BHAGWAAN KI MARZI भगवान की मर्जी

 


कहते हैं कि भगवान की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता . हम जो भी काम करते हैं ईश्वर की प्रेरणा से ही करते हैं . एक भक्त की भगवान पर अटूट आस्था का प्रसंग

एक बार एक बुढ़ी औरत मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर भगवान से फरियाद कर रही थी. वह भगवान से कह रही थी प्रभु मेरे घर में राशन खत्म हो गया है . आप तो जानते हैं कि घर में कोई कमाने वाला नहीं है. प्रभु किसी देवता इंसान को मेरे घर पर राशन देकर भेज देना.

प्रभु आप तो जानते हैं कि मैं मंदिर के साथ वाली गली में कुएँ के साथ वाले मकान में रहती हूँ . उस समय वहाँ से एक नास्तिक युवक निकल रहा था . उसने राशन का सामान खरीदा क्योंकि उसके मन में खुराफात सूझी. 

वह सोचने लगा कि जब बुढ़ी औरत पूछेगी राशन किस ने भेजा ? मैं उत्तर दूगां की राक्षस ने भेजा है . क्योंकि बुढ़ी औरत ने मंदिर में कहा था कि प्रभु किसी देवता पुरुष को घर पर राशन देकर भेज देना.

वह नवयुवक राशन लेकर बुढ़ी औरत के घर पहुँचा. लेकिन बुढ़ी औरत पूछती ही नहीं कि किसने राशन भेजा है. वह कहती है कि बेटा राशन लेकर आए हो तो खाना बनाती हूँ. भोजन कर के जाना.

वह बुढ़ी औरत भोजन बनाते समय भी प्रभु का नाम जप कर रही थी. भोजन बनकर तैयार हो गया . उसने उस नवयुवक ने बुढ़ी औरत के साथ भोजन भी कर लिया. लेकिन औरत ने पूछा ही नहीं राशन किस ने भेजा है? 

फिर वह औरत कहने लगी कि मैं भोजन के बाद प्रभु का भजन करती हूँ. आओ मेरे साथ प्रभु का भजन कर लो. अब तो उसके सब्र का बांध टूट रहा था कि यह पूछती क्यों नहीं राशन किसने भेजा है? 

अब भजन भी हो गया लेकिन औरत ने फिर भी नहीं पूछा. नवयुवक ने स्वयं ही पूछ लिया . माँ जी आप जानना नहीं चाहती यह राशन किस ने भेजा है ? बुढ़ी औरत का जवाब सुनकर नवयुवक स्तब्ध रह गया.

बुढ़ी औरत ने कहा कि बेटा पूछना क्या है ? मैंने अपने अनुभव से यही सिखा है कि जो कुछ भी होता है वह भगवान की मर्जी से होता है. अगर भगवान की मर्जी हो तो देवता पुरुष तो क्या राक्षसों को भी उसका कहा काम करना ही पड़ता है.

तुम यहाँ स्वयं नहीं आए . मेरे भगवान की मर्जी से आए हो. मेरे घर में मेरे सिवाय कोई और नहीं है. मंदिर में सीढ़ियां चढ़ कर जाना पड़ता है और वह मैं बुढ़ापे के कारण चढ़ नहीं सकती. इसलिए जब भी मुझे किसी भी चीज़ की जरूरत होती है. मैं मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर प्रभु से फरियाद लगा देती हूँ. प्रभु की मर्जी से कोई ना कोई मेरी जरूरत का सामान मुझे दे जाता है.

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