BHAGWAAN SHIV KE BHAKT KE KAHANI भगवान शिव के भक्त की कहानी

भगवान शिव के भक्त की कहानी 


भगवान शिव की महिमा अपरंपार है. शिव जी को भोले भंडारी भी कहा जाता है . भगवान शिव अपने सच्चे भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं. भगवान शिव के ऐसे ही सच्चे भक्त का प्रसंग 

प्रसंग तब का है जब यातायात के साधन ज्यादा नहीं होते थे . अगर कोई किसी तीर्थ स्थल पर जाता था तो पता नहीं होता था कि वापिस घर लौट भी पाएगा या नहीं. 

भगवान शिव का भक्त बहुत कठिनाइयों के बाद केदारनाथ धाम पहुँचा. जब वह वहाँ पहुँचा तो मंदिर के पूजारी जी मंदिर के कपाट बंद कर चुके थे. उस ने पुजारी जी से बहुत विनती की मैं बहुत समय और कठिनाइयाँ सह कर महीनों बाद यहाँ पहुँचा हूँ. आप कृपया मुझे दर्शन करने दे.

पुजारी जी ने बहुत विनम्रता से बोला कि इस मंदिर का नियम है कि इसके कपाट छ: महीने खुलते हैं और छ : महीने बंद रहते हैं. अगर एक बार कपाट बंद हो गए तो छ: माह बाद ही खुलेगे . अब आप को छ: मास बाद ही आना पड़ेगा. यहाँ पर जीवन बहुत कठिन है क्योंकि जहाँ बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है. आप जहाँ नहीं रह सकते. इतना कह कर पुजारी जी वहाँ से चले गए. 

भगवान शिव का भक्त उनका नाम स्मरण करने लगा. प्रभु आप तो जानते हैं कि मैं कितनी श्रद्धा भावना से यहाँ पहुँचा हूँ. रास्ते में आने वाली कठिनाइयों के बाद भी मेरा मन विचलित नहीं हुआ था क्योंकि मेरे मन में आप के दर्शन की लालसा थी. उनके आंखों से अश्रु धारा वह रही थी . उसे भूख और प्यास भी लगी थी.

कुछ समय पश्चात वहाँ पर एक साधू बाबा आए . उन्होंने उसका हालचाल पूछा. शिव भक्त ने अपनी सारी व्यथा उनको सुना दी . साधू बाबा ने उसे पीने को पानी और खाने को भोजन दिया. उसे हौसला दिया कि मुझे विश्वास है कि कल मंदिर के कपाट अवश्य खुलेंगे. साधू बाबा से बात करते - करते कब शिव भक्त को नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला.

सुबह जब सूर्य के प्रकाश से उसकी नींद खुली तो क्या देखता है कि पूजारी जी पूरी मंडली के साथ मंदिर के कपाट खोल रहे थे. वह पूजारी जी के पास गया और कहने लगा कि आप तो कहते थे कि कपाट छ: मास बाद खुलेंगे . 

पंडित जी को उस भक्त का स्मरण आया कि इसने मुझ से कपाट खोलने की विनती की थी. पंडित जी ने कहा मैं तो छ: मास के बाद ही आया हूँ . फिर शिव भक्त ने पंडित जी के जाने के बाद एक साधू बाबा से मिलने का पूरा प्रसंग सुनाया. पूरा वृतांत सुनकर पूजारी जी स्तब्ध थे . कोई छ: मास तक बिना किसी साधन के इस ठंड में कैसे जीवित रह सकता है ? 

पूजारी जी उस भक्त के चरणों में गिर गए. वह कहने लगे कि कितने बर्ष बीत गए मंदिर में सेवा करते. लेकिन कभी प्रभु के दर्शन नहीं कर पाया. लेकिन तुम्हारी आस्था सच्ची थी . तुम्हारी करूण पुकार सुनकर भगवान शिव ना केवल स्वयं तुम्हे भोजन और पानी दे कर गए बल्कि भोले नाथ ने छ: मास के काल खंड को योग माया से एक रात्रि में समाप्त कर दिया. सच ही कहते हैं कि ईश्वर की भक्ति इतनी सच्ची आस्था से करो . अगर कष्ट तुम पर हो फ्रिक ईश्वर को ही भक्त को कष्ट से कैसे उबारना है. 

ऊँ नमः शिवाय.

हर हर महादेव.

#शिव

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