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Showing posts from September, 2021

INDRA EKADSHI VRAT

INDRA EKADSHI VRAT 2021 इंदिरा एकादशी व्रत कथा 2021 हिन्दू पंचाग के अनुसार पितृपक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस साल  इंदिरा एकादशी का व्रत 2 अक्तूबर शनिवार को रखा जाएगा। शास्त्रों में माना गया है कि पितृपक्ष के दौरान पड़ने वाली इस एकादशी को पितरों को समर्पित करने कर देने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इंदिरा एकादशी महत्व इंदिरा एकादशी पापों को नष्ट करने वाली है और पितृ अधोगति से मुक्त हो जाते है. इंदिरा एकादशी का व्रत करने से सात पीढ़ियों के पितृ तर जाते हैं. उनका उद्धार हो जाता है और पितृ दिव्य लोक के अधिकारी हो जाते हैं. एकादशी व्रत करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु के सालिग्राम रूप की पूजा की जाती है.  इंदिरा एकादशी व्रत कथा महिष्मती नगर में इन्द्रसेन नाम का राजा धर्म पूर्वक राज्य करता था. राजा इन्द्रसेन भगवान विष्णु का भक्त था और पुत्रों, पौत्रों और धनधान्य से सम्पन्न था. एक दिन देव ऋषि नारद उसकी सभा में आए. राजा ने नारदजी का उचित सम्मान किया. नारदजी ने राजा से उनकी कुशल मंगल पूछा.  राजा इन्द्रसेन कहने लगे

VIVAH PANCHMI 2021

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  VIVAH PANCHMI 2021 (सीताराम विवाह पंचमी 2021 )सीता राम जी का विवाह  मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन हुआ था. विवाह पंचमी इस वर्ष 8 दिसंबर को मनाई जाएगी.  विवाह पंचमी कथा श्री राम भगवान विष्णु और माता सीता लक्षमी जी का अवतार थी. श्री राम का जन्म   अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र के रूप में हुआ . सीता जी का जन्म जनक पुरी में हुआ.  जनक जी के पास भगवान शिव का पिनाक धनुष था. जिसे कोई उठा नहीं पाता था. लेकिन एक दिन सीता माता जी ने भगवान शिव के धनुष को उठा लिया था. उस दिन राजा जनक ने निश्चय किया कि जो भी भगवान शिव के धनुष को उठा कर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएंगा उनकी पुत्री उसका वरण करेंगी.   सीता स्वयंवर का निमंत्रण सब राज्यों में भेजा गया. ऋषि विश्वामित्र को भी राजा जनक के निमंत्रण भेजा था. श्री राम और लक्ष्मण जी उस समय ताड़का, सुबाहु और राक्षसों के वध के लिए श्री विश्वामित्र के आश्रम में थे. वह दोनों भाईयों को अपने साथ सीता जी के स्वयंवर में ले गए थे.  स्वयंवर में सब राजा धनुष को पकड़ते हैं लेकिन कोई भी धनुष को हिला भी नहीं पाता और सब उपहास का पात्र बन कर वापस चले जाते हैं . तब राज

MORDHWAJ KI PRIKSHA SHRI KRISHNA NE KYUN LI

 राजा मोरध्वज की परीक्षा श्री कृष्ण ने ली थी. राजा मोरध्वज की पत्नी का नाम पद्मावती और पुत्र का नाम ताम्रध्वज था. माना जाता है कि उनका राज्य वर्तमान समय के छत्तीसगढ़ की राजधानी से 30 km दूर आरंग कस्बे में था. इस स्थान पर श्री कृष्ण ने राजा मोरध्वज को अपने पुत्र को आरे से चीर कर मांस शेर को खिलाने की परीक्षा ली थी.  महाभारत युद्ध के पश्चात अर्जुन को घमंड हो गया कि वह श्री कृष्ण का परम भक्त है. श्री कृष्ण ने अर्जुन के अभिमान का मर्दन करने के लिए एक लीला रची. श्री कृष्ण अर्जुन को लेकर एक साधू के वेश में राजा मोरध्वज के महल में पहुँचे. भगवान एक शेर को अपने साथ ले गये. राजा मोरध्वज भगवान विष्णु के परम भक्त थे. वह बहुत दानी थे और साधू संतों की हर प्रकार से सेवा करने वाले थे.  जब राजा मोरध्वज को पता चला कि दो साधू एक शेर के साथ उनके द्वार पर आए हैं . वह दौडे़ गए और उनका स्वागत किया. श्री कृष्ण ने कहा कि महाराज हम आपका आतिथ्य तभी स्वीकार करेंगे यदि आप मेरी एक शर्त माने. श्री कृष्ण कहने लगे कि मेरा यह सिंह नरभक्षी है. यह केवल बच्चों का मांस खाता है. अगर तुम किसी बच्चे  मांस खिला सको तभी हम तुम

