NAZARIYA नजरिया प्रेरणादायक कहानी

 



एक बार एक व्यक्ति जंगल में रास्ता भटक गया. उसकी नजर एक लोमड़ी पर पड़ी जो चल फिर नहीं सकती थी. वह सोच ही रहा था कि इसके भोजन का प्रबंध कैसे होता होगा. उसी समय उसे शेर की आवाज सुनाई दी.

वह पेड़ पर चढ़ गया और सोचने लगा कि इस लोमड़ी को शेर खा जाएगा. लेकिन क्या देखता है कि शेर मुंह में हिरन को दबाएं लोमड़ी की और ही आ रहा है. शेर हिरन को छोड़ स्वयं चला गया. लोमड़ी ने उस भोजन को खा लिया.

वह व्यक्ति कहने लगाकि ईश्वर आप बहुत दयालु हैं. आप को सबकी फिक्र होती है. अब रास्ता ढूंढ कर वह अपने गाँव वापिस आ गया. वह सोचने लगा कि ईश्वर सबके भोजन का प्रबंध करते हैं. मेरे लिए भी घर बैठे भोजन का प्रबंध कर देंगे . 

वह कई दिन तक इसी जिद्द में भूखा रहा कि ईश्वर मेरे भोजन का प्रबंध करेंगे. 15 वें दिन उसके गुरु जी आए उन्होंने ने उससे कहा कि तुम इतने दुबले - पतले क्यों हो गए हो. उसने सारा प्रसंग गुरु जी को बताया और कहने लगाकि मेरे लिए ईश्वर बहुत निर्दयी है. 

मैं इतने दिनों से भूखा बैठा हूँ मेरे लिए तो भोजन भेजा ही नहीं. फिर उन्होंने ने मुझे वो दृश्य ही क्यों दिखाया ? गुरु ने उसे समझाया कि फर्क तुम्हारे नजरिये का है.

 तुम ईश्वर का इशारा नहीं समझे. ईश्वर ने तुमे उस लाचार लोमड़ी की तरह नहीं बल्कि उस शेर की तरह बनने की प्रेरणा दी है. अब उठो भोजन करो और उस शेर की तरह बनो जो बहादुर भी हो और दूसरों की मदद करना भी करना जानता हो. अब गुरु के समझाने से उस व्यक्ति का जीवन के प्रति नज़रिया बदल गया . 

हमारे साथ भी कई बार ऐसा ही होता है मुश्किल समय में हम ईश्वर के इशारे को समझ नहीं पाते और अपने आसपास नकारात्मक को बढ़ावा देते हैं. जबकि उस समय अगर हम सकारात्मक सोचे तो बहतर समाधान खोज सकते हैं. फर्क हमारे नजरिये का होता है. 

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