GANESH JI KO BAL CHANDER KYUN KAHTE HAI


 हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि हर तरह के विघ्न और बाधा को दूर हो जाएं.वह भक्तों के संकट, दरिद्रता और रोग दूर करते हैं.

भालचंद्र का  अर्थ है जिसके सिर पर चंद्रमा सुशोभित हो. चंद्रमा मन का प्रतिनिधि हैं. गणेश जी के सिर पर सुशोभित चंद्रमा यह दर्शाता है कि मन और मस्तिष्क जितने शांत होगे हम अपने कार्य को भी उतनी कुशलता से कर सकते हैं. 

गणेश जी ने चंद्रमा को सिर पर क्यों धारण किया और गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन क्यों नही करने चाहिए

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार चंद्रमा ने गणेश जी का उपहास किया. गणेश जी ने उसे शाप दिया था कि तुम्हें अपने रूप पर इतना अभिमान है . आज से यह रूप ही तुम्हारे कलंक का कारण बनेगा . जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा उस पर मिथ्या  कलंक  जरूर लगेगा.   

ब्रह्मा जी ने चंद्रमा को कहा कि गणेश जी के श्राप को केवल गणेश जी ही काट सकते हैं  . इसलिए आप गणेश जी की शरण में जाए . ब्रह्मा जी ने चंद्रमा को कृष्ण चतुर्थी की रात्रि को गणेश जी का पुजन करने की विधि कही.

चंद्रमा के पूजन से गणेश जी प्रसन्न हो गए. गणेश जी ने चंद्रमा को वरदान मांगने को कहा. चंद्रमा ने कहा कि सभी मेरा दर्शन पूर्ववत कर सके ऐसा वरदान दे. 

गणेश जी ने कहा कि अपना शाप तो मैं वापिस नहीं ले सकता. भाद्रमाह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन जो आपके दर्शन करेगा उसको मिथ्या कलंक का सामना करना पड़ेगा.

लेकिन  शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जो चंद्रमा का दर्शन करेगा वह मिथ्या कलंक से बच जाएगा. इसलिए  शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को चंद्र दर्शन अवश्य करने चाहिए. गणेश जी ने कहा कि मैं तुम्हारी एक कला को मस्तिष्क पर धारण करूँगा. इसलिए गणेश जी को भाल चंद्र कहलाएं.

जहाँ तक की श्री कृष्ण ने भी भाद्रपद शुक्ल पक्ष में चंद्र दर्शन किए थे तो उन पर सम्यंतक मणि को चुराने का आरोप लगा था.

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