PRATHNA KI SHAKTI HEART TOUCHING STORY IN HINDI

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 "प्रार्थना की शक्ति" कहानी में भक्त और भगवान के बीच के सुंदर रिश्ते का वर्णन है . कैसे एक भक्त की प्रार्थना के कारण ईश्वर ने सारा प्रयोजन किया. कहते हैं कि प्रार्थना अगर सच्ची हो तो ईश्वर सही जगह पर सही व्यक्ति को आप की मदद के लिए जरुर भेज देते हैं. सच्चे मन से ईश्वर की गई प्रार्थना ईश्वर जरूर सुनते हैं. एक बार शहर के बड़े डाक्टर हवाई जहाज से कही जा रहे थे. रास्ते में जहाज़ में तकनीकी खराबी होने के कारण उसके गंतव्य स्थान से पहले पायलट को जहाज की आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी.  डाक्टर साहब बहुत परेशान थे. उन्हें जरूरी काम से दूसरे शहर जाना था. जहाज को ठीक होने में पता नहीं था कितना समय लगेगा. उन्होंने ने उस शहर से टैक्सी से जाने का निर्णय किया.  उन्होंने टैक्सी ड्राइवर से कहा कि मुझे जल्दी से जल्दी मेरे गंतव्य स्थान पर पहुँचा देना. टैक्सी ड्राइवर ने भी कहा कि मैं जल्दी आप को पहुँचा दूंगा. लेकिन शायद ईश्वर कुछ और ही चाहता था. थोड़ी देर में बारिश होनी शुरू हो गई और टैक्सी ड्राइवर रास्ता भटक गया. डाक्टर साहब अभी रास्ता भटकने की बात से ही परेशान थे. उसी समय टैक्सी का टायर पंचर हो

HIRANYA KASHYAP AUR HIRANYAKSHA JANAM KATHA

हिरण्यकश्णकशिपु और हिरण्याक्ष की कथा भागवत  पुराण में आती है. हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष दोनों दैत्य थे.जिनका वध करने के लिए स्वयं भगवान विष्णु को अवतार लेना पड़ा.  महर्षि कश्यप तथा दिति हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष के माता पिता थे. महर्षि कश्यप की बहुत सी पत्नियां थी. उनकी पत्नी दिति एक दिन कामातुर होकर उनके पास गई.  महर्षि कश्यप उन्हें समझाने लगे कि संभोग के लिए यह उचित समय नहीं है. लेकिन उनकी पत्नी ने उनकी बात नहीं मानी. दिति को बाद में बहुत भय सताने लगा कि उनकी संताने कैसी होगी. महर्षि कश्यप ने दिति को बताया कि तुम्हें दो  पुत्र होगे जो असुरी प्रवृत्ति के होगे .  उनका वध करने के लिए भगवान विष्णु को स्वयं अवतार लेना होगा.यह सुनकर दिति चिंतित हो गई. कश्यप ऋषि कहने लगे कि तुम्हारे पोत्रौं में से एक भगवान विष्णु का परम भक्त होगा. दिति ने दोनों को सौ सालों तक अपने गर्भ में रखा. उनके प्रभाव से सूर्य, चंद्रमा का तेज़ क्षीण होने लगा. सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से विनती की. ब्रह्मा जी कहने लगे कि यह सब विष्णु के कौतुक से हो रहा है. ब्रह्मा जी कहने लगे कि एक बार ब्रह्म जी के चार मानस पुत्र भगवान

MAA DURGA KIS VAHAN PER AYAGI

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  SHARDIYA NAVRATRI (2021शारदीय नवरात्रि 2021) माँ दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर आएगी .  हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. माना जाता है कि नवरात्रि में मां पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच में रहती है. इस लिए भक्त माँ दुर्गा को खुश करने के लिए पाठ पूजा करते हैं. माँ की आरती, चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और माँ की भेंटे गाते हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा को चुनरी, सुहाग का सामान, नारियल, मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है .  शारदीय नवरात्रि अश्विन मास की प्रतिपदा 7 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर 2021 तक है.  नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन का विशेष महत्व है.हर वर्ष नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती है. जिससे भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत मिलता है .  देवीभागवत पुराण के एक श्लोक के अनुसार –  शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।  गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता।  गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे।  नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्। बृहस्पति को नवरात्रि प्रारंभ होने के क

