SHARDIYA NAVRATRI KYUN MANAI JATI HAI शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है

शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है 

शारदीय नवरात्रि अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होते हैं.नवरात्रि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. 


शारदीय नवरात्रि को मां दुर्गा की भक्ति के लिए श्रेष्ठ समय माना गया. माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा अपने भक्तों के बीच रहती है और उनकी मनवांक्षित फल प्रदान करती है. नवरात्रि में माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त चुनरी, सुहाग का सामान, नारियल, मिठाई भेट करते हैं. माँ के जागरण आयोजित किए जाते हैं. मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. माँ अपने भक्तों की मुरादे पूरी करती है.

 शारदीय नवरात्रि  को मनाएं जाने की पौराणिक कथाएँ

एक बार महिषासुर  राक्षस ने कठिन तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमर होने का एक वरदान मांगा. ब्रह्मा जी ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा . बह्म जी ने कहा किसी को भी अमर होने का वरदान नहीं मिल सकता. उसने कहा कि मेरी मृत्यु केवल स्त्री के हाथों से हो ब्रह्मा जी ने उसे वह वरदान दे दिया. 

महिषासुर सोचने लगा कि वह अमर हो गया है . महिषासुर ने देवताओं के अधिकार  छीन लिए और स्वर्ग लोक का मालिक बन गया और देवताओं को पृथ्वी लोक पर विचरण करना पड़ा . जब देवता असुरों के अत्याचार से तंग आ चुके थे ,तो ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्य राज की मौत केवल कुवांरी कन्या के हाथों से होगी.

 सभी देवताओं ने मिलकर अपनी शक्तियों से देवी को प्रकट किया .सभी देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने .देवताओं ने महिषासुर का नाश करने के लिए अस्त्र-शस्त्र देवी को दिए और सवारी करने के लिए शेर दिया .

सभी देवताओं के शक्तियां प्रदान करने के कारण देवी के पास अतुलित शक्तियां आ गई . मां दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा दोनों के बीच 9 दिन तक युद्ध चला. और महिषासुर का वध करने के कारण माँ का नाम महिषासुर मर्दिनी पडा़. मां दुर्गा आदिशक्ति हैं सभी देवता उनकी शक्ति से शक्तिमान होकर कार्य करते हैं. 

मां दुर्गा 108 नाम

श्रीराम ने की थी शारदीय नवरात्रों की शुरुआत

 पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि शारदीय नवरात्रि की शुरुआत भगवान श्रीराम ने की थी .रामजी ने मां को प्रसन्न करने के लिए 9 दिन तक मां दुर्गा की अराधना  की थी .जब राम जी ने मां दुर्गा की आराधना की तक अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के ही दिन थे.

लंका युद्ध के दौरान  ब्रह्मा जी ने श्रीराम से रावण वध के लिए देवी को प्रसन्न करने के लिए कहा. रामजी ने माता को प्रसन्न करने के लिए पूजा के दौरान 108  कमल पुष्प रखे थे . रावण ने पूजा में विघ्न डालने के लिए अपनी माया से एक कमल चोरी करवा लिया .

जब राम जी को इस बात का पता चला कि एक पुष्प कम है, तो उन्होंने पूजा में विघ्न आए  इस लिए सोचा कि लोग उन्हें कमलनयन कहते हैं , इसलिए उन्होंने अपनी एक नेत्र मां को अर्पित करने के लिए बाण निकाला तो, मां प्रकट हो गई  और उनको ऐसा करने से रोका.

 माँ उनकी पूजा से प्रसन्न थी इसलिए माँ ने उनको दिव्य अस्त्र दिया.   मां दुर्गा से प्राप्त दिव्य अस्त्र  की सहायता से राम जी ने रावण का वध कर दिया. रावण का वध भगवान ने अश्विन मास की दशमी तिथि को किया था . भगवान श्रीराम ने रावण को हराकर विजय प्राप्त की थी. इसलिए इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. 

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