गुरु पूर्णिमा 2023 सोमवार 3 जुलाई
गुरु पूर्णिमा पर पढ़ें स्वामी सत्यानंद जी महाराज द्वारा रचित "गुरु महिमा"
गुरु महिमा
सतगुरु आप समर्थ हैं,
सन्- मार्ग के बीच।
बचा कर मिथ्या से मुझे,
हरे भाव सब नीच।।१।।
पथ में प्रकटे सदगुरु,
हस्त पकड़ कर आप ।
ताप तप्त को शान्त कर,
दिया नाम का जाप।।२।
भ्रम भूल में भटकते
उदय हुए जब भाग ।
मिला अचानक गुरु मुझे ,
लगी लगन की जाग।।३।।
कुमति कूप में पतन था,
पकड़ निकाला हाथ ।
धाम बताया ईश का,
दे कर पूरा साथ ।।४।।
सदगुरु की महिमा बड़ी,
विरला जाने भेद
सारे भव भय को हरे
और पाप के खेद ।।५।
सदगुरु जी की शरण में,
मनन ज्ञान का कोष ।
जपतप ज्ञान उपासना ।
मिले शील संतोष ।।६।
सच्चे संत की शरण में,
बैठ मिले विश्राम ।
मन मांगा फल तब मिले,
जपे राम का नाम ।।७।।
गुरु की करिए वन्दना,
भाव से बारम्बार ।
नाम सुनौका से किया,
जिस ने भव से पार ।।८।।
गुरु तो ऐसा चाहिए ,
स्वार्थ से हो पार ।
परमार्थ में रत रहे ,
कर पर हित उपकार ।।९।।
वास करे जिस स्थान में,
कर हरि नाम विख्यात ।
ईश प्रेम बाँटे सदा,
पूछे जात ना पात ।।१०।
राम - रंग रंगा रहे,
जो आय करे लाल।
ओंकार निराकार को,
जाने राम अकाल ।।११।।
नाम रुप जिसका नहीं,
हैं उसके सब नाम ।
भेद सुगुरु से पाइये,
ओंकार है राम ।।१२।।
सदगुरु चंदन सम कहा,
भगवद् - प्रेम सुवास ।
निश दिन दान करे उसे,
जो जन आवे पास ।।१३।।
सच्चे संत के संग से ,
चढ़े भक्ति का रंग।
नित्य सवाया वह बढ़े,
कभी ना हो भंग ।।१४।।
गुरु संगति में बैठिए ,
सीखिए भक्ति भेद ।
सुनिए ज्ञान विचार को ,
पुस्तक दर्शन वेद ।।१५।।
लोभी दम्भी गुरु घने,
मठधारी अनजान ।
गद्दी के रद्दी है घने,
उस में सार ना मान ।।१६।।
सदगुरु से यहाँ समझिए ,
ज्ञानी अनुभववान् ।
बोधक धर्म सुकर्म का,
दाता ज्ञान सुध्यान ।।१७।।
सत् गुरु की पहचान यह,
उपरति प्रेम विचार ।
वीत - रागता सुजनता ,
रहित हठ पक्ष विकार ।।१८।।
शान्ति भक्ति संतोष का,
कोश, रोष से पार ।
राम नाम में लीन जो,
प्रतिमा प्रेम प्यार ।।१९।।
ऐसा गुरुवर जानिए ,
जंगम तीर्थ राज ।
ध्यान ज्ञान हरि नाम से,
सफल करे सब काज ।।२०।।
पथ प्रदर्शक वह कहा,
परमार्थ की खान ।
कर दे पूर्ण कामना,
दे कर भक्ति सुदान ।।२१।।
"गुरु महिमा" स्त्रोत -भक्ति प्रकाश
रचयिता पुज्यनीय सत्यानंद जी महाराज
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