DUSSEHRA (VIJAYADASHMI)2021KAB HAI दशहरा( विजयदशमी) 2021कब है

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  DUSSEHRA (VIJAYADASHMI)2021दशहरा (विजय दशमी) 2021, 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा.  दशहरा (विजय दशमी) का हिन्दू में विशेष स्थान है . दशहरा पर्व देश में धूमधाम से मनाया जाता है. दशहरा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन श्री राम ने रावण का वध किया था. रावण का वध भगवान ने अश्विन मास की दशमी तिथि को किया था . भगवान श्रीराम ने  दस सिर वाले अहंकारी रावण को हराकर विजय प्राप्त की थी. इस लिए इसे विजय दशमी भी कहा जाता है.   मां दुर्गा ने 9 नवरात्रि और 10 दिन के युद्ध के बाद में महिषासुर राक्षस का वध किया था . इसलिए भी इसको विजयादशमी कहते हैं.  दशहरा क्यों मनाया जाता है.  दशहरे पर्व का संबंध त्रेता युग से है. जब भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ने पिता के वचनों का पालन करने माता सीता और लक्ष्मण जी सहित वन में प्रस्थान किया. वनवास के दिनों में रावण अपनी बहन शूर्पनखा के भड़काने पर माता सीता का अपहरण कर के ले गया. श्री राम ने हनुमान जी मदद से सीता माता को ढूंढा और सुग्रीव की वानर सेना की सहायता से लंका पहुँच गए. श्री राम ने रावण का  युद्ध  में वध कर सीता माता को  उस के बंधन से

SHRI GANESH AARTI SHENDUR LAL CHADHAYO LYRICS IN HINDI

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श्री गणेश जी की आरती "शेंदुर लाल चढ़ायो" लिरिक्स इन हिन्दी  हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि हर तरह के विघ्न और बाधा को दूर हो जाएं.वह भक्तों के संकट, दरिद्रता और रोग दूर करते हैं. बुधवार का दिन गणेश जी को अति प्रिय है। इस गणेश जी की आरती करके उनकी विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है। शेंदुर लाल  चढ़ायो अच्छा गजमुखको । दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरीहरको । हाथ लिए गुडलड्डू साईं सुरवरको  महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पदको ।।1।।              जय देव जय देव। जय जय श्री गणराज विद्यासुखदाता । धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता।               जय देव जय देव ।  अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरी । विघ्नाविनाशन मंगल मूरत अधिकारी । कोटि सूरजप्रकाश ऐसी छबि तेरी ‌। गंडस्थल मदमस्तक झूले शाशिबिहारी ।।2।।           जय  देव जय देव ।  जय जय श्री गणराज विद्यासुखदाता । धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ।            जय देव जय देव । भावभगत से कोई शरणागत आवे । संतत संपत सभी भरपूर पावे । ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे । गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे ।।3।।          जय देव जय

BHADARAPAD PURNIMA 2021

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  BHADARAPAD PURNIMA 2021 भाद्रपद पूर्णिमा 2021 भाद्रपद पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व  है. इस दिन श्राद्ध  (shrad) पितृपक्ष शुरू होता है. 2021 में भाद्रपद पूर्णिमा सोमवार 20 सितम्बर को है. इस दिन उमा महेश्वर व्रत का भी विधान है. पितृपक्ष की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार पित्र पक्ष की शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है और अमावस्या पर समापन होता है .पितृपक्ष के दौरान दिवंगत पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है .श्राद्ध कर के पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है पिंडदान किया जाता है और तर्पण किया जाता है. भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व  इस दिन माना जाता है कि चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है. चंद्रमा को माता और मन का कारक माना गया है. इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना शुभ माना गया है. इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए. भगवान सत्यनारायण की कृपा से घर में सुख समृद्धि आती है. सत्यनारायण व्रत कथा पढ़नी चाहिए . इस दिन स्नान और  दान का विशेष महत्व है . ब्राह्मणों और गरीबों को अन्न, वस्त्र दान करने चाहिए. उमा महेश्वर व्रत uma maheshwar vart

