MORDHWAJ KI PRIKSHA SHRI KRISHNA NE KYUN LI

 राजा मोरध्वज की परीक्षा श्री कृष्ण ने ली थी. राजा मोरध्वज की पत्नी का नाम पद्मावती और पुत्र का नाम ताम्रध्वज था. माना जाता है कि उनका राज्य वर्तमान समय के छत्तीसगढ़ की राजधानी से 30 km दूर आरंग कस्बे में था. इस स्थान पर श्री कृष्ण ने राजा मोरध्वज को अपने पुत्र को आरे से चीर कर मांस शेर को खिलाने की परीक्षा ली थी. 

महाभारत युद्ध के पश्चात अर्जुन को घमंड हो गया कि वह श्री कृष्ण का परम भक्त है. श्री कृष्ण ने अर्जुन के अभिमान का मर्दन करने के लिए एक लीला रची.

श्री कृष्ण अर्जुन को लेकर एक साधू के वेश में राजा मोरध्वज के महल में पहुँचे. भगवान एक शेर को अपने साथ ले गये. राजा मोरध्वज भगवान विष्णु के परम भक्त थे. वह बहुत दानी थे और साधू संतों की हर प्रकार से सेवा करने वाले थे. 

जब राजा मोरध्वज को पता चला कि दो साधू एक शेर के साथ उनके द्वार पर आए हैं . वह दौडे़ गए और उनका स्वागत किया. श्री कृष्ण ने कहा कि महाराज हम आपका आतिथ्य तभी स्वीकार करेंगे यदि आप मेरी एक शर्त माने.

श्री कृष्ण कहने लगे कि मेरा यह सिंह नरभक्षी है. यह केवल बच्चों का मांस खाता है. अगर तुम किसी बच्चे  मांस खिला सको तभी हम तुम्हारा आतिथ्य स्वीकार करेंगे.

मोरध्वज ने कहा आप अपने शेर को मेरे पुत्र का मांस खिला दो. लेकिन एक बार में अपनी रानी पद्मावती से पूछ लू. रानी पद्मावती भी धर्म पर चलने वाली पतिव्रता नारी थी. रानी पद्मावती ने कहा कि स्वामी आप की आन के लिए एक तो क्या कई पुत्र कुर्बान. 

श्री कृष्ण ने शर्त रखी कि इकलौते पुत्र को आरे से चीर कर उसका मांस मेरे भूखे शेर को खिलाएंगे. लेकिन आरे से चीरते समय आंखों में आंसू नहीं बहने चाहिए. दोनों ने श्री कृष्ण की शर्त मान ली. अर्जुन का मन विचलित हो रहा था कि श्री कृष्ण ऐसा क्यों कर रहे हैं. अब  साधूओं  को भोजन परोसा जाने लगा. 

पति - पत्नी अपने पुत्र को आरे से चीरने लगे तो रानी पद्मावती की आंखों से आंसू आ गए . जिस देख साधू के वेश में श्री कृष्ण क्रोधित हो गए. 

रानी पद्मावती कहने लगी कि यह आंसू इस लिए है कि भगवान ने हमें हजारों पुत्र दिए होते ताकि आपके शेर को कही भटकना नहीं पड़ता. हम हर रोज़ आपके शेर को भोजन दे देते. इतनी दानवीरता देख कर अर्जुन का घमंड टूट रहा था. 

श्री कृष्ण ने कहा कि तुम्हारे इस अलौकिक कार्य का पुण्य आपको जरूर मिलेगा और रानी पद्मावती को पुत्र को आवाज लगाने के लिए कहा. रानी पद्मावती सोचने लगी कि अभी तो सिंहराज ने हमारे पुत्र का भक्षण किया है. लेकिन फिर भी साधू के आदेश पर उन्होंने ने अपने पुत्र को आवाज़ लगाई तो पुत्र मुस्कुराते हुए आ गया.

राजा मोरध्वज साधू के चरणों में गिर पड़े और कहने लगे कि आप कौन है? आपने मेरी इतनी कठिन परीक्षा क्यों ली. 

अब अर्जुन समझ चुके थे कि श्री कृष्ण ने यह सारा प्रयोजन मेरे अभिमान को तोड़ने के लिए किया था. 

श्री कृष्ण अपने असली स्वरूप में आ गए और राजा मोरध्वज को अपने चतुर्भुज रूप के दर्शन दिए.



ALSO READ

श्री कृष्ण के नाम की महिमा का प्रसंग

श्री कृष्णजन्माष्टमी कथा

श्री कृष्ण मोर पंख क्यों धारण करते हैं.

राधे राधे नाम की महिमा

श्री कृष्ण, सुदामा और माया का प्रसंग

उद्वव गीता

श्री कृष्ण को लड्डू गोपाल क्यों कहा जाता है

लड्डू गोपाल की सेवा के फल का प्रसंग

श्री कृष्ण के माता पिता माँ यशोदा और नंद बाबा

श्री कृष्ण के माता पिता देवकी और वसुदेव

श्री कृष्ण ने अपने गुरु को क्या गुरु दक्षिणा दी

Comments

Popular posts from this blog

RAKSHA SUTRA MANTAR YEN BADDHO BALI RAJA

KHATU SHYAM BIRTHDAY DATE 2023

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA