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Showing posts from July, 2021

GURU MAHIMA गुरु महिमा

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गुरु पूर्णिमा पर पढ़ें स्वामी सत्यानंद जी महाराज द्वारा रचित "गुरु महिमा"     गुरु महिमा         सतगुरु आप  समर्थ हैं,          सन्- मार्ग     के   बीच।                           बचा कर मिथ्या से मुझे,         हरे     भाव    सब  नीच।।१।।        पथ    में प्रकटे    सदगुरु,         हस्त   पकड़ कर  आप ।                         ताप तप्त को शान्त कर,         दिया    नाम    का जाप।।२।        भ्रम   भूल   में   भटकते         उदय     हुए जब   भाग ।          मिला अचानक गुरु मुझे ,        लगी  लगन  की     जाग।।३।।       कुमति कूप में  पतन  था,         पकड़   निकाला    हाथ ।        धाम   बताया    ईश का,         दे   कर      पूरा    साथ ।।४।।        सदगुरु की महिमा बड़ी,          विरला     जाने     भेद           सारे    भव भय को हरे          और    पाप    के   खेद ।।५।        सदगुरु जी की शरण में,        मनन    ज्ञान का   कोष ।         जपतप  ज्ञान  उपासना ।        मिले      शील     संतोष ।।६।       सच्चे  संत की   शरण  में,         बैठ    मिले       विश्राम ।         मन मांगा फल तब मिले, 

KARAM BHAGYA SE BARA HOTA HAI MOTIVATIONAL STORY IN HINDI

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 कर्म को भाग्य से बड़ा माना है. पढ़े भाग्य और कर्म फल की प्रेरणादायक कहानी. एक बार एक लड़का परेशान होकर घर के बाहर बैठा था. वह कोस रहा था कि मेरे पिता ने जो भी सम्पत्ति मेरे लिए छोड़ी थी वो खत्म हो गई है. मैं अब क्या करूँ?  उसी समय उसके पिता का मित्र वहाँ से गुजरा और उसे समझाने लगा कि भाग्य में जो लिखा है वही होगा. उसी रात को उसे स्वप्न आया कि उसका भाग्य पहाड़ की चोटी पर उसका इंतजार कर रहा है.  अगले दिन सुबह वह उस पहाड़ की चोटी की ओर चल पड़ा जिसका उसे स्वप्न आया था कि उसका भाग्य वहाँ उसका इंतजार कर रहा है.  पहाड़ की ओर जाते हुए उसे रास्ते में एक जख्मी शेर मिला. शेर ने उससे पूछा कि, "कहाँ जा रहे हो "? उस लड़के ने बताया कि मैं अपने भाग्य से मिलने जा रहा हूँ. शेर कहता है कि अपने भाग्य से पूछना कि मैं स्वस्थ कब और कैसे होऊंगा.  आगे रास्ते में उसे भूख लगती है तो वह एक बाग में से खाने के लिए फल तोड़ता है. लेकिन कड़वे होने के कारण फल फैंक देता है. बाग का मालिक उससे बताता है कि कड़वे होने के कारण कोई भी मेरे बाग के फल नहीं खाता. जब बाग के मालिक को पता चलता है कि यह लड़का भाग्य से मिल

LANKA KAND लंका कांड

 लंका कांड को युद्ध कांड भी कहा जाता है  . लंका कांड  तुलसीदास जी   कृत रामचरितमानस का षष्ठम सोपान भाग है. लंका कांड सुंदर कांड के बाद आता है. तुलसीदास जी कहते हैं कि कामदेव के शत्रु शिव जी के सव्य श्री राम जी कि मैं वंदना करता हूं. कामदेव को भस्म करने वाले पार्वती पति श्री शंकर जी की मैं वंदना करता हूं. जो सत्पुरुषों को कैवल्य मुक्ति दे देते हैं और दुष्टों को दंड देते हैं. नल - नील का पुल बाँधना समुंद्र के वचन सुनकर श्री राम जी ने मंत्रियों को बुलाया और कहा कि अब विलंब ना करें, सेतु तैयार करें जिससे सेना उस पार उतर जाए. जाम्बवान ने नल- नील दोनों भाइयों को सारी कथा सुना कर कहा कि श्री राम के प्रताप का स्मरण कर सेतु बनाओ.  वानरों के समूहों को कहा कि वृक्षों और पर्वतों को उखाड़ कर लाइये. वानर ऊंचे पर्वतों को उठाकर लाते हैं और नल नील को देते, वह दोनों अच्छे से सेतु बनाते. श्री राम का श्री रामेश्वर की स्थापना  सेतु की अत्यंत सुंदर रचना देखकर कृपासिंधु राम कहने लगे कि यह परम रमणीय स्थान है . मैं यहां शिवलिंग की स्थापना करूंगा. मेरे हृदय में यह संकल्प है. श्री राम के वचन सुनकर दूतों को भे

NAZARIYA नजरिया प्रेरणादायक कहानी

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  एक बार एक व्यक्ति जंगल में रास्ता भटक गया. उसकी नजर एक लोमड़ी पर पड़ी जो चल फिर नहीं सकती थी. वह सोच ही रहा था कि इसके भोजन का प्रबंध कैसे होता होगा. उसी समय उसे शेर की आवाज सुनाई दी. वह पेड़ पर चढ़ गया और सोचने लगा कि इस लोमड़ी को शेर खा जाएगा. लेकिन क्या देखता है कि शेर मुंह में हिरन को दबाएं लोमड़ी की और ही आ रहा है. शेर हिरन को छोड़ स्वयं चला गया. लोमड़ी ने उस भोजन को खा लिया. वह व्यक्ति कहने लगाकि ईश्वर आप बहुत दयालु हैं. आप को सबकी फिक्र होती है. अब रास्ता ढूंढ कर वह अपने गाँव वापिस आ गया. वह सोचने लगा कि ईश्वर सबके भोजन का प्रबंध करते हैं. मेरे लिए भी घर बैठे भोजन का प्रबंध कर देंगे .  वह कई दिन तक इसी जिद्द में भूखा रहा कि ईश्वर मेरे भोजन का प्रबंध करेंगे. 15 वें दिन उसके गुरु जी आए उन्होंने ने उससे कहा कि तुम इतने दुबले - पतले क्यों हो गए हो. उसने सारा प्रसंग गुरु जी को बताया और कहने लगाकि मेरे लिए ईश्वर बहुत निर्दयी है.  मैं इतने दिनों से भूखा बैठा हूँ मेरे लिए तो भोजन भेजा ही नहीं. फिर उन्होंने ने मुझे वो दृश्य ही क्यों दिखाया ? गुरु ने उसे समझाया कि फर्क तुम्हारे नजरिये क