UMA MAHESHWAR VRAT 2021

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UMA MAHESHWAR VRAT 2021( उमा महेश्वर व्रत 2021)  भाद्रपद पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व  है. इस दिन श्राद्ध  ( shrad) पितृपक्ष शुरू होता है. 2021 में भाद्रपद पूर्णिमा सोमवार 20 सितम्बर को है. इसदिन उमा महेश्वर व्रत करने का विधान है. उमा महेश्वर व्रत कथा का महत्व (SIGNIFICANCE) OF UMA MAHESHWAR VRAT)  उमा महेश्वर व्रत में भगवान और माँ पार्वती का व्रत और पूजन किया जाता है. इस व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु ने माँ लक्ष्मी और अपनी खोई हुई शक्तियां पुनः प्राप्त की थी. प्रातःकाल स्नान करने के बाद भगवान शिव और माँ पार्वती का पूजन करे . भगवान को फल, फूल, विल्व पत्र, चढ़ाएं और प्रसाद अर्पित करे. इस व्रत के प्रभाव से खोया हुआ सम्मान और प्रतिष्ठा पाया जा सकता है. यह व्रत उन लोगों को भी अवश्य करना चाहिए जिनके परिवार में कलह रहती है या फिर किसी कारण वश परिवार से दूर हो गए हैं.इस व्रत के प्रभाव से परिवार में स्नेह बढ़ता है. सुख समृद्धि में बढोत्तरी होती है.  UMA MAHESHWAR VRAT KATHA(उमा महेश्वर व्रत कथा)  एक बार दुर्वासा ऋषि भगवान शिव के दर्शन करने के बाद लौट रहे थे तो उनकी मार्ग में भगवान

PRIKSHIT KE RAJAY ME KALYUG KA AAGMAN

 राजा परीक्षित के राज्य में कलयुग का आगमन कैसे और कब हुआ?  राजा परीक्षित अर्जुन और सुभद्रा के पौत्र थे. अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र थे . श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा द्वारा उत्तरा के गर्भ पर चलाएं गए ब्रह्म अस्त्र से परीक्षित का  गर्भ में रक्षण किया था. श्री कृष्ण के देह त्यागकर बैकुण्ठ यात्रा की खबर सुनकर युधिष्ठिर अपने भाईयों सहित स्वर्ग जाने को तैयार हुए. उन्होंने अपने पौत्र परीक्षित को राज सौंप दिया. पांडवों के हिमालय को चले जाने के बाद परीक्षित पृथ्वी का पालन करने लगे.   जब राज्य परीक्षित दिग्विजय करने चले तो उन्हें राजा के रूप में कलयुग मिला जो अपने पैरों से गौ और बछड़े को मार रहा था. उन्होंने देखा कि धर्म बैल का रूप धारण कर जा रहा है जिसका केवल एक ही पैर था. उसने पृथ्वी को बिना बछड़े की माता के समान जानकर पूछा कि तुम किसके लिए इतनी दुखित हो रही हो. पृथ्वी पर श्री कृष्ण तुम्हारे भार को हल्का करते थे. क्या उनके अंतर्ध्यान होने कारण तुम दुखी हो. पृथ्वी गाय का रूप में पृथ्वी पर हो रहे उत्पादों से दुखी थी. एक राजसी वेष में एक शुद्र हाथ में एक लम्बा सा दंड लिए गौ और बैल को मार रहा था.  रा

NAVRATRI 2021 KE SHUBH RANG (COLOUR) शरद नवरात्रि के शुभ रंग

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शारदीय नवरात्रि 2021 - इस साल शारदीय नवरात्रि अश्विन मास की प्रतिपदा 7 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर 2021 तक है.  नवरात्रि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है . शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर से हो रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के हर दिन का विशेष रंग है . उन रंग को पहनकर पूजा करने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है .   प्रतिप्रदा - 7 अक्टूबर घटस्थापना                            वीरवार - पीला  बृहस्पतिवार  पीले रंग का विशेष महत्व है . यह रंग साहस, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है. पीले रंग के वस्त्र पहनकर आप आप खुशी और शांति  महसूस करेंगे.  द्वितीय-   8 अक्टूबर - हरा शुक्रवार  हरे रंग का महत्व है जो की हरि याली, प्रगति, और सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. हरा रंग पहनकर आप शान्ति और स्थिरता का अनुभव करेंगे. तृतीय -  9 अक्टूबर- ग्रे रंग शनिवार ( ग्रे )  रंग का विशेष महत्व है.  यह रंग पहनकर आपके दिमाग और मन के भावों को नियंत्रित कर सकते हैं. इस में आप उर्जा से भरा महसूस करेंगे. ग्रे रंग अच्छे परिवर्तन का प्रतीक है. चतुर्थी - 10 अक्टूबर- केसरिय

