मिथ्या से मुझे, हरे भाव सब नीच।।१।। पथ में प्रकटे सदगुरु, हस्त पकड़ कर आप । ताप तप्त को शान्त कर, दिया नाम का जाप।।२। भ्रम भूल में भटकते उदय हुए जब भाग । मिला अचानक गुरु मुझे , लगी लगन की जाग।।३।। कुमति कूप में पतन था, पकड़ निकाला हाथ । धाम बताया ईश का, दे कर पूरा साथ ।।४।। सदगुरु की महिमा बड़ी, विरला जाने भेद सारे भव भय को हरे और पाप के खेद ।।५। सदगुरु जी की शरण में, मनन ज्ञान का कोष । जपतप ज्ञान उपासना । मिले शील संतोष ।।६। सच्चे संत की शरण में, बैठ मिले विश्राम । मन मांगा फल तब मिले,