ISHWAR TERA SHUKRIYA GRATITUDE STORY
Gratitude - कृतज्ञता की कहानी
एक बार एक कबूतर रेगिस्तान से गुजर रहा था. उसे एक बिमार पक्षी को मिला जो उड नहीं पा रहा था , आसपास खाने पीने के लिए कुछ नहीं था, रहने को कोई आश्रय नहीं था .
उस पक्षी ने पूछा कि आप कहा जा रहे हो ? कबूतर ने बताया कि मैं देवदूत से मिलने जा रहा हूँ. पक्षी ने कबूतर से कहा कि देवदूत से पूछ कर आना की मेरे कष्ट कब समाप्त होगे.
कबूतर देवदूत के पास पहुंचा तो उसने पक्षी का सवाल पूछा कि उस पक्षी को अपने कष्टों से मुक्ति कब मिलेगी. देवदूत ने बताया कि अगले सात साल तक उस पक्षी के लिए कष्ट लिखा है. कबूतर कहता है कि यह सुन कर तो पक्षी की जीने की चाह समाप्त हो जाएगी.
कबूतर देवदूत से पक्षी के कष्ट दूर करने के लिए कोई उपाय पूछता है. देवदूत कबूतर से कहता है कि उससे कहना कि किसी भी परिस्थिति हो उसे हर परिस्थिति में कहना है कि ईश्वर तेरे शुक्रिया. कबूतर यह संदेश पक्षी को दे देता है और वापिस चला जाता है.
कुछ दिनों के बाद कबूतर फिर से रेगिस्तान से गुजरा . पक्षी उड़ पा रहा आ. वहाँ एक छोटा सा तालाब बना था. एक हरा भरा पौधा लगाने हुआ था. कबूतर के मन में कई प्रश्न चल रहे थे. कबूतर सीधा देवदूत के पास पहुंचा . उसने देवदूत से प्रश्न किया कि आप तो कहते थे कि उसके जीवन में अभी सात साल तक कष्ट है. लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि देखकर उसके कष्ट समाप्त कैसे हो गए.
देवदूत ने कहा कि जब वह रेत में गिर गया तब उसने कहा कि ईश्वर तेरा शुक्रिया. उसके पास आश्रय नहीं था तब भी उसने कहा ईश्वर तेरा शुक्रिया. पीने को पानी और खाने को भोजन नहीं था फिर भी उसने कहा ईश्वर तेरा शुक्रिया.
उसने हर परिस्थिति में ईश्वर का शुकराना किया इसलिए उसके सात साल के कष्ट कुछ ही दिनों में समाप्त हो गए. यह प्रसंग सिद्ध करता है कि ईश्वर का शुकराना करने से हमारा जीवन प्रति दृष्टिकोण बदल सकता है.
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