SHARDIYA NAVRATRI KYUN MANAI JATI HAI शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है

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शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है  शारदीय नवरात्रि अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होते हैं.नवरात्रि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.  शारदीय नवरात्रि को मां दुर्गा की भक्ति के लिए श्रेष्ठ समय माना गया. माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा अपने भक्तों के बीच रहती है और उनकी मनवांक्षित फल प्रदान करती है. नवरात्रि में माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त चुनरी, सुहाग का सामान, नारियल, मिठाई भेट करते हैं. माँ के जागरण आयोजित किए जाते हैं. मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. माँ अपने भक्तों की मुरादे पूरी करती है.  शारदीय नवरात्रि  को मनाएं जाने की पौराणिक कथाएँ एक बार महिषासुर  राक्षस ने कठिन तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमर होने का एक वरदान मांगा. ब्रह्मा जी ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा . बह्म जी ने कहा किसी को भी अमर होने का वरदान नहीं मिल सकता. उसने कहा कि मेरी मृत्यु केवल स्त्री के हाथों से हो ब्रह्मा जी ने उसे वह वरदान दे दिया.  महिषासुर सोचने लगा कि वह अमर हो गया है . महिषासुर ने देवताओं के अधिकार  छ

BHAGWAAN KI MARZI भगवान की मर्जी

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  कहते हैं कि भगवान की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता . हम जो भी काम करते हैं ईश्वर की प्रेरणा से ही करते हैं . एक भक्त की भगवान पर अटूट आस्था का प्रसंग एक बार एक बुढ़ी औरत मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर भगवान से फरियाद कर रही थी. वह भगवान से कह रही थी प्रभु मेरे घर में राशन खत्म हो गया है . आप तो जानते हैं कि घर में कोई कमाने वाला नहीं है. प्रभु किसी देवता इंसान को मेरे घर पर राशन देकर भेज देना. प्रभु आप तो जानते हैं कि मैं मंदिर के साथ वाली गली में कुएँ के साथ वाले मकान में रहती हूँ . उस समय वहाँ से एक नास्तिक युवक निकल रहा था . उसने राशन का सामान खरीदा क्योंकि उसके मन में खुराफात सूझी.  वह सोचने लगा कि जब बुढ़ी औरत पूछेगी राशन किस ने भेजा ? मैं उत्तर दूगां की राक्षस ने भेजा है . क्योंकि बुढ़ी औरत ने मंदिर में कहा था कि प्रभु किसी देवता पुरुष को घर पर राशन देकर भेज देना. वह नवयुवक राशन लेकर बुढ़ी औरत के घर पहुँचा. लेकिन बुढ़ी औरत पूछती ही नहीं कि किसने राशन भेजा है. वह कहती है कि बेटा राशन लेकर आए हो तो खाना बनाती हूँ. भोजन कर के जाना. वह बुढ़ी औरत भोजन बनाते समय भी प्रभु का नाम जप

GANESH JI KO BAL CHANDER KYUN KAHTE HAI

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 हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि हर तरह के विघ्न और बाधा को दूर हो जाएं.वह भक्तों के संकट, दरिद्रता और रोग दूर करते हैं. भालचंद्र का  अर्थ है जिसके सिर पर चंद्रमा सुशोभित हो. चंद्रमा मन का प्रतिनिधि हैं. गणेश जी के सिर पर सुशोभित चंद्रमा यह दर्शाता है कि मन और मस्तिष्क जितने शांत होगे हम अपने कार्य को भी उतनी कुशलता से कर सकते हैं.  गणेश जी ने चंद्रमा को सिर पर क्यों धारण किया और गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन क्यों नही करने चाहिए एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार चंद्रमा ने गणेश जी का उपहास किया. गणेश जी ने उसे शाप दिया था कि तुम्हें अपने रूप पर इतना अभिमान है . आज से यह रूप ही तुम्हारे कलंक का कारण बनेगा . जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा उस पर मिथ्या  कलंक  जरूर लगेगा.    ब्रह्मा जी ने चंद्रमा को कहा कि गणेश जी के श्राप को केवल गणेश जी ही काट सकते हैं  . इसलिए आप गणेश जी की शरण में जाए . ब्रह्मा जी ने चंद्रमा को कृष्ण चतुर्थी की रात्रि को गणेश जी का पुजन करने की विधि कही. चंद्रमा के पूजन से गणेश जी प्रसन्न हो गए. गणेश जी ने चंद्रमा को वरदान मांग

SITA JI KE JANAM KATHA

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  सीता जी को मां लक्ष्मी का अवतार माना गया है. उनका जन्म मिथिला में होने के कारण उन्हें मैथिली, राजा जनक की पुत्री होने के कारण जानकी, वैदेही, जनकसुता नामों से जाना जाता है. वह अयोध्या नरेश दशरथ की पुत्र वधू और श्री राम की पत्नी थी. उन्होंने ने महलों के सुख त्याग कर अपना पतिव्रत धर्म निभाया. राजा जनक के शासनकाल में एक बार भीष्म अकाल पड़ा राजा जनक को विद्वानों ने उपाय बताया कि अगर राजा स्वयं खेत में जाकर हाल जोते तो इस अकाल से जल्दी छुटकारा पाया जा सकता है . राजा जनक ने अपने राज्य की समृद्धि के लिए स्वयं हल चलाने का निश्चय किया .जब राजा जनक हल चला रहे थे उनकी हल किसी धातु की वस्तु से टकरा गई. उस जगह धरती से एक पेटी मिली. जिसमें से एक सुंदर कन्या मिली. हल की सीत से टकराने के कारण वह पेटी मिली थी. इसलिए कन्या का नाम सीता रखा गया . राजा जनक और रानी सुनयना ने उस कन्या को अपना लिया. राजा जनक ने अपनी पुत्री की तरह उनका पालन पोषण किया और उन्हें हर तरह की स्वतंत्रता और शिक्षा दी.  सीता स्वयंवर का निमंत्रण राजा जनक ने अयोध्या पूरी क्यों नहीं भेजा माता सीता ने हनुमान जी को क्या वरदान दिया पढ़े भक

MAAN KI BAAT मन की बात

एक बार एक बुढ़ी औरत गठरी लेकर जा रही थी. रास्ते में उसे एक घुड़सवार दिखा . उस बुजुर्ग औरत ने उसे रोक कर कहा कि बेटा मुझे पास वाले गाँव में जाना है . तुम मेरी गठरी अपने घोड़े पर रख लो. जब मैं गाँव पहुँच जाउँगी तुम गठरी मुझे दे देना. घुड़सवार कहने लगा कि मैं घोड़े पर बहुत जल्दी गाँव पहुँच जाऊँगा . तुम पैदल धीरे - धीरे बहुत देर बाद आओगी. मुझे तुम्हारा बहुत समय इंतजार करना पड़ेगा . इसलिए मैं तुम्हारी गठरी नहीं लेकर जाऊँगा. कुछ दूर आगे जाने के बाद घुड़सवार के मन में बात आई की क्या पता बुजुर्ग औरत की गठरी में कुछ कीमती सामान हो . एक तो वह औरत बुजुर्ग होने के कारण धीरे धीरे चल रही है. मैं घोड़े पर शीघ्रता से उसकी पहुँच से दूर हो जाऊँगा. दूसरे क्या पता उसे आंखों से कम दिखता हो और अगर मैं कभी उसके सामने आ जाऊं तो वह मुझे पहचान ही ना पाए. अब घुड़सवार वापिस आकर कहने लगा मैं आपकी गठरी अपने घोड़े पर रख लेता हूं. लेकिन इस बार बुजुर्ग औरत ने गठरी उसके घोड़े पर रखने से इंकार कर दिया. घुड़सवार बोला पहले तो तुम स्वयं गठरी मुझे उठाने को कह रही थी. अब जब मैं उठाने के लिए मान गया हूँ तो आप इंकार क्यों कर र

ISHWAR SUB DEKH RAHA HAI MOTIVATIONAL STORY

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 ईश्वर सब देख रहा है  कहते हैं कि कर्म सदैव अच्छे ही करने चाहिए। अच्छे कर्म दुनिया को दिखाने के लिए नहीं बल्कि सच्चे मन से करने चाहिए। क्योंकि दुनिया दिखावा देखती है और ईश्वर आपके मन की सच्चाई देखकर फल देते हैं। दुनिया चाहे कुछ भी सोचे लेकिन मन में विश्वास होना चाहिए कि ईश्वर सब देख रहा है। पढ़ें कर्म फल की ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी  Motivational story for students in hindi Ishwar Sab dekh rahe hai : एक बार एक राजा था. वह राजा समय - समय पर वेश बदलकर अपने नगर का सर्वेक्षण करता रहता था. ताकि देख सके सभी कर्मचारी अपना कार्य नियमानुसार कर रहे हैं या नहीं ? क्या प्रजा उसके कार्य से संतुष्ट है या नहीं . एक बार राजा वेश बदल कर अपने प्रधानमंत्री के साथ निरिक्षण पर निकले. बाजार में उन्होंने ने देखा कि एक व्यक्ति का शव पड़ा था .राजा ने आसपास के दुकानदारों कहा कि इस मृत व्यक्ति को उसके घर पहुँचा दो. सब लोग कहने लगे कि बुरा आदमी था इसका शव यही पड़ा रहने दो. इसके घर वाले आकर स्वयं ले जाएगे. कोई भी दुकानदार उसके बारे में बात तक नहीं करना चाहता था. राजा बहुत हैरान कि इस व्यक्ति ने ऐसे क्या कर्म किए है

GANESH JI KE 12 NAAM MANTAR

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  गणेश जी के 12 नाम मंत्र   गणेश जी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र हैं। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि हर तरह के विघ्न और बाधा को दूर हो जाएं.वह भक्तों के संकट, दरिद्रता और रोग दूर करते हैं.  गणेश जी का पूजन करने से मन वांछित फल मिलता है.  गणेश को मोदक, तिल के लड्डू ,मिठाई और दूर्वा अर्पित करनी चाहिए. विघ्नहर्ता गणेश जी अपने भक्तों के जीवन के विघ्न हरते हैं और उन पर उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं.  शास्त्रों में गणेश जी के 12 नाम बताएं गए हैं. इन नामों का जाप करने से विध्न - बाधाएं समाप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती है.  Shri Ganesh 12 Name Mantar  1. ऊँ सुमुखाय नम: 2. ऊँ एकदंताय नम: 3. ऊँ कपिलाय नम: 4. ऊँ गजकर्णकाय नम: 5. ऊँ लंबोदराय नम:  6. ऊँ विकटाय नम:  7. ऊँ विध्ननाशाय नम: 8. ऊँ विनायकाय नम : 9. ऊँ धूम्रकेतवे नम:  10. ऊँ गणाध्यक्षाय नम: 11. ऊँ भालचंद्रराय नम: 12. ऊँ गजाननाय नम: ALSO READ    गणेश जी के संस्कृत श्लोक   गणेश जी की आरती   गणेश चालीसा शुभ लाभ का गणेश जी से संबंध गणेश जी को भालचंद्र क्यों कहते हैं दीवाली पर मां लक

BHAGWAAN SHIV KE BHAKT KE KAHANI भगवान शिव के भक्त की कहानी

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भगवान शिव के भक्त की कहानी  भगवान शिव की महिमा अपरंपार है. शिव जी को भोले भंडारी भी कहा जाता है . भगवान शिव अपने सच्चे भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं. भगवान शिव के ऐसे ही सच्चे भक्त का प्रसंग  प्रसंग तब का है जब यातायात के साधन ज्यादा नहीं होते थे . अगर कोई किसी तीर्थ स्थल पर जाता था तो पता नहीं होता था कि वापिस घर लौट भी पाएगा या नहीं.  भगवान शिव का भक्त बहुत कठिनाइयों के बाद केदारनाथ धाम पहुँचा. जब वह वहाँ पहुँचा तो मंदिर के पूजारी जी मंदिर के कपाट बंद कर चुके थे. उस ने पुजारी जी से बहुत विनती की मैं बहुत समय और कठिनाइयाँ सह कर महीनों बाद यहाँ पहुँचा हूँ. आप कृपया मुझे दर्शन करने दे. पुजारी जी ने बहुत विनम्रता से बोला कि इस मंदिर का नियम है कि इसके कपाट छ: महीने खुलते हैं और छ : महीने बंद रहते हैं. अगर एक बार कपाट बंद हो गए तो छ: माह बाद ही खुलेगे . अब आप को छ: मास बाद ही आना पड़ेगा. यहाँ पर जीवन बहुत कठिन है क्योंकि जहाँ बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है. आप जहाँ नहीं रह सकते. इतना कह कर पुजारी जी वहाँ से चले गए.  भगवान शिव का भक्त उनका नाम स्मरण करने लगा. प्रभु आप तो जानते हैं कि मैं कितनी

RAJA PRIKSHIT KI JANAM KATHA

राजा परीक्षित की जन्म कथा राजा परीक्षित अर्जुन और सुभद्रा के पौत्र थे. अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र थे . श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा द्वारा उत्तरा के गर्भ पर चलाएं गए ब्रह्म अस्त्र से परीक्षित का गर्भ में रक्षण किया था.  महाभारत युद्ध में जब भीमसेन ने गदा से दुर्योधन की जंघा को तोड़ दिया तो उसके मित्र अश्वत्थामा ने सोते हुए द्रोपदी के पुत्रों के सिर काट दिये. अपने पुत्रों की हत्या देखकर द्रोपदी के क्रोध का अन्त न रहा. द्रोपदी का विलाप देखकर अर्जुन  अश्वत्थामा को पकड़ने के लिए निकल पड़े।  अश्वत्थामा तथा अर्जुन के मध्य भीषण युद्ध छिड़ गया। अश्वत्थामा ने देखा कि अर्जुन मुझे मारने आ रहा है तो उसने अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, इस पर अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र छोड़ा। नारद तथा व्यास के कहने से अर्जुन ने अपने ब्रह्मास्त्र का उपसंहार कर दिया, किन्तु अश्वत्थामा ने पांडवों को जड़-मूल से नष्ट करने के लिए अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा पर ब्रह्मास्त्र का वार किया।  श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा से कहा कि उत्तरा का पुत्र अवश्य जन्म लेगा. अगर तेरे शस्त्र प्रयोग से बालक मृत उत्पन्न हुआ तो मैं स्वयं

ISHWAR TERA SHUKRIYA GRATITUDE STORY

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Gratitude - कृतज्ञता की कहानी   ईश्वर का धन्यवाद हर रोज करे क्योंकि शुकराने  में बहुत शक्ति होता है। कहे परमात्मा मेरी एक एक सांस जो अपने दी है उसके लिए धन्यवाद। मुश्किल में मेरा हाथ थामने और राह दिखाने के लिए शुक्रिया, मेरे सिर पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखने के लिए आभार। हम कई बार छोटी - छोटी परेशानियों से इतने हताश हो जाते हैं कि  ईश्वर ने जो हमें दिया है उसे नज़र अंदाज कर देते हैं. किसी ने क्या खूब लिखा है कि , शुक्र है ईश्वर का की मेरे जीवन में मुश्किलें है, इसका मतलब मैं जिंदा हूँ. मुर्दों के लिए तो लोग रास्ता छोड़ दिया करते हैं. एक बार एक कबूतर रेगिस्तान से गुजर रहा था. उसे एक बिमार पक्षी को मिला जो उड नहीं पा रहा था , आसपास खाने पीने के लिए कुछ नहीं था, रहने को कोई आश्रय नहीं था .  उस पक्षी ने पूछा कि आप कहा जा रहे हो ? कबूतर ने बताया कि मैं देवदूत से मिलने जा रहा हूँ. पक्षी ने कबूतर से कहा कि देवदूत से पूछ कर आना की मेरे कष्ट कब समाप्त होगे.  कबूतर देवदूत के पास पहुंचा तो उसने पक्षी का सवाल पूछा कि उस पक्षी को अपने कष्टों से मुक्ति कब मिलेगी. देवदूत ने बताया कि अगले सात साल तक उ

SHRI RADHA RANI JANAM KATHA

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राधा रानी की जन्म कथा  Radhe Krishna:राधा रानी श्री कृष्ण की सखी और उपासिका थी. राधा रानी को कृष्ण वल्लभा कहा गया है. वह श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी है. राधा रानी का जन्म रावल  ग्राम में भाद्रमाह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ माना जाता है.  राधा अष्टमी पर पढ़ें  राधा रानी जन्म कथा ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार राधा रानी का प्राकट्य प्रथम बार गोलोक में हुआ था. राधा रानी और श्री कृष्ण गोलक में निवास करते थे. एक बार जब राधा रानी गोलोक से बाहर गई तो श्री कृष्ण उनकी विरजा नाम की सखी के साथ विहार करने लगे. जब राधा रानी वापिस आई तो श्री कृष्ण को विरजा संग देखकर क्रोधित हो गई.  क्रोध में राधा जी श्री कृष्ण को भला बुरा कहने लगी. विरजा नदी रूप में वहाँ से प्रवाहित हो गई. श्री कृष्ण को भला - बुरा कहने के कारण श्री कृष्ण के सखा श्रीदामा ने राधा रानी की भर्त्सना कर उनका विरोध किया.  राधा रानी ने उन्हें असुर होने का श्राप दिया. श्रीदामा ने कहा कि मुझे असुर योनी प्राप्त होने का दुख नहीं है. लेकिन तुम्हारे श्राप के कारण मुझे श्री कृष्ण से वियोग सहना पड़ेगा. मैं तुम्हें श्राप देता हूँ कि जब